अंदाज़ा नहीं था कि फ़ूड प्वाइजनिंग

जानलेवा भी हो सकती है ।

यूँ तो टी.वी. में और अखबार में जब तब फ़ूड प्वाइजनिंग की ख़बरें पढ़ते और देखते ज़रूर थे पर कभी सोचा ना था कि हम भी इसके शिकार हो सकते है । पर हमारे सोचने से क्या होता है जब इसकी चपेट में आये तब समझ आया कि ये कितनी ख़तरनाक और जानलेवा भी हो सकती है ।

दो हफ़्ते पहले हम किसी पार्टी में गये थे और पार्टी में खा पीकर घर आ गये । चूँकि वहाँ लंच देर से हुआ था तो रात में घर पर खिचड़ी बनाई क्योंकि हम लोगों का पेट भरा भरा लग रहा था । खैर खिचड़ी खाकर सोये तो रात में हमें कुछ खाँसी सी आने लगी तो हमने सोचा कि खाँसी ज़ुकाम हो रहा है ।

पर जब सुबह उठे तो बहुत ही अजीब सा लग रहा था और फिर थोड़ी देर में उलटी हुई जिसके बाद हमें आराम मिला और हम नॉरमल महसूस करने लगे । और हमने नाश्ता भी किया । पर अभी ज़रा देर ही हुई कि हमारा पेट भी ख़राब होने लगा । तो हमे लगा कि कुछ नुक़सान तो किया है जिसकी वजह से ये सब हो रहा है । पर समझ नहीं पा रहे थे ।


खैर दिन में तीन चार बार ऐसे ही चला हम इलेक्ट्राल पानी में मिलाकर पीते रहे और बार बार वॉशरूम भी जाते रहे । साथ ही दवा भी खाई पर कुछ असर नहीं हो रहा था । हाँ पैरीनॉम खाने से उलटी ज़रूर रूक गई थी पर पेट का तब भी बुरा हाल था । और दवाई असर नहीं कर रही थी । पतिदेव ने हॉस्पिटल चलने को कहा पर हमने टाल दिया कि अभी दवा ली है ठीक हो जायेंगे ।

शाम होते होते हमारा ब्लड प्रेशर काफ़ी नीचे हो गया और हम क़रीब क़रीब ड्राऊजी (बेहोश) से होने लगे और कुछ ठंडे भी हो गये थे । तब हमें मीठे नींबू पानी में डेढ़ चम्मच नमक डालकर पिलाया गया जिससे हमारी आँख बिलकुल खुल गई और हम पूरी तरह से चैतन्य हो गये और ये सोचकर हॉस्पिटल गये कि बस एक आध घंटे में वापिस घर आ जायेगें पर वहाँ इमर्जेंसी में पहुँचने पर डाक्टर ने हमें ये कहकर कि ६-८ घंटे में छोड़ देगें हमें एडमिट कर लिया ।

फिर ६-८ घंटे क्या चार दिन तक हम अस्पताल में ही रह गये और वहीं पता चला कि हमें सीवियर फ़ूड प्वाइजनिंग हो गई थी । वैसे हमें तब भी कोई अन्दाज़ा नहीं था कि हम कितने ज़्यादा बीमार हो गये थे । वो तो घर आकर जब हमने अपनी सारी रिपोर्ट अपनी डाक्टर दीदी को भेजी तो उसने हमें पहले इसलिये खूब डाँटा कि हमने उसे पहले क्यूँ नहीं फोन कर के बताया और बाद में दीदी ने बताया कि फ़ूड प्वाइजनिंग की वजह से हमारे बाक़ी सिस्टम पर भी असर पड़ रहा था जो कि हमारे लिये ख़तरनाक भी हो सकता था । ये सुनकर तो हमारे होश ही उड़ गये थे जबकि हम इस बीमारी को बहुत ही हल्के में ले रहे थे ।

खैर अब तो सबक़ ले लिया कि बीमारी में समय ज़्यादा देर टालना नहीं चाहिये बल्कि जल्दी ही दवा और अगर ज़रूरत पड़े तो फ़ौरन हॉस्पिटल जाना चाहिये वरना बीमारी जानलेवा भी हो सकती है ।



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