एक और डरावनी पोस्ट (सांप )
पोस्ट के इस नाम की प्रेरणा हमे ज्ञानदत्त जी से मिली है।(हमने आपकी टिपण्णी का बुरा नही माना है । इसलिये आप इसे अन्यथा मत लीजियेगा। ये तो महज एक बहाना है. वरना हम आप लोगों को अपने घर के साँपों से कैसे मिलवाते. ) और कल हमने दीपक जी की एक कविता पढी थी जिससे भी हमारी ये पोस्ट कुछ प्रेरित है।
अब जब नाम ही ऐसा है तो पोस्ट मे भी कुछ होना चाहिऐ। तो चलिए हम आपको अपने अंडमान के घर के कुछ साँपों से मिलवाते है। पर उससे पहले हम कुछ कहना भी चाहते है। जब हम लोग अंडमान गए तो जैसा की आप सबको अब पता ही है कि वहां बहुत जंगल है तो जंगल मे कुछ जीव-जंतु भी होंगे ही।शुरू-शुरू मे जब हम लोग अंडमान गए तो साँपों के बहुत किस्से सुने और हम लोगों को वहां रहने वालों ने ने हिदायत दी कि कभी भी अलमारी मे से कपडे वगैरा बिना झाडे मत पहनना और दरवाजा हमेशा ठीक से बंद किया करना क्यूंकि अंडमान मे सांप बहुत है। क्या हुआ डर गए. अरे डरिये मत. ये मटमैले रंग का सांप कुछ नही करने वाला है ये बहुत सीधा है. कैसे गुडाई की हुई जमीन मे मजे से घूम रहे है.
लोगों ने तो ये तक बताया की कई बार सांप दरवाजे पर दस्तक (नॉक )भी करते है। क्यों आश्चर्य हुआ ,अरे बिल्कुल भी चौंकिए मत क्यूंकि ये मजाक नही हक़ीकत है। वो क्या है ना कि कई बार सांप जब दरवाजे पर आते थे और अगर दरवाजा बंद होता था तो वो जोर से अपना फ़न दरवाजे पर मारते थे और उसी आवाज को वहां के लोग सांप के द्वारा नॉक करना कहते थे। वैसे हमारे घर मे सांप तो जरुर निकले पर गनीमत कि किसी ने नॉक नही किया वरना तो पता नही हमारा क्या होता। :)
सांप के ऐसे किस्से सुनकर जबहम लोगों ने अंडमान के लोकल लोग जैसे कि अपने ड्राइवर से पूछा कि क्या यहां सांप बहुत होते है।
तो सब कहते कि हाँ सांप तो बहुत है पर यहां के सांप बडे सीधे है। किसी को काटते नही है। अपने रास्ते चले जाते है इसका उदाहरण ये देखिये की ये जनाब कैसे विचरते हुए जा रहे है
अब ऐसी बात सुनकर यकीन तो नही होता था पर यकीन करना पड़ता था।
अब जैसे ये भूरा सांप हम लोगों के घर के आस-पास ही रहता था। और जब भी ये बाहर निकलता था तो मैना ख़ूब जोर-जोर से चिल्लाने लगती थी ।और जैसे ही मैना चिल्लाती थी हम लोग अपना कमरा लेकर दौड़ते थे कि सांप आया।और ये महाशय मैना के चिल्लाने कि वजह से ही पेड़ मे जाकर चुप गए है और फोटो के लिए पोज दे रहे है। अब फोटो खीचने से ये मत समझिए कि हम बहुत बहादुर है और सांप से बिल्कुल नही डरते है। पर हम है ठीक इसके उलट। ये सारी फोटो तो हमारे बेटे ने खीची है।वैसे इनका एक विडियो भी है पर हम अभी लगा नही रहे है क्यूंकि सबको ज्यादा डराना ठीक नही है।
और ये काला सांप हमारे कार गैराज मे निकला था ।जिसकी यहां पर आप फोटो देख रहे है। और सांप को क्यों मारते है तो डर इसकी सबसे बड़ी वजह है।और इसे बाद मे मार दिया गया था. क्यूंकि इसकी तो कोई गारंटी नही थी की वो हम लोगों को काटेगा नही.
