नैनीताल यात्रा एक अनुभव ( आख़िरी पार्ट )
दो दिन भुवाली और भीमताल घूमने के बाद तीसरे दिन नैनीताल जाने का प्रोग्राम बना । उसका एक कारण यह भी था कि ये कहा जा रहा था कि सोमवार को नैनीताल जाना सम्भव होगा क्योंकि शनिवार और रविवार का जो पर्यटकों का हुजूम था वो कुछ कम हो जायेगा । अगले दिन सुबह सुबह फटाफट नाश्ता करके हम लोग साढ़े ग्यारह बजे तक नैनीताल के लिये निकले । रास्ते में कुछ ज़्यादा भीड़ भाड नहीं मिली और दो दिन पहले जहाँ से पुलिस वाले बैरियर लगाकर सबको वापिस भेज रहे थे वहाँ पुलिस वाले भी थोड़ा रिलैकस करते हुये दिखे । और मन ही मन हम ख़ुश हो रहे थे कि चलो आज तो आराम से नैनीताल पहुँच ही जायेंगे । पर जैसे ही नैनीताल दिखना शुरू हुआ और नैनीताल एक कि. मी. लिखा दिखा कि बस कार रूक गई । मतलब ट्रैफ़िक जाम की एक लम्बी सी लाइन उस घुमावदार पहाड़ी पर देखी जा सकती थी । और हम लोगों को लगा कि अब तो नैनीताल पहुँचना कहीं मुश्किल ना हो जाये । ट्रैफ़िक में खड़े खड़े जब आधा घंटा होने लगा तो कुछ लडकों ने टैक्सियों से अपना सामान लेकर पैदल चलना ही उचित समझा । और उनकी देखा देखी कुछ और लोग भी मय सामान के पैदल ही चल पड़े । और इंच इंच करके कार आगे ब...