रीयूनियन मतलब रिचार्ज
जी हाँ रीयूनियन मतलब साल भर का रिचार्ज
कहना ग़लत नहीं होगा क्योंकि जब हम सब स्कूल फ़्रेंड्स मिलते हैं तो हम सब बिलकुल स्कूल गर्ल बन जाते है । वही अल्हड़पन , बेबात ही खिलखिलाना ,बोलना कम और हँसना ज़्यादा । और हर किसी का अपनी बात सुनाने के लिये ज़ोर ज़ोर से बोलना । सोना कम जागना ज़्यादा । वैसे नींद तो सबकी उड़ सी गई थी क्योंकि सबको ये लग रहा था कि कहीं कोई बात मिस ना हो जाये ।
पिछले कुछ महीनों से इस रीयूनियन की तैयारी चल रही थी । रहने की जगह ढूँढने से लेकर घूमने कहां कहाँ जाना है तो डिनर का ड्रेस कोड क्या हो सब कुछ रोज़ बदलता । कभी चोखी ढाडी का कार्यक्रम बनता तो कभी प्रेसिडेंट हाउस तो कभी दिल्ली हाट का प्रोग्राम बनता । पर जब सब लोग गेसट हाउस में इकट्ठा हुये तो हर कोई बस एक साथ ही रहना चाहता था । और हर लम्हे को पूरी तरह से जी लेना चाहता था ।
एक महीने पहले रहने की जगह द हैरमिटेज को फ़ाइनल किया गया और परिक्रमा जो कि कनॉट प्लेस का रिवॉल्विंग रेस्टोरेंट है को भी बुक किया गया क्योंकि बीस लोगों के लिये तो पहले से बुकिंग करनी पड़ती है वरना मुश्किल हो जाता वहाँ डिनर करना । पर जब हम सब लाल रंग के ड्रेस कोड में सजधज कर परिक्रमा पहुँचे तो एक अलग ही नज़ारा था । पूरा परिक्रमा लालिमा युक्त हो गया था ।
गेसट हाउस में बिलकुल ऐसा माहौल था मानो कोई शादी ब्याह हो सब लोग एक दूसरे को तैयार होने के लिये आवाज़ लगाते ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर आते जाते रहते । कोई किसी की माला तो कोई किसी का दुपट्टा पहन रहा होता । और जब तैयार होकर बाहर निकलते तो किस कार में कौन जायेगा और इस सबमें हम सब खूब ख़ुश और उत्साहित से थे । कार चलते ही सेल्फ़ी लेना और गुरूप पर पोस्ट करना ।
हर कोई गिफ़्ट लाया था और सारे गिफ़्ट देखकर ख़ुशी से झूमना । लिपिस्टिक और नेल पॉलिश के रंग बार बार बदलना । जो एक को पसंद आये वैसा ही दूसरे को भी लेने का मन होता । दुपटटों को तुरन्त ओढ़कर नाचना । टियारा पहनकर मदमस्त होकर झूमना नाचना ।
गेसट हाउस में हम सब दीन दुनिया से बेख़बर अपने ही नाच गाने में मस्त थे । कोई भी गाना हो हर कोई डाँस के लिये तैयार कभी गरबा तो कभी यूँ ही मटकते रहना । हाँ कुछ लड़कियों को बार बार डाँस करने के लिये खींचना भी पड़ता था । बीच बीच में किसी किसी की नक़ल उतारने का भी सिलसिला चलता । 😀
चूँकि हम बीमारी से उठे थे तो हर कोई हमारा खयाल रख रहा था कि हम ज़्यादा स्ट्रेन ना करें या बहुत ज़्यादा डाँस ना करे । पर हम कहाँ मानते थे तब सब चिल्लाती कि तुम बैठ जाओ वरना तुम्हारी तबियत ख़राब हो जायेगी । और ये सुनकर बहुत अच्छा लगता था ।
वैसे सबके परिवार , पति और बच्चे भी तारीफ़ के हक़दार है क्योंकि उन लोगों के सहयोग से ही हम लोगों का रीयूनियन बहुत सफल रहा । हर कोई अपना घर बार छोड़कर आई थी पर किसी के भी पति ने कोई रोकटोक नहीं की ।
और इसीलिये ये तय हुआ कि पूरा साल परिवार,पति और बच्चों के लिये बस चार दिन स्कूल रीयूनियन के नाम । क्योंकि ये चार दिन पूरे साल के लिये हम सबको पूरी तरह से रिचार्ज कर देते है । 😛
अमरीश पुरी का वो डायलॉग तो याद ही होगा जा सिमरन जी ले अपनी जिंदगी । 😋
