बिलकुल नही बदली दिल्ली

३ साल पहले १६ दिसमबर के दिन जो वीभतस घटना हुई थी जिसमें निरभया (जिसका असली नाम जयोती सिंह है ) की मृत्यु हो गई थी ,पर कया आज ३ साल बाद कुछ भी बदला है । ये लिखते हुये बेहद अफ़सोस हो रहा है कि आज भी हालात में बहुत ज़्यादा फ़र्क़ नहीं हुआ बल्कि हालात ख़राब ही हुये है ।

इस वीभतस घटना के बाद ऐसा लग रहा था कि जूवीनाईल क़ानून में कुछ बदलाव किया जायेगा पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । ना तो सरकार ना ही उचच न्यायालय ना ही उच्चतम न्यायालय ने इस के लिये कुछ किया । जबकि देश का क़ानून ऐसा होना चाहिये कि अपराधी भले ही नाबालिग़ क्यों ना हो सजा तो उसे भी वही होनी चाहिये जो एक निर्मम अपराधी की होती है । जब वो अपराध करता है तो सजा का भी हक़दार है । हमारे देश का क़ानून कहता है कि भले ही गुनहगार छूट जाये पर किसी बेगुनाह को सजा नहीं होनी चाहिये पर इस केस में तो गुनहगार सामने था पर सिर्फ़ इसलिये कि वो नाबालिग़ था उसे सिर्फ़ ३ साल की सजा दी गई जो कि ठीक नहीं था । जब अपराध करते हुये उसने सबसे अधिक निर्ममता दिखाई तो फिर उसे जुवीनाईल कहकर कम सजा देना बहुत बड़ी ग़लती है ।

अब जब वो जेल से छूटने वाला है तो वो किसी की निगरानी में नहीं रहना चाहता है । अब वो अपने साथ हुये अत्याचार के बारे में बताकर कि बचपन से उसका शोषण हुआ है इसलिये वो ऐसा अपराधी बन गया । पर क्या उसका ये कहना उसके इस अपराध को कम कर देताहै ?

उस माँ- बाप और उस परिवार की पीड़ा जिसने अपनी बेटी इन लोगो के वहशीपन कारण खोई है जो आज भी सिर्फ़ न्याय के लिये लड़ रहे है । और उनका ये कहना बिलकुल ग़लत नहीं है कि इसकी क्या गारण्टी कि ये नाबालिग़ जो अब बालिग़ हो गया है वो अब दोबारा ऐसा अपराध नहीं करेगा ।इस तरह के अपराधी में मानसिकता और सोच विकृत और ख़राब होती है ।

आज भी दिल्ली में वही हाल है ,दिल्ली सरकार या केन्द्र सरकार या फिर पुलिस चाहे कितने दम भर ले कि अब महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले कम हुये है पर ऐसा बिलकुल भी नहीं है हर रोज़ न्यूज़ चैनल हो या फिर अख़बार उनमें आज भी मासूम लड़कियों के साथ इस तरह के जघनय अपराध होने के समाचार होते है ।

जब तक देश का कानून सखत नही होगा , तब तक क़ानून का डर ऐसे लोगों के दिल में नहीं होगा क्योंकि उन्हे मालूम है कि वो ऐसा निर्मम अपराध करके भी बच सकते है । इसलिये क़ानून और सजा को सख़्त करने की ज़रूरत है ।










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