गंगा गोमती ट्रेन का ऐसा हाल
फरवरी मे हम कुछ दिनों के लिए इलाहाबाद गए थे और वहां से हमने लखनऊ अपनी दीदी के यहां जाने का कार्यक्रम बनाया था। अब इलाहाबाद से लखनऊ जाने के लिए गंगा गोमती ट्रेन ठीक होती है।हालाँकि इस ट्रेन को पकड़ने मे सुबह पूरी बर्बाद हो जाती है। क्यूंकि ६ बजे की ट्रेन के लिए ५ बजे ही उठाना जो पड़ता है। :) और इसमें एक और प्रोब्लम है कि ये ट्रेन प्रयाग स्टेशन पर बस २ मिनट रूकती है जबकि ज्यादा जनता प्रयाग से ही इस ट्रेन मे चढ़ती है ।
तो हम लोगों ने ए.सी.चेयर कार का टिकट बुक किया। और ट्रेन के समय स्टेशन पर पहुँच गए और इंतज़ार करने लगे।उस दिन अपनी किस्मत ही खराब थी अचानक ही ट्रेन आने से चंद मिनट पहले खूब आंधी और बारिश शुरू हो गयी और जब ट्रेन आई तो पता चला कि ए.सी. वाला कोच एकदम पीछे है। जबकि कुली ने कहा था कि ए.सी.कोच जहाँ हम लोग खड़े थे , वहीँ आता है।
खैर जब तक हम लोग कोच तक पहुंचे तो ट्रेन ने धीरे-धीरे चलना शुरू कर दिया था । एक तो बारिश ऊपर से चलती हुई ट्रेन और कुली उसी चलती ट्रेन मे सामान चढाने लगा और जो हम लोगों को बैठाने गया था वो बोला दीदी आप लोग चढ़ जाइए । तो हम लोगों ने कहा कि सामान मत चढाओ ट्रेन जाने दो। हम लोग इस तरह चलती ट्रेन मे नहीं चढ़ेंगे। पर उस ट्रेन मे यात्रा करना लिखा था सो ट्रेन १ मिनट बाद ही रुक गयी और फिर हम लोग ट्रेन मे सवार हो गए।
और जब थोड़ी देर बाद हम अपनी सीट पर settle हुए तो हमारा ध्यान अपनी कुर्सी के सामने बनी मेज की तरफ गया और उसकी हालत देख कर अफ़सोस भी हुआ कि किस तरह से उस फोल्डिंग मेज को एक लोहे की क्लिप से बंद किया हुआ था। यही नहीं बाथ रूम मे वाश बेसिन मे पानी तो था नहीं उस पर नल भी ठीक नहीं था।(साबुन तो कभी होता नहीं है )
जहाँ रोज ही रेलवे मिनिस्ट्री एक नई ट्रेन चलती है वहां ट्रेन की ऐसी हालत देख कर गुस्सा और दुःख हुआ । जब हम बाथरूम की ये वाली फोटो खींच रहे थे तो वहां खड़े कुछ लोग हमें आश्चर्य से देख रहे थे कि भला इसकी फोटो खींचने का क्या फायदा ।:)
तो हम लोगों ने ए.सी.चेयर कार का टिकट बुक किया। और ट्रेन के समय स्टेशन पर पहुँच गए और इंतज़ार करने लगे।उस दिन अपनी किस्मत ही खराब थी अचानक ही ट्रेन आने से चंद मिनट पहले खूब आंधी और बारिश शुरू हो गयी और जब ट्रेन आई तो पता चला कि ए.सी. वाला कोच एकदम पीछे है। जबकि कुली ने कहा था कि ए.सी.कोच जहाँ हम लोग खड़े थे , वहीँ आता है।
खैर जब तक हम लोग कोच तक पहुंचे तो ट्रेन ने धीरे-धीरे चलना शुरू कर दिया था । एक तो बारिश ऊपर से चलती हुई ट्रेन और कुली उसी चलती ट्रेन मे सामान चढाने लगा और जो हम लोगों को बैठाने गया था वो बोला दीदी आप लोग चढ़ जाइए । तो हम लोगों ने कहा कि सामान मत चढाओ ट्रेन जाने दो। हम लोग इस तरह चलती ट्रेन मे नहीं चढ़ेंगे। पर उस ट्रेन मे यात्रा करना लिखा था सो ट्रेन १ मिनट बाद ही रुक गयी और फिर हम लोग ट्रेन मे सवार हो गए।
और जब थोड़ी देर बाद हम अपनी सीट पर settle हुए तो हमारा ध्यान अपनी कुर्सी के सामने बनी मेज की तरफ गया और उसकी हालत देख कर अफ़सोस भी हुआ कि किस तरह से उस फोल्डिंग मेज को एक लोहे की क्लिप से बंद किया हुआ था। यही नहीं बाथ रूम मे वाश बेसिन मे पानी तो था नहीं उस पर नल भी ठीक नहीं था।(साबुन तो कभी होता नहीं है )
जहाँ रोज ही रेलवे मिनिस्ट्री एक नई ट्रेन चलती है वहां ट्रेन की ऐसी हालत देख कर गुस्सा और दुःख हुआ । जब हम बाथरूम की ये वाली फोटो खींच रहे थे तो वहां खड़े कुछ लोग हमें आश्चर्य से देख रहे थे कि भला इसकी फोटो खींचने का क्या फायदा ।:)
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sayad railway vibhaag jaag jaye