छब्बीस जनवरी आई है

आज छब्बीस जनवरी है तो सबसे पहले तो आप सबको गणतन्त्र दिवस की बधाई ।

पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर हर स्कूल में खूब सारे फ़ंक्शन होते थे । और इसके लिये स्कूल की टीचर और स्टूडेंट्स मिलकर तैयारी करते थे । डाँस ,स्पोटर्स देशभक्ति से ओत प्रोत गीत ,कविता पाठ सब होता था । और जब सब प्रोग्राम ख़त्म होते थे तो लड्डू मिलते थे । 😋

बचपन में तो हम लोग गणतन्त्र दिवस और स्वतन्त्रता दिवस का खूब इंतज़ार करते थे । वैसे इंतज़ार तो हम आज भी इन दिनों का करते है बस फ़र्क़ इतना है कि अब टी.वी. पर परेड का इंतज़ार करते है ।

ऐसे ही स्कूल के समय का एक वाक्या है । हम लोगों की एक सीनियर दीदी थी और उन्होंने अपना नाम कविता पाठ के लिये लिखाया था । और जब वो स्टेज पर कविता पढ़ने आई तो उन्होंने सबसे पहले सभी टीचर और प्रिंसिपल को सम्बोधित करते हुये अपना कविता पाठ शुरू किया ।

छब्बीस जनवरी आई है ,छब्बीस जनवरी आई है ।

इस एक लाइन को उन्होंने नौ रस के अंदाज में पढ़ा था ।

और उसके बाद अचानक ही उन्होंने श्रृंगार रस में अपनी आवाज़ को बहुत ही सॉफ़्ट करते हुये पढ़ा छब्बीस जनवरी आई है ।

फिर अचानक ठहाका सा लगाते हुये मतलब हास्य रस के अंदाज में हा हा हा छब्बीस जनवरी आई है ।

और इसी तरह उन्होंने बाक़ी रसों जैसे अद्भुत रस , शांत रस , रौद्र रस , करूण रस ,वीर रस ,भयानक रस , वीभत्स रस में छब्बीस जनवरी आई है । पढ़ा ।

और हम सभी स्टूडेंट्स को उनका इस अंदाज से कविता पाठ करना बहुत पसंद आया था और हम सबका हँसते हँसते बुरा हाल हो गया था ।

यक़ीन ना हो तो इस एक लाइन छब्बीस जनवरी आई है को अलग अलग रस में स्वयं बोलकर देखिये । 😁




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