स्कूल रीयूनियन की ख़ुमारी
रीयूनियन का मतलब साल भर का रिचार्ज ये तो हमने अपनी पिछली पोस्ट में लिखा ही था । चलिये आज एक बार फिर से उन तीन दिनों की बात कुछ विस्तार से करते है ।
वैसे पोस्ट थोड़ी लम्बी हो गई है तो धैर्य से पढ़ें 😊
चालीस साल बाद पिछले साल जब हम लोग अपने शहर इलाहाबाद के अपने स्कूल गये थे और तभी ये सोचा गया कि कम से कम साल में एक बार हम सब ज़रूर मिला करेंगे । और ये भी तय हुआ था कि हर साल कोई नये शहर में हम लोग अपना रीयूनियन किया करेंगे । कयोकि रीयूनियन के बाद पूरा साल उस समय के फ़ोटो और वीडियो देखते देखते बीत जाता है और अगला रीयूनियन आ जाता है । 😊
पिछले साल के रीयूनियन की ख़ुमारी अभी उतरी भी ना थी कि इस साल के रीयूनियन का समय नज़दीक आ गया । महीनों प्लानिंग होती रही । कई प्रोग्राम बने और बिगड़े । कभी गोवा तो कभी जयपुर भी सोचा गया । पर बाद में दिल्ली में रखने का निश्चित हुआ ताकि सभी को आसानी रहे । फिर सबके एकसाथ रूकने का इंतज़ाम करना । और रूकने के लिये ऐसी जगह हम लोगों को चाहिये होती है जहॉं हम सब लड़कियाँ ( हँसने की ज़रूरत नहीं है उस दौरान हम सब बिलकुल स्कूल गर्ल बन जाती है ) बिना रोकटोक के शोर शराबा कर सकें ,और नाच गा सके । 💃😀
खैर दिल्ली में दो फ़्लोर का गेसट हाउस द हरमिटेज बुक किया गया और २७ की सुबह से सबका दिल्ली आगमन शुरू हुआ । सबसे पहले दुबई से अलका दिल्ली पहुँची ,उसके बाद इलाहाबाद से अनामिका , मधुरिमा, रेवती दिल्ली पहुँची जिन्हें जगाती ने रिसीव किया ।थोड़ी देर बाद जाह्नवी और मधुलिका बनारस से दिल्ली आई जिन्हें गुप्ता ने रिसीव किया ।
फिर जामनगर (गुजरात ) से सुषमा और शशि दिल्ली पहुँची जिन्हें सहाय ने रिसीव किया । और उसके बाद अर्चना हैदराबाद से और बिन्दु अहमदाबाद से दिल्ली पहुँची । हम सब मतलब तीन ममता ,कनक,साधना , उमा हम सब भी गेसट हाउस पहुँचे और सबके स्वागत के लिये सुबह से पंखे पर गुलाब की पंखुड़ियाँ डाल कर तैयारी कर रखी थी पर जब सब आ गये तो पंखे के नीचे एकसाथ खडे होकर पंखा चलाया गया और बहारों फूल बरसाओ हुआ । 😊
और फिर शुरू हुआ एक एक करके गिफ़्ट लेने देने का सिलसिला । मधुरिमा ने बहुत ही सुंदर कढ़ाई का बैग दिया और सबसे अच्छी बात कि इस बैग में धीरे धीरे करके सबके लाये हुये ढेर सारे गिफ़्ट समा गये जिसमें मधुलिका और जाह्नवी का लाया हुआ बनारसी दुपट्टा, सुषमा का लाया हुआ गुजराती लहरिया दुपट्टा , शशि का ख़ूबसूरत सा ज्वैलरी बॉक्स, रेवती का सुंदर सा छोटा पर्स और उसमें रखे क्यूट से लाफिंग गुददा ,अर्चना की नेल पॉलिश और लिपस्टिक को हर कोई बार बार बदलता कि हमें ये रंग नहीं हमें दूसरा रंग चाहिये । अलका ने सबको दुबई की शान बुर्ज ख़लीफ़ा का प्यारा सा मेमेंटो गिफ़्ट दिया । शुभा ने सबको ऋी ऋी रविशंकर जी का डिवाइन परफ़्यूम गिफ़्ट किया ।
बस हम दिल्ली वालों ने रात में गिफ़्ट दिया । सबसे पहले ममता गुप्ता ने सबको पिछले साल की तरह इस बार भी दिल खोलकर लिपस्टिकऔर नेल पॉलिश ( गोल्डन )गिफ़्ट में दी । और लिपस्टिक में हर किसी को लगता कि दूसरे का कलर ज़्यादा अच्छा है और इसलिये हर कोई दूसरे का कलर लेना चाहता । किसी को लाल तो किसी को ऑरेंज कलर चाहिये था । और तो और अगले साल कौन सा कलर चाहिये हमने तो ये भी बता दिया है । 😛
खैर रात में हम लोगों ने भी आगरा से मंगवाये हुये मार्बल के कोस्टर और डाँस के लिये सबको टियारा गिफ़्ट किया । साधना ने सबको बेहद ख़ूबसूरत कंगन और कड़े दिये । कनक ने सबको प्यारी सी हेयर क्लिप दी । उमा ने सबकी सेहत अच्छी रहे इसलिये बादाम दिये । 💪
और फिर शुरू हुआ धमाल । पहले तो लहरियाँ दुपट्टा पहनकर डाँस और फिर टियारा पहनकर मस्त होकर खूब डाँस किया गया । एक से एक गाने और उनपर हम सबका मदमस्त होकर नाचना । और जब थोड़ा एनर्जी कम होने लगती तो रात में चिप्स और मिठाई के साथ चाय का दौर चलता ।
पहले खूब घूमने फिरने का प्रोग्राम बनाया जा रहा था पर बाद में साथ रहकर समय बिताना ही सबका मेन मक़सद बन गया । सुबह जागने से लेकर रात तक सिर्फ़ बातें नाच गाना और खाना और कुछ भी बोलकर ज़ोर से ठहाके लगाकर हँसना ।
चूंकि हम लोग इस्कॉन मंदिर के पास रुके थे तो एक दिन वहाँ दर्शन किया और वहीं गोविन्दा में खाना खाया । कुछ लोगों ने लाजपत नगर से खूब शॉपिंग की । और शॉपिंग का ऐसा चसका लगा कि एक दिन नहीं दो दिन शॉपिंग करने गई । 😜
रोज़ रात में सब लोग दो या तीन बजे सोते थे ।पर सब सुबह जल्दी जाग भी जाते थे । पहली रात तो नाच गाने में गुज़री , दूसरी रात कुछ बहुत ही अनछुये और रोमांचक विषय पर बात करते हुये बीती और तीसरी रात जीवन में झेले गये दुख सुख पर बातें करते हुये बीती । इस बीच दिन भर अनगिनत बार चाय पीना ,मिठाई खाना । 😛
सुषमा जो कि बहुत ही प्यारी आर्यतारा की दादी बनी है हम सबके लिये ख़ासतौर पर सिठौरा बनवाकर लाई थी और जिसे खाते ही हम सब सोहर गाने लगते थे और ऐसा एक बार नहीं बार बार करते । जब सिठौरा खाते तो कोई ना कोई सोहर गाने लगता और बाक़ी सब उसका गाने में साथ देते थे ।
चार दिन कैसे बीते पता ही नहीं चला ।
तो दोस्तों (सिमरनों ) याद रखना साल के चार दिन रीयूनियन के नाम । 😋
Comments