कैमरे पर पिटाई
अब अस्सी का दशक तो है नही कि हर किसी को न्यूज़ के लिए सिर्फ दूरदर्शन का ही सहारा हो। जब इतने सारे न्यूज़ चैनल हो जिसमे देसी और विदेशी चैनल हो तो भला न्यूज़ की कमी क्यों होगी। हर चैनल बिल्कुल ही एक्सक्लूसिव न्यूज़ दिखाता है। और अगर देश मे कोई बड़ी घटना हो जाये तो जाहिर सी बात है कि उस घटना को सारे न्यूज़ चैनल दिखायेंगे । यहां तक तो ठीक पर फिर हर न्यूज़ चैनल ये कहता नजर आने लगता है कि ये खबर सबसे पहले उसी का चैनल दिखा रहा है।
आजकल न्यूज़ मे एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है कि अगर किसी को किसी की वो चाहे आदमी हो या औरत पिटाई करनी होती है तो वो पूरे दल बल मतलब मीडिया वालों को साथ लेकर पहुँचते है।और मीडिया का भी ये हल है की हर जगह चली जाती है। मीडिया का काम सच को सच की तरह दिखाने का होना चाहिऐ ना की सच को तोड़-मरोड़ कर दिखाना।
शायद आप लोगों को याद हो कुछ दिन पहले इन्दौर मे लोगों ने एक चोर को पकडा था और उसे पेड़ से बांधकर पीटा जा रहा था। ठीक है चोर है तो पिटाई तो होगी ही पर जिस तरह कैमरा के सामने आते ही लोग लात-घूँसे चलाने लगते थे वो क्या सही है।
ऐसे ही एक बार एक औरत की पिटाई भी दिखाई थी जिसमे पिटने वाली भी औरत और पीटने वाली भी औरत। और ये सब कुछ बाकायदा मीडिया और पुलिस के सामने हो रहा था। ये बिल्कुल ही नया और अनोखा तरीका हो गया है।
आज एक न्यूज़ आ रही थी किसी कॉलेज के प्रोफेसर की लोग बडे प्यार से धुनाई कर रहे थे। और जैसे ही कैमरा उनकी तरफ घूमता तो कोई उसके मुँह पर चांटा मारता तो कोई चप्पल मारने के लिए उठाता था। ऐसे ही एक बार छात्रों द्वारा पिटाई किये जाने पर एक प्रोफेसर की मृत्यु भी हो चुकी है।
इस तरह से कैमरे के सामने पिटाई करने मे लोग अपनी शान समझते है। कॉलेज मे छात्रों को तोड़-फोड़ करते हुए और मारपीट करते हुए दिखाते हुए ये सारे चैनल वाले हमे बीच-बीच मे याद दिलाते रहते है कि हम कौन सा न्यूज़ चैनल देख रहे है। ऐसा नही है कि पहले छात्र लोग दंगा या मार-पीट नही करते थे पर उसे इतने भयानक अंदाज मे पेश करना कहॉ कि इंसानियत है।इसे इंसानियत कहना भी शायद गलत होगा।
अरे भाई गलती की सजा तो मिलनी ही चाहिऐ।पर हर चीज को मीडिया का सहारा लेकर दिखाना कितना सही है। आख़िर दूरदर्शन भी तो देश-विदेश की खबरें दिखाता है पर कभी भी उनके चैनल पर इस तरह की पिटाई या कुछ और वीभत्स सा देखने को नही मिलता है।
आजकल न्यूज़ मे एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है कि अगर किसी को किसी की वो चाहे आदमी हो या औरत पिटाई करनी होती है तो वो पूरे दल बल मतलब मीडिया वालों को साथ लेकर पहुँचते है।और मीडिया का भी ये हल है की हर जगह चली जाती है। मीडिया का काम सच को सच की तरह दिखाने का होना चाहिऐ ना की सच को तोड़-मरोड़ कर दिखाना।
शायद आप लोगों को याद हो कुछ दिन पहले इन्दौर मे लोगों ने एक चोर को पकडा था और उसे पेड़ से बांधकर पीटा जा रहा था। ठीक है चोर है तो पिटाई तो होगी ही पर जिस तरह कैमरा के सामने आते ही लोग लात-घूँसे चलाने लगते थे वो क्या सही है।
ऐसे ही एक बार एक औरत की पिटाई भी दिखाई थी जिसमे पिटने वाली भी औरत और पीटने वाली भी औरत। और ये सब कुछ बाकायदा मीडिया और पुलिस के सामने हो रहा था। ये बिल्कुल ही नया और अनोखा तरीका हो गया है।
आज एक न्यूज़ आ रही थी किसी कॉलेज के प्रोफेसर की लोग बडे प्यार से धुनाई कर रहे थे। और जैसे ही कैमरा उनकी तरफ घूमता तो कोई उसके मुँह पर चांटा मारता तो कोई चप्पल मारने के लिए उठाता था। ऐसे ही एक बार छात्रों द्वारा पिटाई किये जाने पर एक प्रोफेसर की मृत्यु भी हो चुकी है।
इस तरह से कैमरे के सामने पिटाई करने मे लोग अपनी शान समझते है। कॉलेज मे छात्रों को तोड़-फोड़ करते हुए और मारपीट करते हुए दिखाते हुए ये सारे चैनल वाले हमे बीच-बीच मे याद दिलाते रहते है कि हम कौन सा न्यूज़ चैनल देख रहे है। ऐसा नही है कि पहले छात्र लोग दंगा या मार-पीट नही करते थे पर उसे इतने भयानक अंदाज मे पेश करना कहॉ कि इंसानियत है।इसे इंसानियत कहना भी शायद गलत होगा।
अरे भाई गलती की सजा तो मिलनी ही चाहिऐ।पर हर चीज को मीडिया का सहारा लेकर दिखाना कितना सही है। आख़िर दूरदर्शन भी तो देश-विदेश की खबरें दिखाता है पर कभी भी उनके चैनल पर इस तरह की पिटाई या कुछ और वीभत्स सा देखने को नही मिलता है।
Comments
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deepak bharatdeep
मुझे तो लगता है कि ऐसी किसी भी न्यूज पर अपराधी को तो सजा कानून दे ही. साथ में कवरेज से फोटो में चेक कर कर के जिस भी पब्लिक ने कानून हाथ में लिया, उन्हें भी सजा मिलना चाहिये और जिस मिडिया ने पुलिस को इन्फोर्म करने की बजाये बड़े चाव से वाकया कवर किया, उसे भी कानून के दायरे में लाया जाना चाहिये.
एक दिन देखा कि सरकारी अधिकारियों की बेरहमी से पिटाई चल रही थी.
अपराधी को पकड़वाने में मदद करना अलग बात है. आप पकड़ कर उसे पुलिस के हवाले करें, बस. सजा देने का अधिकार आपको किसने दिया.
आपको आश्चर्य होगा की जैसे ही हम अपनी पोस्ट लिखकर कमरे मे गए तो इंडिया टी.वी.पर दिखा रहे थे अमृतसर मे एक १०-११ साल के बच्चे को लोग बाल से खीचकर और बीच-बीच मे चपत लगाते जा रहे थे।
कानून की तो शायद इन्हें जरुरत ही नही है।