तीसरा स्कूल रीयूनियन

चौंकिये मत एक बार फिर इस साल सितम्बर में हम स्कूल फ्रैंड्स नैनीताल में रीयूनियन के लिये इकट्ठा हुये थे । हालाँकि नैनीताल जाने का प्लान पिछले यानि २०१८ में ही बन गया था क्योंकि सभी लोग कुछ अलग जगह जाना चाहते थे ।

वैसे इस साल के रीयूनियन में कई बार झटके लगे और एक समय तो ऐसा लगने लगा था कि कहीं इस बार का रीयूनियन कैंसिल ही ना करना पडे । पर वो कहते है ना कि अंत भला तो सब भला । मतलब हम लोगों का रीयूनियन सफल रहा । 😊

अब नैनीताल जाना कोई आसान काम तो था नहीं । क़िस्मत से हम लोगों की एक दोस्त जगाती नैनीताल से ही है और जिसकी वजह से हम लोगों को बहुत सहूलियत रही ।


वैसे नैनीताल जाने के लिये हम लोगों की तकरीबन पाँच छ: महीने या यूँ कहें कि साल भर की प्लानिंग थी । क्योंकि हम सब अलग अलग जगह से इकट्ठा होने थे जैसे किसी को मुम्बई से तो कुछ लोग इलाहाबाद से तो कोई कानपुर से तो किसी को बनारस से आना था ,किसी को बिहार से तो कुछ को दिल्ली और गुरूग्राम से तो किसी को हैदराबाद तो कोई नागपुर से तो किसी को दुबई से आना था । कुछ को छुट्टी लेनी थी तो कुछ को घर बार की ज़िम्मेदारी थी पर कोई भी एक साल में एक बार होने वाले रीयूनियन को छोड़ना नहीं चाहता था । हालाँकि कुछ लोगों को ये रीयूनियन छोड़ना पड़ा अपनी कुछ परेशानियों की वजह से ।


नैनीताल के लिये जाने के लिये सबसे पहले तो ट्रेन का टिकट बुक करवाना बहुत ज़रूरी था क्योंकि बाद में ट्रेन में बारह पन्द्रह लोगों का एक साथ टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है और इसलिये जून में ही टिकट बुक करवा लिये गये और ऐसे में हम सबकी दोस्त जगाती ने बहुत मदद की क्योंकि उसने नैनीताल से ही आने और जाने दोनों टिकट करवा लिये थे । 👍


नैनीताल का चार दिन का प्रोग्राम था जिसमें दो दिन हम लोग चाफी रिसॉरट में रूकने वाले थे और दो दिन नैनीताल के एवरेस्ट होटल में ।

बाहर से दिल्ली आने वाले एक दिन पहले ही दिल्ली आ गये थे क्योंकि दिल्ली से काठगोदाम हम लोग शताब्दी से जा रहे थे जो सुबह ६.२० पर चलती है । तय दिन पर सभी लोग सुबह सबेरे पाँच बजे के लगभग ही स्टेशन पहुँच गये क्योंकि कोई भी देर से पहुँचना नहीं चाहता था और इसकी एक वजह यह भी थी कि कोई भी एक मिनट का मजा छोड़ना नहीं चाहता था ।


स्टेशन पर पहुँचते ही फ़ोटो सेशन होने लगा और चूँकि सुबह का वक़्त था तो प्लेटफार्म पर ज़्यादा भीड़भाड़ भी नहीं थी । खैर ट्रेन आने पर सब लोग अपना अपना सामान लेकर चले तो पर ट्रेन में सामान चढ़ाना हम सबके लिये जरा मुश्किल हो रहा था क्योंकि क़ुली सामान को स्टेशन पर पहुँचाकर ही चला गया था ये कहकर कि आप लोगों की ट्रेन लगने में एक घंटा है । पर ट्रेन में जो अटेंडेंट होते है वो एक मिल गया और उसी ने हम सभी का सामान ट्रेन में भी चढ़ाया और काठगोदाम में उतारा भी । 😋


ट्रेन में बैठते ही हम लोगों ने जो हो- हल्ला शुरू किया कि बस पूछिये ही मत । अब जहाँ ग्यारह ( महिलायें )लड़कियाँ हो ( स्कूल ग्रुप में यही मानते है 😜 ) वहाँ शोर होना तो लाज़िमी है । क्यूँ कुछ ग़लत तो नहीं कहा ना ।


और एक ने तो शायद टी.टी. से भी कहा था कि हम लोग बहुत शोर कर रहे है पर इतने सारे लोगों से टी.टी. की भी हिम्मत नहीं हुई कुछ कहने की ।



वैसे ट्रेन में दिये जाने वाले चाय नाश्ते के बाद कुछ देर के लिये हर कोई थोड़ा शांत हुआ किसी ने झपकी ली तो कोई अपनी बातों में मस्त रहा । पर ज़्यादा देर नहीं क्योंकि जरा देर बाद ही किसी ने साथ लाई कचौड़ी खाने के लिये निकाल ली तो किसी ने ख़स्ता तो किसी ने पतीसा निकाला और एक बार फिर से ट्रेन में हम सबका शोर गूँजने लगा । और इसी शोर गुल के बीच हम लोग काठगोदाम पहुँच गये ।






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