कंप्यूटर की छुट्टी माने ब्लॉगिंग की छुट्टी
जी हम ये अनुभव की बात बता रहे है और शायद आप लोग सहमत भी हो।आज हम करीब आठ -दस दिन बाद पोस्ट लिख रहे है वो इसलिये क्यूंकि हमारा कंप्यूटर कुछ बीमार या यूं कहे की कुछ खराब हो गया था ,पहले तो लगा था की शायद अब ये ठीक ही नही हो पायेगा क्यूंकि बेचारा काफी पुराना जो हो गया है। और आजकल तो हर पल नयी -नयी टेक्नोलॉजी आ रही है पर खैर नेहरू प्लेस जिंदाबाद।
नेहरू प्लेस एक ऐसी जगह है जहाँ कंप्यूटर की हर बीमारी का इलाज हो जाता है तो हम भी अपने बेटे के साथ कंप्यूटर को लेकर पहुंच गए और एक दुकान पर दिखाया तो दूकानदार बोला कि ठीक तो हो जाएगा पर चार सौ लगेगा और ढाई घंटे बाद मिलेगा। वो चार सौ ऐसे बोला मानो हम उससे फ्री मे ठीक करने को बोल रहे हो और ढाई घंटे सुनकर भी जरा अजीब लगा क्यूंकि आम तौर पर लोग दो या चार या शाम को कंप्यूटर मिलेगा कहते है। खैर हमने बेटे से कहा कि अब शाम को ही आया जाएगा क्यूंकि उन दिनों गरमी बहुत पड़ रही थी।इस पर बेटे ने कहा की आप क्यों बार-बार आएँगी ,मैं अपने दोस्तों के साथ चला जाऊंगा और कंप्यूटर ले आऊंगा । तो शाम को जब बेटा दुकान पर पहुँचा तो दूकानदार ने कहा कि अभी तो पता ही नही चल पाय है की प्रॉब्लम क्या है। इसलिये एक दिन बाद कंप्यूटर लेने आना। जब बेटा एक दिन बाद गया तो पता चला कि प्रॉब्लम तो पता ही नही चल रही है। फिर उसने कहा कि u.s.b.कार्ड लगा देते है जिससे शायद कंप्यूटर काम करना शुरू कर देगा। खैर बेटे ने फ़टाफ़ट वहीँ से कार्ड खरीद कर लगवाया और दुकान पर कंप्यूटर चल भी गया । घर पर भी चल गया तो हमने भी चेन कि सांस ली कि चलो अब तो कोई दिक्कत नही आएगी पर जो हम सोचते है वो होता नही है। अभी हम और बेटा खुश हो ही रहे थे कि चलो कंप्यूटर चल गया कि वापस फिर से कंप्यूटर उड़ गया। हम लोग समझ ही नही पाए कि अब क्या करें। इस बार तो लगा कि अब हमारा कंप्यूटर ठीक होने से रहा क्यूंकि इतनी जल्दी-जल्दी खराब जो हो रहा था। जरा सा चलाया नही कि reset हो जाता था ,बड़ी मुश्किल से reset होने की बीमारी ठीक हुई।
और जब सब कुछ ठीक हो गया तो पता चला की नेट ही नही चल रहा है क्यूंकि बकौल m.t.n.l के हमारा बिल नही भरा गया था तो पहले बेटा गया m.t.n.l.के ऑफिस तो वहां बैठे हुए आदमी ने उसको ये कहकर टाल दिया की बिल नही भरा है और जब उसने कहा की बिल तो नेट से सात जून को भर दिया गया है तो उस आदमी ने बेटे से कहा की प्रूफ़ लाओ। तो दुसरे दिन हम बेटे के साथ गए m.t.n.l.के ऑफिस और जब हमने पूछा की नेट नही चल रहा है जबकी बिल पहले ही दिया जा चुका है तो उसने हमसे भी कहा की प्रूफ़ क्या है? और कहा की प्रूफ़ लाइये। पर फिर कुछ सोच कर बोला की क्यूंकि आप लेडी है इसलिये हम आपको एक नंबर देते है वहां बात कर लीजिये। जब हमने वहां फ़ोन किया तो फ़ोन उठाने वाली महिला ने हमे एक और नम्बर दिया ये कहते हुए की बिल नेट से पे किये जाते है उन्हें उसके बारे मे पता होता है। हमने सोचा की अब आज तो काम होने से रहा पर चलते-चलते हमने उस आदमी से कहा की जो नम्बर उसने दिया था वहां से बात नही हो पायी है तो उसने जब फ़ोन मिलाया तो फ़ोन मिल गया और जिसे हमने पूरा डिटेल बताया और सब तारीख ,ट्रांसिक्शन नम्बर वगैरा तो उसने कन्फर्म किया की बिल तो भरा जा चुका है तब उस आदमी ने कहा कि २-३ घंटे बाद नेट चल जाएगा।
