क्या हम और आप चुन सकते है राष्ट्रपति ?
आज कल हर न्यूज़ चैनल और अखबार मे बस यही खबर होती है कि कौन होगा भारत का अगला राष्ट्रपति ?पर क्या हमारे आपके या किसी के कहने से कुछ होता है। हर रोज नयी-नयी बातें सुनने को मिलती है या तो प्रतिभा पाटिल के खिलाफ या शेखावत के खिलाफ। हर राजनैतिक पार्टी इसी कोशिश मे है की किस उम्मीदवार को कितना नीचा दिखाया जा सकता है। इससे पहले तो कभी भी इतना ज्यादा विवाद सुनने को नही मिला था वो भी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के खिलाफ।
क्या इस तरह से कुछ या बहुत कुछ कहने से या खबरों को दिखाने से राष्ट्रपति के चुनाव मे कोई फर्क पड़ेगा ?
ये वैसे तो हमारी सोच है कि इन सभी तरह की खबरों और खुलासों से कुछ भी होने वाला नही है क्यूंकि जिन्हे राष्ट्रपति चुनना है उन लोगों पर शायद ही ऐसी बातों का असर पडता है। और हमारे उम्मीदवारों की सेहत पर भी कोई असर नही पड़ता है। ये तो हम सभी जानते है।
अब जब भारत के प्रधानमंत्री ही कहे कि प्रतिभा पाटिल के खिलाफ कोई सीधा केस नही है तो दुनिया कुछ भी कहे क्या फर्क पड़ता है। वैसे भी भाई-भतीजा वाद भला कोई जुर्म है जिसके लिए हम या आप या कोई भी उन्हें राष्ट्रपति पद से वंचित कर सके।
बाबा लोगों का आर्शीवाद लेना कितना महत्वपूर्ण है इससे तो कोई इनकार ही नही कर सकता है क्यूंकि अगर शायद ये बाबा लोग नही होते तो इन राजनेताओं का क्या होता । कौन इनकी नैया पार लगाता ? और फिर अगर प्रतिभा पाटिल या शेखावत ने किसी बाबा द्वारा की जा रही किसी पूजा मे भाग ले लिया तो हम और आप क्यों परेशान होते है। परेशान तो तब होना चाहिऐ जब हमारे हाथ मे कुछ हो। जब सारा देश ही ऐसे ही चल रहा है तो फिर इसमे हम क्यों अपना दिल जलायें ।
हो सकता है कि आप कहें कि भाई हम एक जागरूक नागरिक है और कम से कम आवाज तो उठा ही सकते है तो ये तो सोलह आने सही है क्यूंकि आवाज उठाने के अलावा हम लोग कुछ नही कर सकते है ?
क्या इस तरह से कुछ या बहुत कुछ कहने से या खबरों को दिखाने से राष्ट्रपति के चुनाव मे कोई फर्क पड़ेगा ?
ये वैसे तो हमारी सोच है कि इन सभी तरह की खबरों और खुलासों से कुछ भी होने वाला नही है क्यूंकि जिन्हे राष्ट्रपति चुनना है उन लोगों पर शायद ही ऐसी बातों का असर पडता है। और हमारे उम्मीदवारों की सेहत पर भी कोई असर नही पड़ता है। ये तो हम सभी जानते है।
अब जब भारत के प्रधानमंत्री ही कहे कि प्रतिभा पाटिल के खिलाफ कोई सीधा केस नही है तो दुनिया कुछ भी कहे क्या फर्क पड़ता है। वैसे भी भाई-भतीजा वाद भला कोई जुर्म है जिसके लिए हम या आप या कोई भी उन्हें राष्ट्रपति पद से वंचित कर सके।
बाबा लोगों का आर्शीवाद लेना कितना महत्वपूर्ण है इससे तो कोई इनकार ही नही कर सकता है क्यूंकि अगर शायद ये बाबा लोग नही होते तो इन राजनेताओं का क्या होता । कौन इनकी नैया पार लगाता ? और फिर अगर प्रतिभा पाटिल या शेखावत ने किसी बाबा द्वारा की जा रही किसी पूजा मे भाग ले लिया तो हम और आप क्यों परेशान होते है। परेशान तो तब होना चाहिऐ जब हमारे हाथ मे कुछ हो। जब सारा देश ही ऐसे ही चल रहा है तो फिर इसमे हम क्यों अपना दिल जलायें ।
हो सकता है कि आप कहें कि भाई हम एक जागरूक नागरिक है और कम से कम आवाज तो उठा ही सकते है तो ये तो सोलह आने सही है क्यूंकि आवाज उठाने के अलावा हम लोग कुछ नही कर सकते है ?
Comments
शानू
आप राष्ट्रपति तो नही चुनते पर आप 2009 में स्टेबिलिटी ला सकते हैं? जिससे इस समय की कवायद ही बेमानी हो जाये.