इतने छोटे बच्चों को टयूशन

आजकल की दौड़ती भागती जिंदगी में लगता है पेरेंटस के पास समय की बहुत अधिक कमी सी होने लगी है । और इसका एक कारण शायद ये है कि आज कल दोनों पेरेंटस नौकरीपेशा होते है । और इसी वजह से लगता है कि नई पीढ़ी के माता पिता छोटे छोटे बच्चों के लिये टयूशन की बात करते है ।


पर कक्षा दस या बारहवीं में अगर बच्चे टयूशन लेते है तो बात समझ में आती है क्योंकि इन क्लास की साइंस और मैथ्स पढ़ाना थोड़ा मुश्किल होता है । पर क्लास वन के लिये टयूशन की बात हमारी समझ से परे है ।


हमारे एक ग्रुप पर अकसर मायें ऐसी क्वैरी लगाती दिखती है कि कोई अच्छी टयूशन क्लास या कोई अच्छा टयूशन टीचर बतायें क्लास वन के बच्चे के लिये ।

और ये पढ़कर हम सोच में पड़ जाते है कि कया आजकल की मां अपने क्लास वन में पढ़ने वाले बच्चे को भी नहीं पढ़ा सकती है । और अगर क्लास वन या क्लास टू के बच्चे को नहीं पढ़ा सकती है तो उनके पढ़े लिखे होने का क्या फ़ायदा ।

वैसे भी क्लास वन या क्लास टू में स्कूल में क्या और कितना पढ़ाया जायेगा । होमवर्क ही तो मिलता होगा ।


आमतौर पर जो हमने देखा है कि बच्चे मैथ्स और साइंस के लिये कलास सिक्स से टयूशन पढ़ना शुरू कर देते है । हमारे बेटों ने भी टयूशन पढ़ा है पर क्लास सिक्स के बाद ।

जहाँ तक हम समझते है बच्चों के टयूशन पढ़ने में कोई बुराई नहीं है पर क्लास वन या क्लास टू के लिये टयूशन टीचर रखना हमारी समझ से परे है ।


मानते है कि बच्चे पढ़ने में बहुत परेशान करते है क्योंकि वो इतने छोटे जो होते है । हमने ख़ुद अपने दोनों बेटों को पढानें में बहुत मशक़्क़त की थी । बहुत बार ग़ुस्सा भी आता था जब वो ठीक से लिखते या बोलते नहीं थे । पर कभी टयूशन में भेजने का ख़याल ही नहीं आया था ।

जो बच्चा आधा दिन स्कूल में रहता है उसे दोबारा एक और टयूशन क्लास में भेजना कहीं उस पर ज़्यादती तो नहीं है।




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