वैसे अंडमान मे हमारी दो दोस्त सांप से बिल्कुल भी नही डरती थी. एक तो अगर सांप निकल आए तो उसके पीछे-पीछे जाती थी ये देखने के लिए की आख़िर वो जा कहाँ रहा है. और हमारी दूसरी दोस्त का कहना था कि ये कितना सुंदर है. इसे इतना बड़ा होने मे कितने साल लगे है. और भगवान ने इसे बनाया है तो इसे मारना क्यूँ. बाप रे हम तो उनके ये ख्यालात सुनकर ही घबरा जाते थे.
और हम उनके इन विचारो से बिल्कुल भी सहमत नही थे और न है क्यूंकि सांप इस नाम मे ही डर है .और एक बात हम लोगों के यहाँ कहा जाता है की इन्सान का जन्म ८४ करोड़ योनियों मे जन्म लेने के बाद मिलता है. तो मारने का ये एक सकारात्मक पहलू ये भी हो सकता है. इसे ग़लत न समझें.
अंडमान क्या गोवा मे भी बहुत सांप है. अंदमान और गोवा मे फर्क बस इतना है कि अंडमान मे सिर्फ़ सांप थे पर गोवा के घर मे सांप,नेवला और बिच्छू भी है. और बरसात मे तो आप इन्हे टहल कदमी करते हुए देख सकते है. और छोटे नही भारी-भरकम कि देख कर ही डर लग जाए. चलिए अब और नही डराते है अपनी पोस्ट यही ख़त्म करते है. अंडमान के बाकी के जीव-जंतुओं की बात फ़िर कभी करेंगे।
अब जब नाम ही ऐसा है तो पोस्ट मे भी कुछ होना चाहिऐ। तो चलिए हम आपको अपने अंडमान के घर के कुछ साँपों से मिलवाते है। पर उससे पहले हम कुछ कहना भी चाहते है। जब हम लोग अंडमान गए तो जैसा की आप सबको अब पता ही है कि वहां बहुत जंगल है तो जंगल मे कुछ जीव-जंतु भी होंगे ही।शुरू-शुरू मे जब हम लोग अंडमान गए तो साँपों के बहुत किस्से सुने और हम लोगों को वहां रहने वालों ने ने हिदायत दी कि कभी भी अलमारी मे से कपडे वगैरा बिना झाडे मत पहनना और दरवाजा हमेशा ठीक से बंद किया करना क्यूंकि अंडमान मे सांप बहुत है। क्या हुआ डर गए. अरे डरिये मत. ये मटमैले रंग का सांप कुछ नही करने वाला है ये बहुत सीधा है. कैसे गुडाई की हुई जमीन मे मजे से घूम रहे है.
लोगों ने तो ये तक बताया की कई बार सांप दरवाजे पर दस्तक (नॉक )भी करते है। क्यों आश्चर्य हुआ ,अरे बिल्कुल भी चौंकिए मत क्यूंकि ये मजाक नही हक़ीकत है। वो क्या है ना कि कई बार सांप जब दरवाजे पर आते थे और अगर दरवाजा बंद होता था तो वो जोर से अपना फ़न दरवाजे पर मारते थे और उसी आवाज को वहां के लोग सांप के द्वारा नॉक करना कहते थे। वैसे हमारे घर मे सांप तो जरुर निकले पर गनीमत कि किसी ने नॉक नही किया वरना तो पता नही हमारा क्या होता। :)
सांप के ऐसे किस्से सुनकर जबहम लोगों ने अंडमान के लोकल लोग जैसे कि अपने ड्राइवर से पूछा कि क्या यहां सांप बहुत होते है।
तो सब कहते कि हाँ सांप तो बहुत है पर यहां के सांप बडे सीधे है। किसी को काटते नही है। अपने रास्ते चले जाते है इसका उदाहरण ये देखिये की ये जनाब कैसे विचरते हुए जा रहे है
अब ऐसी बात सुनकर यकीन तो नही होता था पर यकीन करना पड़ता था।
