नैनीताल यात्रा एक अनुभव (पार्ट १)

कुछ दिन पहले हम नैनीताल गये थे । अब आप कहेंगे कि नैनीताल जाना भला कौन सी बड़ी बात है । गरमी की छुट्टियों मे तो हमेशा लोग नैनीताल ,मसूरी शिमला और मनाली वग़ैरह घूमने जाते ही है । तो भला इसमें नई बात क्या है ।


दरअसल काफ़ी समय से लोग कहते थे कि अब सड़कें बहुत अच्छी बन गई है और अब सड़क से यात्रा करना बहुत आरामदायक हो गया है । और वैसे भी नैनीताल गये हमें पच्चीस तीस साल हो गये थे । लिहाज़ा सोचा गया कि इस साल नैनीताल घूमकर आया जाये ।


नैनीताल से पहले भुवाली पड़ता है जहाँ हमारे पतिदेव के दोस्त का घर है और वो पिछले तीन चार साल से हम लोगों को कह रहे थे कि हम लोग भुवाली और नैनीताल घूमने आये और उनके घर पर रूकें । तो हम लोगों ने भी मन बनाया और नैनीताल जाने की तैयारी की और चल पड़े । 🚘

सुबह साढ़े सात बजे घर से चले और तकरीबन एक घंटे में हम लोग ग़ाज़ियाबाद पहुँच गये । हम बडे ख़ुश थे कि वाक़ई सड़कें बहुत अच्छी बन गई है ।

अरे पर ये क्या अभी तो हमने अच्छी सड़क की तारीफ़ ही की थी कि अचानक ही गड्ढा युक्त ( गड्ढा मुक्त नहीं 😒 ) सड़क शुरू हो गई और हमें बैठे बैठे हिंडोले का मजा मिलने लगा । हँसिये मत जिसपर बीतती है वही जानता है । ☹️


हिचकोले खाते हुये कार आगे बढ़ने लगी और हमने चैन की सांस ली ही थी कि एक निर्माणाधीन फ़्लाई ओवर के पास पहुँचते ही कार एक बार फिर रूक गई । और जिस फ़्लाई ओवर वाली जगह को पार करने में मुश्किल से दस मिनट लगता वहीं उसे पार करने में घोंघे की गति से पैंतालीस मिनट लग गया ।

और इसका एक कारण ये भी था कि एक तो चारों तरफ़ छोटी बड़ी कारें, बसें,टेम्पो , और ट्रक थे और हर कोई जल्दी में था नतीजा कोई भी रूकने को तैयार नहीं था । और उस पर उलटा चलने वाले बाइक और स्कूटर सवार जिन्हें किसी का डर ही नहीं ।


जैसे तैसे वहाँ से निकले कि एक बार फिर से ट्रैफ़िक जाम में फँस गये । क्यों कि एक और फ़्लाई ओवर पर काम चालू था । राम राम करके उस ट्रैफ़िक जाम से निकले । और आगे बढ़े तो सड़क दिखाई दी वरना तो सिर्फ़ गाड़ियाँ ही गाड़ियाँ दिख रही थी ।


खैर आगे सड़क और ट्रैफ़िक दोनों ही ठीक रहा । हालाँकि रामपुर से काठगोदाम के रास्ते में भी सड़क बीच बीच में ख़राब थी पर चूँकि ट्रैफ़िक ज़्यादा नहीं था इसलिये ज़्यादा महसूस नहीं हुआ ।



काठगोदाम पहुँचते ही हमने बेटे से कहा कि बस नैनीताल आ ही गया समझो क्यों कि यहाँ से तो भुवाली बस तीस कि. मी. ही है । आधे घंटे या चालीस मिनट में पहुँच जायेंगें ।


अरे पर ये क्या जैसे ही कार दो सौ मीटर आगे बढ़ी और चढ़ाई पर कार पहुँची कि बस कार खड़ी हो गई और पहाड़ की गोल सड़क पर बस कारें ही कारें नज़र आ रही थी । समझ तो गये ही होंगें कि वहाँ भी लम्बा ट्रैफ़िक जाम लगा हुआ था ।


अब खड़ी कार में जैसे ही गूगल देखा तो न्यूज़ अपडेट आया कि सभी पहाड़ों पर नैनीताल ,मसूरी ,शिमला हर जगह भारी भीड़ और पाँच छ: कि.मी. का लम्बा ट्रैफ़िक जाम लगा है । ये ख़बर पढ़कर तो और भी लगने लगा कि बेकार ही नैनीताल घूमने आये । पर अब तो कोई चारा नहीं था सिवाय ट्रैफ़िक जाम में इंतज़ार करने के अलावा ।


खैर चूँकि हम लोगों को भुवाली जाना था इसलिये हम लोग भीमताल वाले रास्ते से गये थे जहाँ शायद ट्रैफ़िक थोड़ा बेहतर था पर तब भी तीस कि.मी. का रास्ता तीन घंटे में पूरा किया । इंच इंच करके गाड़ियाँ जो चल रही थी ।


जहाँ नैनीताल दो तीन बजे पहुँच जाना चाहिये था वहीं हम लोग तकरीबन छ: बजे भुवाली पहुँचे । और चैन की साँस ली ।


पता है आप लोग भी इसे पढ़ते पढ़ते थक गये होंगें इसलिये बाक़ी की बातें बाद में । 😋




Comments

Popular posts from this blog

जीवन का कोई मूल्य नहीं

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन