बैंकों के चोंचले और ग्राहक की मुसीबत
कभी -कभी अपने ही रूपये-पैसे के लिए बैंक को इतना हिसाब देना पड़ता है कि लगता है आख़िर ये बैंक हमारी सुविधा के लिए है या परेशानी खड़े करने के लिए। आजकल तो अगर बैंक से किसी तरह की जानकारी अगर फ़ोन पर हासिल करना हो तो समझ लीजिये कि आप का कम से कम आधा घंटा तो गया और उसपर भी अगर पूरी जानकारी मिल जाये तब तो जरुर आपका दिन और समय अच्छा है।
कुछ सालों पहले तक तो ऐसा नही था हर जानकारी फ़ोन पर मिल जाती थी और ऐसा बैंक दावा भी करता था। और दावा सही भी था पर आजकल ऐसा दावा ग्राहक के लिए मुसीबत बन कर आता है। ये मल्टी - नेशनल बैंक तो इसकी जीती जागती तस्वीर है। अब आप ये भी कह सकते है कि भाई मल्टी नेशनल मे खाता ही क्यों खोला जब अपने नेशनल बैंक है। तो हम ये बता दे कि एम.एन .सी.मे खाता उस समय खोला था जब ये बैंक नए-नए थे और उस समय अपने नेशनल बैंकों मे ए.टी.एम.की सुविधा नही थी और हर बार पैसा लेने और जमा करने के लिए लाइन मे खड़ा होना पड़ता था जो इन एम.एन.सी.बैंकों मे नही था । और दूसरे ए.टी.एम.मे समय की पाबंदी नही होती है कि दो बजे के बाद पैसा ही नही निकाल सकते ,जब चाहे जहाँ चाहे पैसा निकाल सकते है।
हमे याद है पहले जब भी हम लोग कहीँ घूमने जाते थे तो ट्रैवलर चैक लेकर जाते थे क्यूंकि कैश लेकर सफ़र करना तो कभी भी सुरक्षित नही था।और फिर जहाँ घूमने जाओ वहां कैश कराओ पर कई बार इस सबमे बहुत समय लग जाता था और समय की पाबंदी तो रहती ही थी। पर इन एम.एन.सी.बैंकों की वजह से ये सारे चक्कर ख़त्म हो गए। और कहीँ भी आना-जाना बहुत ही आसान हो गया और चिन्ता रहित भी क्यूंकि कैश साथ जो नही ले जाना पड़ता था।
तो अब सवाल ये की जब हम इन सारी सुविधाओं का लाभ हम उठा रहे है तो फिर शिक़ायत कैसी। और ये भी की अब तो सभी नेशनल बैंक भी ये सारी सुविधातें देते है तो फिर एम.एन.सी.मे खाता क्यों रखना। अरे वरना ये पोस्ट कैसे लिखते :)
खैर हम वापिस आते है अपनी बात पर। तो हुआ यूं की हमे अपने बेटे का खाता खुलवाना था और चूंकि हमारा खाता इस बैंक मे है तो जाहिर है कि हम बेटे का खाता भी उसी बैंक मे खुलावायेंगे। तो बस हमने इसी बाबत बैंक मे फ़ोन किया तो बहुत सारी बातों जैसे कि आप अगर फलां जानकारी चाहते है तो जीरो डायल करें और अगर फलां जानकारी चाहते है तो एक डायल करें।