आरामे बंदिश 😝

इस महीने जब से हमने अपनी हैल्पर को बुलाना शुरू किया तो हमें आरामे बंदिश टाइप वाली फीलिंग आती रहती है ।

अरे मतलब उसके आने से जहाँ हमें बर्तन धोने से छुट्टी होने से आराम है तो वहीं उसके रहते हम पर बंदिश भी रहती है ।

किचन में मत जाओ ड्राइंग रूम या डाइनिंग रूम में जाने से परहेज़ करो ।

अब वो क्या है ना जब सुबह वो आती है तो जितनी देर वो काम करती है उतनी देर हम अपने कमरे में ही रहते है आराम फ़रमाते टाइप से ।

क्या करें छ फ़ीट की दूरी जो बनानी है लिहाज़ा जितनी देर वो किचन में बर्तन वग़ैरा धोती रहती है तो हम अंदर ही रहते है ।

और कभी कभी तो लगता है कि उफ़ क्या मुश्किल है कि उसके रहते हम किचन में चाय तक बनाने नहीं जा सकते है । मतलब अगर उसके काम करते चाय पीने का मन हो तो भी नहीं बना सकते है । उसके जाने का इंतज़ार करना पड़ता है ।

एक बंधन या यूँ कहें अपने ऊपर एक तरह की बंदिश लगी सी महसूस होती है ।

सुबह और शाम दोनों समय की चाय उसके आने के पहले ही बनाकर कमरे में आ जाते है और जब वो चली जाती है तब ही कमरे से बाहर निकलते है ।

और उसके रहते जितनी बार कमरे से निकलो तो मास्क से लैस होकर निकलो ।

कभी कभी उसके आने से अपने ही घर में स्वतन्त्र रूप से घर में चलना फिरना मुहाल सा हो जाता है ।

और तब हम इस कोरोना को कोसे बिना नहीं रहते है जिसकी वजह से हमें ये सब परेशानी झेलनी पड़ रही है ।

अब क्या करें उसके और हमारे दोनों के लिये ही यही सही है ।

और अभी तो ऐसे ही चलेगा भी ।

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