शाम को नेट चल गया तो हम भी पोस्ट लिखने बैठे पर ये क्या अभी कुछ लाइने लिखी ही थी की फिर कंप्यूटर बंद हो गया। अब तो हमे पक्का यकीन हो गया की अब ये कंप्यूटर चल ही नही पायेगा पर हमारा कंप्यूटर भी अपनी ही तरह का है कल रात मे अचानक फिर ठीक हो गया और अभी तक ठीक चल रहा है।
नेहरू प्लेस एक ऐसी जगह है जहाँ कंप्यूटर की हर बीमारी का इलाज हो जाता है तो हम भी अपने बेटे के साथ कंप्यूटर को लेकर पहुंच गए और एक दुकान पर दिखाया तो दूकानदार बोला कि ठीक तो हो जाएगा पर चार सौ लगेगा और ढाई घंटे बाद मिलेगा। वो चार सौ ऐसे बोला मानो हम उससे फ्री मे ठीक करने को बोल रहे हो और ढाई घंटे सुनकर भी जरा अजीब लगा क्यूंकि आम तौर पर लोग दो या चार या शाम को कंप्यूटर मिलेगा कहते है। खैर हमने बेटे से कहा कि अब शाम को ही आया जाएगा क्यूंकि उन दिनों गरमी बहुत पड़ रही थी।इस पर बेटे ने कहा की आप क्यों बार-बार आएँगी ,मैं अपने दोस्तों के साथ चला जाऊंगा और कंप्यूटर ले आऊंगा । तो शाम को जब बेटा दुकान पर पहुँचा तो दूकानदार ने कहा कि अभी तो पता ही नही चल पाय है की प्रॉब्लम क्या है। इसलिये एक दिन बाद कंप्यूटर लेने आना। जब बेटा एक दिन बाद गया तो पता चला कि प्रॉब्लम तो पता ही नही चल रही है। फिर उसने कहा कि u.s.b.कार्ड लगा देते है जिससे शायद कंप्यूटर काम करना शुरू कर देगा। खैर बेटे ने फ़टाफ़ट वहीँ से कार्ड खरीद कर लगवाया और दुकान पर कंप्यूटर चल भी गया । घर पर भी चल गया तो हमने भी चेन कि सांस ली कि चलो अब तो कोई दिक्कत नही आएगी पर जो हम सोचते है वो होता नही है। अभी हम और बेटा खुश हो ही रहे थे कि चलो कंप्यूटर चल गया कि वापस फिर से कंप्यूटर उड़ गया। हम लोग समझ ही नही पाए कि अब क्या करें। इस बार तो लगा कि अब हमारा कंप्यूटर ठीक होने से रहा क्यूंकि इतनी जल्दी-जल्दी खराब जो हो रहा था। जरा सा चलाया नही कि reset हो जाता था ,बड़ी मुश्किल से reset होने की बीमारी ठीक हुई।
और जब सब कुछ ठीक हो गया तो पता चला की नेट ही नही चल रहा है क्यूंकि बकौल m.t.n.l के हमारा बिल नही भरा गया था तो पहले बेटा गया m.t.n.l.के ऑफिस तो वहां बैठे हुए आदमी ने उसको ये कहकर टाल दिया की बिल नही भरा है और जब उसने कहा की बिल तो नेट से सात जून को भर दिया गया है तो उस आदमी ने बेटे से कहा की प्रूफ़ लाओ। तो दुसरे दिन हम बेटे के साथ गए m.t.n.l.