और अगर किसी एक्जीक्यूटिव से बात करना हो तो नाईन डायल करें इसी तरह कि और भी कई बातें मसलन अपना नम्बर फीड करें इत्यादी। खैर कुछ देर music सुनने के बाद उनके एक एक्जीक्यूटिव जो की एक लडकी थी ने बड़ी ही गर्म जोशी से नमस्कार करके बात शुरू की और हमारे ये पूछने पर कि नए कार्ड के लिए कैसे अप्लाई करें। बस यहीं से शुरू हुआ सवालों का सिलसिला कि आपका नाम ,पता,नम्बर,जन्म तिथि,वगैरा-वगैरा। यहां तक तो ठीक था पर फिर उसने पूछना शुरू किया कि पिछली बार कब पैसा जमा किया ,कब पैसा निकाला,ये भी बता दिया पर इतने से उसे संतुष्टि नही हुई। बिल्कुल वैसे ही जैसे पान-पराग के विज्ञापन मे कहता है कि इतने से मेरा क्या होगा :) और उसने हमे और बताने को कहा तो हमारा संयम जवाब दे गया। और हमने उससे कहा कि भाई हमने तो सिर्फ एक जानकारी के लिए फ़ोन किया और अगर वो जानकारी दे सकती हो तो बताओ तो उसने कहा कि पर आपको और डिटेल देने पडेगें।तभी हम कुछ बता सकते है। और हमने ग़ुस्से मे फ़ोन काट दिया।
पर हमे भी ग़ुस्सा और जिद थी इसलिये दुबारा फ़ोन मिलाया तो अबकी किसी दूसरी लडकी ने फ़ोन उठाया (हर बार कोई नया ही फ़ोन उठाता है) तो फिर से वही सारे सवाल शुरू हुए और बात पहली बार कि तरह यहां भी आकर बात अटक गयी कि आपको और डिटेल देने पड़ेंगे।
तो इस बार तो हम ने उससे कहा कि भाई पिछले दस बार का ट्रांजेक्शन तो कोई भी याद नही रख सकता है। और आपके पास तो कंप्यूटर पर सारी जानकारी है फिर कस्टमर को क्यों तंग करना।
तो उसका जवाब था कि हम तो आपकी सुरक्षा के लिए ये सब कर रहे है।
तो हमने भी जरा तल्खी भरे स्वर मे कहा क्यूंकि अबकी तो हम भी तैयार थे कि आप तो ऐसे सवाल कर रही है मानो हम कोई क्रिमिनल हो और इतने सवाल तो पुलिस भी नही पूछती।और अब हम आपसे नही बात करेंगे। आप हमे अपने मैनेजर का नम्बर दीजिए अब हम उन्ही से बात करेंगे।
तो वो कहने लगी कि हम आपको नम्बर भी नही दे सकते। आप हमे e-mail कर दीजिए। हम सारी जानकारी भेज देंगे।
इस पर हमने कहा कि आप लोग तो mail का जवाब नही देते है। और फ़ोन पर आप लोगों को हिदायत दी गयी है कि किसी भी कस्टमर को कुछ भी ना बताया जाये।बस सवालों मे उलझा कर रखो ।
तब पता नही क्या सोचकर उसने बताया कि आपको चेन्नई से पता करना होगा ।
उसके ये कहने पर हमने उससे कहा कि इतनी जरा सी बात बताने के लिए उसने अपना और हमारा दोनो का इतना समय बरबाद किया । यही एक लाइन पहले बोल देती तो क्या जाता।
खैर अब चेन्नई से बात हो गयी है और हफ्ते-दस दिन मे कार्ड भी बन जाने की उम्मीद है। उम्मीद इसलिये कि कहीं फिर ये लोग कोई पंगा ना खड़ा कर दे।
कुछ सालों पहले तक तो ऐसा नही था हर जानकारी फ़ोन पर मिल जाती थी और ऐसा बैंक दावा भी करता था। और दावा सही भी था पर आजकल ऐसा दावा ग्राहक के लिए मुसीबत बन कर आता है। ये मल्टी - नेशनल बैंक तो इसकी जीती जागती तस्वीर है। अब आप ये भी कह सकते है कि भाई मल्टी नेशनल मे खाता ही क्यों खोला जब अपने नेशनल बैंक है। तो हम ये बता दे कि एम.एन .सी.मे खाता उस समय खोला था जब ये बैंक नए-नए थे और उस समय अपने नेशनल बैंकों मे ए.टी.एम.की सुविधा नही थी और हर बार पैसा लेने और जमा करने के लिए लाइन मे खड़ा होना पड़ता था जो इन एम.एन.सी.बैंकों मे नही था । और दूसरे ए.टी.एम.मे समय की पाबंदी नही होती है कि दो बजे के बाद पैसा ही नही निकाल सकते ,जब चाहे जहाँ चाहे पैसा निकाल सकते है।
