नौ साल बाद दिल्ली वापिस .....
नौ साल बाद हम दिल्ली वापिस लौट आये है। नौ साल पहले जब दिल्ली से
अंडमान गए थे तब कभी सोचा नहीं था कि इतने लम्बे अरसे तक हम बाहर रहेंगे।
पहले अंडमान फिर गोवा और उसके बाद अरुणाचल प्रदेश।
नौ साल दिल्ली बाद लौटने पर लगा की दिल्ली तो बदल ही गयी है। यूँ तो दिल्ली अब फ्लाई ओवर सिटी हो गयी है और मेट्रो चलने लगी है। और पहले जहाँ ज्यादातर छोटी कारे दिखती थी अब वहीँ बड़ी-बड़ी कारें दिखाई देने लगी है। पहले जहाँ एक एक-दो मॉल होते थे वहीँ अब हर जगह मॉल खुल गए है। अब ऐसा नहीं है की इन नौ सालों में हम दिल्ली न आये हो पर दिल्ली में भीड़-भाड़ पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़ गयी है।
और दिल्ली का मौसम बाबा रे बाबा ! इतने सालों में इतनी जबरदस्त गर्मी झेलने की आदत ख़त्म हो गयी है क्यूंकि चाहे अंडमान हो या गोवा या फिर अरुणाचल सभी जगह बहुत बारिश होती है जिसकी वजह से मौसम बहुत ही सुहावना रहता था। सच हम इन जगहों का मौसम बहुत मिस करेंगे।
पर फिर भी दिल्ली दिल्ली है क्यूंकि यहाँ रहते हुए आप बाहर वाले नहीं कहलाये जाते है क्यूंकि अंडमान वाले दिल्ली वालों को mainland वाले कहते थे तो गोवा वाले non -goan और अरुणाचल में non- tribal .
वैसे भी हर जगह की अपनी ही खासियत होती है।
खैर अब चूँकि हम दिल्ली में पूरी तरह से सैटल हो गए है तो अब कोशिश रहेगी की हम वापिस जोर-शोर से ब्लॉग लिखना शुरू कर दे। :)
नौ साल दिल्ली बाद लौटने पर लगा की दिल्ली तो बदल ही गयी है। यूँ तो दिल्ली अब फ्लाई ओवर सिटी हो गयी है और मेट्रो चलने लगी है। और पहले जहाँ ज्यादातर छोटी कारे दिखती थी अब वहीँ बड़ी-बड़ी कारें दिखाई देने लगी है। पहले जहाँ एक एक-दो मॉल होते थे वहीँ अब हर जगह मॉल खुल गए है। अब ऐसा नहीं है की इन नौ सालों में हम दिल्ली न आये हो पर दिल्ली में भीड़-भाड़ पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़ गयी है।
और दिल्ली का मौसम बाबा रे बाबा ! इतने सालों में इतनी जबरदस्त गर्मी झेलने की आदत ख़त्म हो गयी है क्यूंकि चाहे अंडमान हो या गोवा या फिर अरुणाचल सभी जगह बहुत बारिश होती है जिसकी वजह से मौसम बहुत ही सुहावना रहता था। सच हम इन जगहों का मौसम बहुत मिस करेंगे।
पर फिर भी दिल्ली दिल्ली है क्यूंकि यहाँ रहते हुए आप बाहर वाले नहीं कहलाये जाते है क्यूंकि अंडमान वाले दिल्ली वालों को mainland वाले कहते थे तो गोवा वाले non -goan और अरुणाचल में non- tribal .
वैसे भी हर जगह की अपनी ही खासियत होती है।
खैर अब चूँकि हम दिल्ली में पूरी तरह से सैटल हो गए है तो अब कोशिश रहेगी की हम वापिस जोर-शोर से ब्लॉग लिखना शुरू कर दे। :)
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