के ऑफिस और जब हमने पूछा की नेट नही चल रहा है जबकी बिल पहले ही दिया जा चुका है तो उसने हमसे भी कहा की प्रूफ़ क्या है? और कहा की प्रूफ़ लाइये। पर फिर कुछ सोच कर बोला की क्यूंकि आप लेडी है इसलिये हम आपको एक नंबर देते है वहां बात कर लीजिये। जब हमने वहां फ़ोन किया तो फ़ोन उठाने वाली महिला ने हमे एक और नम्बर दिया ये कहते हुए की बिल नेट से पे किये जाते है उन्हें उसके बारे मे पता होता है। हमने सोचा की अब आज तो काम होने से रहा पर चलते-चलते हमने उस आदमी से कहा की जो नम्बर उसने दिया था वहां से बात नही हो पायी है तो उसने जब फ़ोन मिलाया तो फ़ोन मिल गया और जिसे हमने पूरा डिटेल बताया और सब तारीख ,ट्रांसिक्शन नम्बर वगैरा तो उसने कन्फर्म किया की बिल तो भरा जा चुका है तब उस आदमी ने कहा कि २-३ घंटे बाद नेट चल जाएगा।
शाम को नेट चल गया तो हम भी पोस्ट लिखने बैठे पर ये क्या अभी कुछ लाइने लिखी ही थी की फिर कंप्यूटर बंद हो गया। अब तो हमे पक्का यकीन हो गया की अब ये कंप्यूटर चल ही नही पायेगा पर हमारा कंप्यूटर भी अपनी ही तरह का है कल रात मे अचानक फिर ठीक हो गया और अभी तक ठीक चल रहा है।
Comments
एक बार इस मुए कंप्यूटर, नेट और उपर से ब्लॉग लिखने/पढ़ने का चस्का लग जाए तो इनके बिना कुछ अधूरा सा लगने लगत है!
दुआ है कि आपका कंप्यूटर और नेट सही सलामत चलता है और हम आपका लिखा यूं ही पढ़ते रहें!
बाकि मैं MTNL कार्यालय वालों को भुगत चुका हूँ, आम सरकारी रवैये में वे ऐसे ही बात करते हैं कि जैसे सर्विस प्रदान कर एहसान कर रहे हैं। इनको उच्च सरकारी पद की पहुँच वाला ही सही जवाब दे सकता है!!
बस ईश्वर से दुआ करते हैं कि भले ही रुक रुक कर मगर चलते रहें आपके कम्प्यूटर महाराज!! शुभकामनायें.
अच्छा? अरे वाह, आपने तो बहुत अच्छी बात बताई, हमको तो पता ही नहीं था। पहले बताना था ना उन्मुक्त जी, तो मेरे दोस्त के 2000 रूपए बच जाते। वो क्या है ना कि उसके कंप्यूटर की RAM खराब हो गई थी, इसलिए कंप्यूटर चलना बन्द हो गया था। अब लिनेक्स डला होता तो RAM बदलवाने की जरूरत नहीं पड़ती, नहीं? ;)
आज से सबको यही सलाह दी जाएगी, लिनेक्स के जोर से हार्डवेयर का टंटा ही खत्म, बेचारे नेहरू प्लेस, लैमिंगटन रोड आदि वाले, धंधा मंदा हो जाएगा उनका!! ;)
कदापी नहीं चलेगा..
प्रार्थना करते है, आपके कम्प्युटर महाराज का स्वास्थय बना रहे.
आपका कहना सही है कि हार्डवेर के लिये लिनेक्स हल नहीं है न ही मैं लिनेक्स का हल बताना चाहूंगा पर मेरे विचार से वाइरस की मुश्किलों का या फिर pirated सॉफ्टवेर प्रयोग करने से लिनेक्स का प्रयोग करना बेहतर है।
इसी तरह का एक कटु सत्य:
http://lakhnawi.blogspot.com/2006/11/blog-post_27.html
और रही बात इंटरनैट की तो हमारे छोटे शहर में एक BSNL और Sify ही ब्रॉडबैंड सेवा देते हैं। Sift की स्पीड कम होती है और कीमत ज्यादा इसलिए मजबूरन BSNL का Dataone ही प्रयोग करना होता है,वो अगर एक बार खराब हो जाए तो पता नहीं कि कब ठीक होगा। अभी तीन दिन तक खराब रहा था कल ही ठीक हुआ। भगवान जाने इन दिक्कतों से कब छुटकारा मिलेगा।