हमे याद है पहले जब भी हम लोग कहीँ घूमने जाते थे तो ट्रैवलर चैक लेकर जाते थे क्यूंकि कैश लेकर सफ़र करना तो कभी भी सुरक्षित नही था।और फिर जहाँ घूमने जाओ वहां कैश कराओ पर कई बार इस सबमे बहुत समय लग जाता था और समय की पाबंदी तो रहती ही थी। पर इन एम.एन.सी.बैंकों की वजह से ये सारे चक्कर ख़त्म हो गए। और कहीँ भी आना-जाना बहुत ही आसान हो गया और चिन्ता रहित भी क्यूंकि कैश साथ जो नही ले जाना पड़ता था।
तो अब सवाल ये की जब हम इन सारी सुविधाओं का लाभ हम उठा रहे है तो फिर शिक़ायत कैसी। और ये भी की अब तो सभी नेशनल बैंक भी ये सारी सुविधातें देते है तो फिर एम.एन.सी.मे खाता क्यों रखना। अरे वरना ये पोस्ट कैसे लिखते :)
खैर हम वापिस आते है अपनी बात पर। तो हुआ यूं की हमे अपने बेटे का खाता खुलवाना था और चूंकि हमारा खाता इस बैंक मे है तो जाहिर है कि हम बेटे का खाता भी उसी बैंक मे खुलावायेंगे। तो बस हमने इसी बाबत बैंक मे फ़ोन किया तो बहुत सारी बातों जैसे कि आप अगर फलां जानकारी चाहते है तो जीरो डायल करें और अगर फलां जानकारी चाहते है तो एक डायल करें।और अगर किसी एक्जीक्यूटिव से बात करना हो तो नाईन डायल करें इसी तरह कि और भी कई बातें मसलन अपना नम्बर फीड करें इत्यादी। खैर कुछ देर music सुनने के बाद उनके एक एक्जीक्यूटिव जो की एक लडकी थी ने बड़ी ही गर्म जोशी से नमस्कार करके बात शुरू की और हमारे ये पूछने पर कि नए कार्ड के लिए कैसे अप्लाई करें। बस यहीं से शुरू हुआ सवालों का सिलसिला कि आपका नाम ,पता,नम्बर,जन्म तिथि,वगैरा-वगैरा। यहां तक तो ठीक था पर फिर उसने पूछना शुरू किया कि पिछली बार कब पैसा जमा किया ,कब पैसा निकाला,ये भी बता दिया पर इतने से उसे संतुष्टि नही हुई। बिल्कुल वैसे ही जैसे पान-पराग के विज्ञापन मे कहता है कि इतने से मेरा क्या होगा :) और उसने हमे और बताने को कहा तो हमारा संयम जवाब दे गया। और हमने उससे कहा कि भाई हमने तो सिर्फ एक जानकारी के लिए फ़ोन किया और अगर वो जानकारी दे सकती हो तो बताओ तो उसने कहा कि पर आपको और डिटेल देने पडेगें।तभी हम कुछ बता सकते है। और हमने ग़ुस्से मे फ़ोन काट दिया।
पर हमे भी ग़ुस्सा और जिद थी इसलिये दुबारा फ़ोन मिलाया तो अबकी किसी दूसरी लडकी ने फ़ोन उठाया (हर बार कोई नया ही फ़ोन उठाता है) तो फिर से वही सारे सवाल शुरू हुए और बात पहली बार कि तरह यहां भी आकर बात अटक गयी कि आपको और डिटेल देने पड़ेंगे।