अब जैसे ये भूरा सांप हम लोगों के घर के आस-पास ही रहता था। और जब भी ये बाहर निकलता था तो मैना ख़ूब जोर-जोर से चिल्लाने लगती थी ।और जैसे ही मैना चिल्लाती थी हम लोग अपना कमरा लेकर दौड़ते थे कि सांप आया।और ये महाशय मैना के चिल्लाने कि वजह से ही पेड़ मे जाकर चुप गए है और फोटो के लिए पोज दे रहे है। अब फोटो खीचने से ये मत समझिए कि हम बहुत बहादुर है और सांप से बिल्कुल नही डरते है। पर हम है ठीक इसके उलट। ये सारी फोटो तो हमारे बेटे ने खीची है।वैसे इनका एक विडियो भी है पर हम अभी लगा नही रहे है क्यूंकि सबको ज्यादा डराना ठीक नही है।
और ये काला सांप हमारे कार गैराज मे निकला था ।जिसकी यहां पर आप फोटो देख रहे है। और सांप को क्यों मारते है तो डर इसकी सबसे बड़ी वजह है।और इसे बाद मे मार दिया गया था. क्यूंकि इसकी तो कोई गारंटी नही थी की वो हम लोगों को काटेगा नही.
वैसे अंडमान मे हमारी दो दोस्त सांप से बिल्कुल भी नही डरती थी. एक तो अगर सांप निकल आए तो उसके पीछे-पीछे जाती थी ये देखने के लिए की आख़िर वो जा कहाँ रहा है. और हमारी दूसरी दोस्त का कहना था कि ये कितना सुंदर है. इसे इतना बड़ा होने मे कितने साल लगे है. और भगवान ने इसे बनाया है तो इसे मारना क्यूँ. बाप रे हम तो उनके ये ख्यालात सुनकर ही घबरा जाते थे.
और हम उनके इन विचारो से बिल्कुल भी सहमत नही थे और न है क्यूंकि सांप इस नाम मे ही डर है .और एक बात हम लोगों के यहाँ कहा जाता है की इन्सान का जन्म ८४ करोड़ योनियों मे जन्म लेने के बाद मिलता है. तो मारने का ये एक सकारात्मक पहलू ये भी हो सकता है. इसे ग़लत न समझें.
अंडमान क्या गोवा मे भी बहुत सांप है. अंदमान और गोवा मे फर्क बस इतना है कि अंडमान मे सिर्फ़ सांप थे पर गोवा के घर मे सांप,नेवला और बिच्छू भी है. और बरसात मे तो आप इन्हे टहल कदमी करते हुए देख सकते है. और छोटे नही भारी-भरकम कि देख कर ही डर लग जाए. चलिए अब और नही डराते है अपनी पोस्ट यही ख़त्म करते है. अंडमान के बाकी के जीव-जंतुओं की बात फ़िर कभी करेंगे।
Comments
http://ecoport.org/ep?SearchType=earticleList&Author=oudhia&Text=snake
दीपक भारतदीप
मेरे ब्लोग यह है
http://dpkraj.blogspot.com
बडे शहरों में ब्लूक्रॉस के स्वयंसेवक सांपों को ले जाकर सुरक्षत जगह पर छोड देते है, अत: सांपों को मारने के बदले इनकी सेवा लें तो अच्छा होगा.
हां अनजान व्यक्ति नाग के साथ किसी तरह का खिलवाड न करें.
-- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
August 25, 2007 8:39 PM
हम तो डर ही गये । फ़िर ज्ञानदत्तजी की ज्ञान भरी जानकारी पढकर थोडी हिम्मत बंधी है तो टिप्पणी कर रहे हैं ।
हमारे कालेज में भी साँप बिच्छू खूब निकलते थे । एक साँप और कम से कम ५ बिच्छू मारने का तो अनुभव हमें भी है ।
वैसे साँप से ज्यादा डर हमें सडक के कुत्तों से लगता है :-)
आप बहुत बढिया लिखती हैं, ऐसे ही लिखती रहें ।