कहना ग़लत नहीं होगा क्योंकि जब हम सब स्कूल फ़्रेंड्स मिलते हैं तो हम सब बिलकुल स्कूल गर्ल बन जाते है । वही अल्हड़पन , बेबात ही खिलखिलाना ,बोलना कम और हँसना ज़्यादा । और हर किसी का अपनी बात सुनाने के लिये ज़ोर ज़ोर से बोलना । सोना कम जागना ज़्यादा । वैसे नींद तो सबकी उड़ सी गई थी क्योंकि सबको ये लग रहा था कि कहीं कोई बात मिस ना हो जाये ।
पिछले कुछ महीनों से इस रीयूनियन की तैयारी चल रही थी । रहने की जगह ढूँढने से लेकर घूमने कहां कहाँ जाना है तो डिनर का ड्रेस कोड क्या हो सब कुछ रोज़ बदलता । कभी चोखी ढाडी का कार्यक्रम बनता तो कभी प्रेसिडेंट हाउस तो कभी दिल्ली हाट का प्रोग्राम बनता । पर जब सब लोग गेसट हाउस में इकट्ठा हुये तो हर कोई बस एक साथ ही रहना चाहता था । और हर लम्हे को पूरी तरह से जी लेना चाहता था ।
एक महीने पहले रहने की जगह द हैरमिटेज को फ़ाइनल किया गया और परिक्रमा जो कि कनॉट प्लेस का रिवॉल्विंग रेस्टोरेंट है को भी बुक किया गया क्योंकि बीस लोगों के लिये तो पहले से बुकिंग करनी पड़ती है वरना मुश्किल हो जाता वहाँ डिनर करना । पर जब हम सब लाल रंग के ड्रेस कोड में सजधज कर परिक्रमा पहुँचे तो एक अलग ही नज़ारा था । पूरा परिक्रमा लालिमा युक्त हो गया था ।
गेसट हाउस में बिलकुल ऐसा माहौल था मानो कोई शादी ब्याह हो सब लोग एक दूसरे को तैयार होने के लिये आवाज़ लगाते ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर आते जाते रहते । कोई किसी की माला तो कोई किसी का दुपट्टा पहन रहा होता । और जब तैयार होकर बाहर निकलते तो किस कार में कौन जायेगा और इस सबमें हम सब खूब ख़ुश और उत्साहित से थे । कार चलते ही सेल्फ़ी लेना और गुरूप पर पोस्ट करना ।
हर कोई गिफ़्ट लाया था और सारे गिफ़्ट देखकर ख़ुशी से झूमना । लिपिस्टिक और नेल पॉलिश के रंग बार बार बदलना । जो एक को पसंद आये वैसा ही दूसरे को भी लेने का मन होता । दुपटटों को तुरन्त ओढ़कर नाचना । टियारा पहनकर मदमस्त होकर झूमना नाचना ।
गेसट हाउस में हम सब दीन दुनिया से बेख़बर अपने ही नाच गाने में मस्त थे । कोई भी गाना हो हर कोई डाँस के लिये तैयार कभी गरबा तो कभी यूँ ही मटकते रहना । हाँ कुछ लड़कियों को बार बार डाँस करने के लिये खींचना भी पड़ता था । बीच बीच में किसी किसी की नक़ल उतारने का भी सिलसिला चलता । 😀
चूँकि हम बीमारी से उठे थे तो हर कोई हमारा खयाल रख रहा था कि हम ज़्यादा स्ट्रेन ना करें या बहुत ज़्यादा डाँस ना करे । पर हम कहाँ मानते थे तब सब चिल्लाती कि तुम बैठ जाओ वरना तुम्हारी तबियत ख़राब हो जायेगी । और ये सुनकर बहुत अच्छा लगता था ।
वैसे सबके परिवार , पति और बच्चे भी तारीफ़ के हक़दार है क्योंकि उन लोगों के सहयोग से ही हम लोगों का रीयूनियन बहुत सफल रहा । हर कोई अपना घर बार छोड़कर आई थी पर किसी के भी पति ने कोई रोकटोक नहीं की ।
और इसीलिये ये तय हुआ कि पूरा साल परिवार,पति और बच्चों के लिये बस चार दिन स्कूल रीयूनियन के नाम । क्योंकि ये चार दिन पूरे साल के लिये हम सबको पूरी तरह से रिचार्ज कर देते है । 😛
अमरीश पुरी का वो डायलॉग तो याद ही होगा जा सिमरन जी ले अपनी जिंदगी । 😋
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