तो इस बार तो हम ने उससे कहा कि भाई पिछले दस बार का ट्रांजेक्शन तो कोई भी याद नही रख सकता है। और आपके पास तो कंप्यूटर पर सारी जानकारी है फिर कस्टमर को क्यों तंग करना।
तो उसका जवाब था कि हम तो आपकी सुरक्षा के लिए ये सब कर रहे है।
तो हमने भी जरा तल्खी भरे स्वर मे कहा क्यूंकि अबकी तो हम भी तैयार थे कि आप तो ऐसे सवाल कर रही है मानो हम कोई क्रिमिनल हो और इतने सवाल तो पुलिस भी नही पूछती।और अब हम आपसे नही बात करेंगे। आप हमे अपने मैनेजर का नम्बर दीजिए अब हम उन्ही से बात करेंगे।
तो वो कहने लगी कि हम आपको नम्बर भी नही दे सकते। आप हमे e-mail कर दीजिए। हम सारी जानकारी भेज देंगे।
इस पर हमने कहा कि आप लोग तो mail का जवाब नही देते है। और फ़ोन पर आप लोगों को हिदायत दी गयी है कि किसी भी कस्टमर को कुछ भी ना बताया जाये।बस सवालों मे उलझा कर रखो ।
तब पता नही क्या सोचकर उसने बताया कि आपको चेन्नई से पता करना होगा ।
उसके ये कहने पर हमने उससे कहा कि इतनी जरा सी बात बताने के लिए उसने अपना और हमारा दोनो का इतना समय बरबाद किया । यही एक लाइन पहले बोल देती तो क्या जाता।
खैर अब चेन्नई से बात हो गयी है और हफ्ते-दस दिन मे कार्ड भी बन जाने की उम्मीद है। उम्मीद इसलिये कि कहीं फिर ये लोग कोई पंगा ना खड़ा कर दे।
Comments
आजकल सभी बैंक ग्राहक को सुविधा दे रहें हैं कह के जूनियर लेबल के एम बी ए नवकिशोर किशोरियों को बैंक में नौकरी में रखते हैं जिनको दायित्वबोध होता ही नहीं, सामने वाला का समय इनके लिए महत्वपूर्ण नहीं होता । और यही प्रमोट होकर सीनियर बनते हैं फिर भी उनमें एक कुशल प्रबंधक के गुण आ नहीं पाते दो बातों में एक बात यह भी है कि कुशल प्रबंधक बनाये नहीं जाते वो तो पैदा होते हैं ।
बाकी अमूमन यदि अपने खाते संबन्धी जानकारी चाहिए हो तो फोनबैंकिंग की सुविधा देने वाले बैंक आपको एक TIN नंबर देते हैं जिसे आप automated फोन बैंकिंग सिस्टम में डाल दें और यदि वह सही हो तो आपको अपने खाते संबन्धी जानकारी बिना हुज्जत के मिल जाती है।
बाकी आजकल तो बड़े बैंक ऑनलाईन बैंकिंग की सुविधा भी देते हैं, तो फोन बैंकिंग को त्याग दीजिए और ऑनलाईन बैंकिंग को अपनाईये, न किसी executive को झेलना पड़ेगा और न ही आपको दिक्कत होगी। फोन बैंकिंग को तो emergency के लिए रखिए जैसे कि यदि ऑनलाईन बैंकिंग काम न कर रही हो या आप कंप्यूटर पर न हों। :)
कृपया डराइये नहीं । हमारे यहाँ के नन्हे मुन्ने बैंक में यह सब कोई नहीं पूछता । सब हमें जानते हैं हम सबको ,( कम से कम दर्शाते तो यही हैं) । मुझे तो ओर भी शहर फोबिया हो रहा है । :(
घुघूती बासूती
कुछ हद तक एक सही घटना पर आधारित:
http://lakhnawi.blogspot.com/2006/11/blog-post_27.html
जरुर पढिएगा.