नैनीताल यात्रा ( पार्ट ३ ) गोलू देवता का मन्दिर और चाय बाग़ान


इधर थोड़ा व्यस्त रहने की वजह से नैनीताल यात्रा का विवरण छूट गया था । पर चलिये आज आगे चलते है । 😊


भीमताल जाने और ट्रैफ़िक का बुरा हाल देखकर ये सोचा गया कि अगले दिन भुवाली के आस पास की जगह देखी जाये । और ऐसे में गूगल बाबा से ज़्यादा मददगार भला कौन हो सकता है । गूगल बाबा से पता चला कि जहाँ हम लोग रह रहे थे ( पाइन ओक ) वहाँ से चाय बाग़ान और गोलू देवता का मन्दिर बस दो-तीन कि.मी. की दूरी पर ही है ।


तो अगले दिन हम लोग पहले चाय बाग़ान देखने गये । जहां टिकट बीस रूपये का था । टिकट लेकर जब चाय बाग़ान में गये तो थोड़ा निराश हुये क्यों कि गूगल पर फ़ोटो में चाय बाग़ान काफ़ी बड़ा लग रहा था और हमें भी लगा था कि चाय बाग़ान बड़ा सा होगा पर वहाँ एक छोटे से एरिया को बस पर्यटकों के लिये खोला हुआ था बाक़ी सारा बंद था ।और चूँकि उस दिन रविवार था तो बाग़ान में पत्तियाँ तोड़ती हुई बाग़ान की महिलायें नहीं दिखी । 😏


और इसलिये वहाँ बमुश्किल पन्द्रह मिनट हम लोग रहे । क्योंकि वहाँ घूमने के लिये ज़्यादा कुछ था ही नहीं । हाँ हर कोई उसी जरा से एरिया में अलग अलग पोज देकर फ़ोटो खींच और खिंचा रहे थे । हमने भी कुछ फ़ोटो खींचीं थी । 😊



चाय बाग़ान से निकल कर हम लोग गोलू देवता के मन्दिर गये ।पहाड़ी की घुमावदार सड़क से मन्दिर तक पहुँचे । वहाँ पहुंचकर पता चला कि मन्दिर थोड़ा ऊँचाई पर है लिहाज़ा सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ेगी । वैसे सीढ़ियाँ काफ़ी चौड़ी चौड़ी और कम ऊँचाई की है जिसकी वजह से चढ़ना आसान है । पर हाँ एक साथ फटाफट चढ़ने में साँस फूल सकती है । वैसे पाँच सात मिनट ही लगता है मन्दिर के प्रांगण तक पहुँचने में । जैसे ही सीढ़ियाँ चढ़ना शुरू करते है तो कोई हनुमान जी का रूप रखे नज़र आता है तो कहीं मोर पंख लिये झाड़ने वाली नज़र आती है ।


जैसे ही मन्दिर पहुँचते है कि चारों ओर तरह तरह की छोटी बड़ी घंटियाँ बंधी हुई दिखाई देती है । ना केवल घंटियाँ बल्कि बडे बडे घंटे भी बँधे हुये दिखते है । एक जगह तो घंटियों के साथ लोगों ने अपनी अपनी चिट्ठी भी संलग्न की हुई है । ऐसा माना जाता है कि लोग गोलू देवता से मन्नत माँगते है और मन्नत पूरी होने पर घंटी चढ़ाते है । मन्दिर में जहाँ भी नज़र जाती है बस हर तरफ़ घंटियाँ ही नज़र आती है ।


मन्दिर में दर्शन के लिये तो लम्बी लाइन लगी थी तो सोचा कि थोड़ी देर में लाइन कम हो जायेगी इसलिये हमने पहले चारों ओर से मन्दिर घूमा और वहीं मन्दिर के पीछे की तरफ़ शादी की तैयारी भी होती देखी । सभी औरतें नाक में पारम्परिक बड़ी बड़ी नथ पहने हुये बहुत सुन्दर लग रही थी । और उतनी सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद दूल्हा कह रहा था कि आज का तो कार्डियो हो गया । 😀


मन्दिर में दर्शन के लिये चूँकि लाइन ख़त्म ही नही हो रही थी और हमें भी दर्शन करना था सो हम भी लाइन में लग गये और बीस मिनट बाद जब गोलू देवता के मन्दिर के सामने पहुँचे तो मन्दिर के दरवाज़े के सामने दो तीन पंडित एक साथ दस बारह लोगों को बैठाकर नाम गोत्र वग़ैरा पूछकर एक सामूहिक सी पूजा टाइप से करवा रहे थे । पाँच मिनट की पूजा के बाद देवता को प्रणाम करके प्रसाद लेकर बाहर निकले तो एक तरफ़ घंटियों का कूड़े की तरह का ढेर देखकर दुख भी हुआ ।


मन्दिर में भी फ़ोटो वग़ैरा खींचकर हम लोग वापिस चल पड़ें और न्यू पूर्णिमा रेस्टोरेन्ट में बढ़िया शाकाहारी खाना खाकर वापिस घर आ गये । 😋

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