इलाहाबाद की कुछ तसवीरें
आज हम इलाहाबाद की कुछ तस्वीरें लगा रहे है। कुछ मायनों मे इलाहाबाद बिल्कुल भी नही बदला है पर कुछ मायनों मे हम कह सकते है कि इलाहाबाद कुछ बदल गया है। इसका अंदाजा आपको फोटो देख कर भी हो जाएगा।
जैसे आज भी वहां इक्का,तांगा,चलता है। आज भी ऊंट पर तरबूज लेकर बाजार मे जाया जाता है। और इतने ज़माने बाद भी हनुमान मंदिर मे लडकी दिखाने का system चला आ रहा है। अरे ये हम आंखों देखा बता रहे है परसों हम अपनी भतीजी के साथ मंदिर गए थे तो वहां कोई लड़के वाले लडकी को देखने आये थे । जिसे देख कर हमारी भतीजी ने सवाल पूछा कि बुआ हनुमान जी तो ब्रह्मचारी थे तो फिर उनके मंदिर मे लड़कियां देखने का system क्यों है ? और हां वो जैप्नीज पार्क मे जो ग्रे रंग का हाथी होता था वो अब काले रंग का हो गया है।
इसमे इक्का दिख रहा है जो आज भी चलता है।
ये इलाहाबाद का ट्रेडमार्क रिक्शा जो सिर्फ और सिर्फ इलाहाबाद मे ही दिखता है ।
ये सुबह साढे छे बजे मौरनिंग वाक् पर जाने से पहले ली गयी है, एक साथ करीब दस -बारह ऊंट एक के बाद एक चढाई चढ़ते हुए बहुत ही सुन्दर लगते थे।
ये कंपनी बाग़ मे स्थापित चंद्रशेखर आजाद की नयी मूर्ति है।
ये ग्रैंड होटल गजद्ज़ की जगह पर बना है अरे वही जहाँ किसी ज़माने मे बहुत ही अच्छी आइस-क्रीम मिला करती थी। अरे याद आया कि नही। (trafic delight)
इस पिक्चर हॉल को पहचाना ,ये पुराना प्लाजा पिक्चर हॉल है जो अब राज करन नाम से जाना जाता है।
अब इलाहाबाद मे भी मॉल system शुरू हो रहा है। जैसे आप इस फोटो मे बिग बाजार को देख सकते है। और इसके बेसमेंट मे बड़ी-बड़ी कम्पनियों के शोरूम है। साथ ही आप mcdonald भी देख सकते है।
ये इलाहाबाद का साइंस कालेज है ।
इसमे टाँगे मे सवार लोग देख सकते है। ये बसंती के टाँगे से कम नही है।
इस फोटो मे तो बीते हुए कल और आज को आप बखूबी देख सकते है मतलब पहले तो सिर्फ मिटटी के सादे घड़े और गुल्लक वगैरा बनती थी पर अब उन्हें रंग भी दिया जाता है।
जैसे आज भी वहां इक्का,तांगा,चलता है। आज भी ऊंट पर तरबूज लेकर बाजार मे जाया जाता है। और इतने ज़माने बाद भी हनुमान मंदिर मे लडकी दिखाने का system चला आ रहा है। अरे ये हम आंखों देखा बता रहे है परसों हम अपनी भतीजी के साथ मंदिर गए थे तो वहां कोई लड़के वाले लडकी को देखने आये थे । जिसे देख कर हमारी भतीजी ने सवाल पूछा कि बुआ हनुमान जी तो ब्रह्मचारी थे तो फिर उनके मंदिर मे लड़कियां देखने का system क्यों है ? और हां वो जैप्नीज पार्क मे जो ग्रे रंग का हाथी होता था वो अब काले रंग का हो गया है।
इसमे इक्का दिख रहा है जो आज भी चलता है।
ये इलाहाबाद का ट्रेडमार्क रिक्शा जो सिर्फ और सिर्फ इलाहाबाद मे ही दिखता है ।
ये सुबह साढे छे बजे मौरनिंग वाक् पर जाने से पहले ली गयी है, एक साथ करीब दस -बारह ऊंट एक के बाद एक चढाई चढ़ते हुए बहुत ही सुन्दर लगते थे।
ये कंपनी बाग़ मे स्थापित चंद्रशेखर आजाद की नयी मूर्ति है।
ये ग्रैंड होटल गजद्ज़ की जगह पर बना है अरे वही जहाँ किसी ज़माने मे बहुत ही अच्छी आइस-क्रीम मिला करती थी। अरे याद आया कि नही। (trafic delight)
इस पिक्चर हॉल को पहचाना ,ये पुराना प्लाजा पिक्चर हॉल है जो अब राज करन नाम से जाना जाता है।
अब इलाहाबाद मे भी मॉल system शुरू हो रहा है। जैसे आप इस फोटो मे बिग बाजार को देख सकते है। और इसके बेसमेंट मे बड़ी-बड़ी कम्पनियों के शोरूम है। साथ ही आप mcdonald भी देख सकते है।
ये इलाहाबाद का साइंस कालेज है ।
इसमे टाँगे मे सवार लोग देख सकते है। ये बसंती के टाँगे से कम नही है।
इस फोटो मे तो बीते हुए कल और आज को आप बखूबी देख सकते है मतलब पहले तो सिर्फ मिटटी के सादे घड़े और गुल्लक वगैरा बनती थी पर अब उन्हें रंग भी दिया जाता है।
Comments
थोडी बडी साइज़ की लगाती तो और मजा आता. :)
from- deepakbapukahin
आपने जिस मॉल की फोटो दिया है,वह संभवतः सिविल लाईन्स में बना है, दारागंज, मुट्ठीगंज और कटरा की तस्वीरें देतीं तो परंपरागत इलाहाबाद की ज्यादा झलक मिलती.
http://lakhnawi.blogspot.com