ख़त्म होती सहनशीलता

आज सुबह पेपर में एक ख़बर पढ़कर हम ये सोचने लगे कि आख़िर अब लोगों में सहनशीलता ख़त्म क्यूँ होने लगी है । जरा सा कुछ हुआ नहीं कि बस धाँय से गोली चला दी ।

पालतू कुत्ते को पत्थर मारने की सज़ा मौत । क्योंकि कुत्ते को भौंकने से रोकने और दौड़ाने से रोकने के लिये उस आदमी ने कुत्ते को पत्थर मारा । ऐसा अखबार में लिखा है ।

माना कि उसे पत्थर नहीं मारना चाहिये था पर क्या पत्थर मारने की इतनी बड़ी सज़ा देना कि सीधे गोली मार कर इंसान की जान ही ले लेना , ठीक है ।

और सबसे अजीब बात इस ख़बर में ये लगी कि जिस कुत्ते के लिये आदमी की जान ली उसे ही छोड़कर गोली मारने वाला और उसका पूरा परिवार भाग गये । अरे भाई कम से कम उस बेज़ुबान जानवर को तो अपने साथ ले जाते ।

आजकल लोगों में बर्दाश्त की कमी होती जा रही है । जरा जरा सी बात पर लोग गोली चला देते है और सबसे आश्चर्य की बात ये है कि जिसे देखो उसके पास रिवाल्वर होती है । पहले तो रिवाल्वर रखने के लिये लाइसेंस की ज़रूरत होती थी पर लगता है अब तो कोई भी रिवाल्वर रख सकता है ।

इंसान की जान की कोई क़ीमत नहीं है जबकि ये कहा और माना जाता है कि अगर आप किसी को जीवन दे नहीं सकते तो उसका जीवन लेने का हक़ आपको नहीं है । पर आज के समय में ये बात लोग नहीं मानते है । बल्कि ऐसा लगता है इंसान की जान सबसे सस्ती है ।

Comments

Popular posts from this blog

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

जीवन का कोई मूल्य नहीं

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन