एक नेता अटल बिहारी बाजपेयी जी

जैसा कि हम सभी जानते है कि कल शाम पाँच बज कर पाँच मिनट पर हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी जी ने अंतिम साँस ली थी । और आज उनको पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जा रही है ।

यूँ तो हम राजनीति से दूर है पर बाजपेयी जी का नाम और तारीफ़ लोगों से हमेशा सुनी है । जनसंघ वाले ज़माने में तो खैर हम छोटे थे पर इमर्जेंसी के दौरान धर्मयुग और वीकली जैसी मैगज़ीन में इन के जेल में बंद होने की और बाद में जेल से रिहा होने पर की बातें और लेख बहुत पढ़े थे ।

बाद में इन्होंने भारतीय जनता पार्टी बनाई और बाजपेयी जी तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे भले पहली बार तेरह दिन तो दूसरी बार ग्यारह महीने के लिये प्रधानमंत्री बने थे पर तीसरी बार पूरे पांच साल के लिये प्रधानमंत्री रहे थे पर २००४ में इंडिया शाइनिंग का बहुत प्रचार प्रसार होने के बाद भी चुनाव हार गये थे । कभी भी किसी के लिये भले ही वो विपक्ष के नेता हों या कोई और उन्होंने कभी भी किसी के लिये अपशब्द नहीं इस्तेमाल किये थे ।

बाजपेयी जी की कवितायें जो बहुत ही सरल भाषा में होती थी और जिसे हर कोई समझ सकता था ।

आओ मिलकर दिया जलायें , भला कौन इस कविता को भूल सकता है ।

या जैसे उनका हाथ हिलाकर ये अच्छी बात नहीं है कहना ।

जब बाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे और जब वो सदन में अपने अभिभाषण में बोलते थे तो टी.वी. पर सुनने में बहुत अच्छा लगता था और इस समय तक तो हम भी कुछ कुछ राजनीति के बारे में जानने भी लग गये थे । पाकिस्तान बस सेवा शायद उन्होंने ही शुरू की थी और वो ख़ुद बस में बैठकर गये थे ।

बाजपेयी जी बहुत ही शांत और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे । हालाँकि २००९ में बीमार होने के बाद से वो राजनीति से बिलकुल दूर हो गये थे ।

तो आज की पोस्ट हमारी उनको श्रद्धांजली के रूप में समर्पित । 🙏





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