तीसरा स्कूल रीयूनियन ( चाफी में कैंप फ़ायर )

चाफी से अगले दिन हम लोग सातताल ,नौकुचिया ताल और भीमताल घूमने गये । हालाँकि मौसम बहुत गड़बड़ था बहुत बादल छाये हुये थे पर फिर भी हम लोग घूमने निकले और सात ताल में हम लोग आराम से घूम लिये । वैसे भी किसी को वहाँ बोटिंग तो करनी नहीं थी और बूंदी बांदी शुरू सी हो रही थी तो तकरीबन आधा घंटा वहाँ बिताकर और फ़ोटो खींच खांचकर हम लोग नौकुचिया ताल की ओर चल दिये ।


नौकुचिया ताल पर जब हम लोग पहुँचे वहाँ तभी बस बारिश रूकी थी ।और इस वजह से वहाँ थोड़ा किच किच सा था पर जैसे ही हम लोग ताल की ओर बढ़े तो बत्तखों का झुंड दिखाई दिया । बत्तखें भी बहुत समझदार जैसे ही वो लोगों को देखती है तो बस क्वैक क्वैक करती हुई आ जाती है ताकि लोग उन्हें चने खिलायें ।



तो लाज़मी था कि जब बत्तखें हम लोगों की तरफ़ आई तो हम लोग उन्हें चने खिलाये । हमने भी चने ख़रीदे और हाथ से खिलाने में यूँ ते डर लग रहा था कि कहीं बत्तख काट ना ले पर फिर हिम्मत करके हाथ से चने खिलाये तो बड़ा मजा आया और हमने एक बार और चने ख़रीदकर बत्तखों को खिलाये ।( बीस रूपये में एक दोना चने देता है बेचने वाला ) और लौटकर गरमागरम भुट्टे हम लोगों ने खाये । और भीमताल के लिये चल पडे ।



नौकुचिया ताल से बस पाँच मिनट की दूरी पर एक मनोकामना पूर्ति हनुमान जी का मन्दिर पड़ता है जहाँ हनुमान जी की बहुत विशालकाय मूर्ति है । वहाँ से दर्शन करते हुये हम लोग भीमताल की ओर चले पर भीमताल में बारिश होने लगी थी तो वहाँ हम लोग ज़्यादा देर नहीं रूके ।एक तो कीचड़ और उस पर छाता सम्भालो । बस कुछ लोगों ने गोलगप्पे खाये और सबने चाय और चिप्स वग़ैरा खाये । और वापिस चाफी की ओर चल पड़े । ☔️


चाफी में रात में कैंप फ़ायर का प्रोग्राम था पर बारिश होती देखकर लग रहा था कि शायद वो कैंसिल करना पड़ेगा पर भगवान ने कृपा करी और अचानक एकदम से बारिश रूक गई और धूप निकल आई तो लगा कि चलो अब तो रात में कैंप फ़ायर हो सकता है बशर्ते और बारिश ना हो ।



रात में रिसॉरट वालों ने लकड़ी लगाई और चारों ओर सबके बैठने के लिये मोढे लगाये और लकड़ी जलाने का प्रयास शुरू हुआ पर लकड़ी थोड़ी सीली होने से जलाना मुश्किल हो रहा था और जब मिट्टी का तेल डालकर जलाते तो कुछ ही मिनट जलती या जलते ही बुझ जाती थी ।


पर हम सब कैंप फ़ायर के मूड में थे तो उस जलती बुझती आग के चारों ओर घूम घूम कर नाचते गाते रहे । और तो और सबने सोलो परफ़ॉर्मेंस भी दिया । और पूरे ग्रुप के लिये थ्री चियरस भी किया गया । और फ़ोटो और वीडियो ना बने ऐसा भला कहां हो सकता है । 😜


और इस तरह दो दिन चाफी में बिताकर अगले दिन नैनीताल जाने की तैयारी में हम लोग लग गये ।


नोट -- एक बात हम ज़रूर कहना चाहेंगें कि अगर चाफी नहीं देखा तो नैनीताल क्या देखा । 😃


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