नबोग्रोह मंदिर (navagraha temple)

आम तौर पर हम गौहाटी सिर्फ फ्लाईट से आने-जाने के लिए ही जाते है पर वहां रुकते नहीं थे। पर मई के शुरू मे हम ३-४ दिन के लिए गौहाटी गए थे तो जाहिर है कि जब ४ दिन रुकेंगे तो गौहाटी घूमेंगे भी। :) जब गेस्ट हाउस वाले से पूछा कि यहां क्या-क्या घूमने की जगह है तो एक सपाट सा उत्तर मिला कि कामख्या के अलावा तो ज्यादा कुछ नहीं है। मार्केट के बारे मे पूछने पर कहा कि बाजार बहुत दूर है । वो तो बाद मे पता चला कि बाजार सिर्फ १०-१२ कि.मी . दूर था जिसे वो लोग बहुत दूर कह रहे थे।
खैर हम लोग के साथ जो सज्जन गए थे उनसे हम लोगों ने एक टूरिस्ट गाइड मंगवाई और गाईड देख कर पता चला कि जैसा लोग कहते है कि यहां कुछ घूमने के लिए नहीं है वो गलत है। सो हम लोगों ने गौहाटी के मंदिरों के साथ-साथ गौहाटी का स्टेट म्यूजीयम ,आसाम ज़ू ,गौहाटी के मार्केट देखने का कार्यक्रम बनाया ।और गाईड मे एक तरफ पड़ने वाली जगहों को देखने का पूरे दिन का प्रोग्राम बना। तो सबसे पहले नबोग्रोह मंदिर देखने का निश्चित हुआ और अगले दिन सुबह-सुबह हम लोग नबोग्रोह मंदिर के लिए चल पड़े। (नबोग्रोह लिखने का ख़ास मकसद है क्यूंकि जब गेस्ट हाउस वाले से हमने नवग्रह मंदिर कहाँ है पूछा था तो उसने सुधारते हुए कहा था नबोग्रोह मंदिररास्ते मे भी जहाँ कहीं भी मंदिर का पता पूछना होता था तो नबोग्रोह कहने पर ही लोग समझते थे नवग्रह कहने पर नहीं )
नबोग्रोह मंदिर गौहाटी के पूर्व मे नवग्रह पहाड़ी पर स्थित है।और ये तकरीबन १०-१२ कि.मी.की दूरी पर है।१७५१ मे इस मंदिर की स्थापना हुई थी । यहां जाने के लिए गौहाटी हाई कोर्ट के पास से सिल्पुखारी मार्केट से होते हुए जाते है।सिल्पुखारी मार्केट मे थोडा आगे जाकर पहले बायीं ओर मुड़ते है और फिर थोड़ी दूर चलने पर दाहिनी ओर एक गेट सा बना है वहां से जैसे ही मंदिर कि ओर जाने के लिए मुड़ते है तो वहां से ढ़ाई शुरू हो जाती है।ये मंदिर भी काफी ऊंचाई पर है , वैसे गाडी यहां मंदिर तक जाती है
जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है कि इस नबोग्रोह मंदिर मे ९ ग्रह बने है। और ये ९ गृह है -- सूर्य,चन्द्रमा,मंगल,बुद्ध,गुरु,शुक्र,शनि,राहू और केतु है। इन ९ ग्रहों के बीचों बीच शिवलिंग बना है और हर ग्रह को दर्शाने के लिए ग्रह के रंग मुताबिक कपडा शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ है। पुराने समय मे इस मंदिर को ज्योतिष और अंतरिक्ष के अध्धयन के लिए महत्त्वपूर्ण माना गया था। इस नबोग्रोह मंदिर के कारण पहले गौहाटी को प्राग्ज्योतिश्पुरा या city of eastren astrology भी कहा जाता था ।

मंदिर के पास जैसे ही पहुंचे तो चारों ओर बहुत सारे बन्दर दिखाई दिए जो इधर-उधर कूद-फांद कर रहे थे।गनीमत थी कि वो लोगों को ज्यादा तंग नहीं कर रहे थे । खैर सीढियां चढ़कर जब मंदिर मे पहुंचे तो मुख्य मंदिर के द्वार पर दाहिनी ओर विष्णु-लक्ष्मी,राधा-कृष्ण और गणेश जी के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं की मूर्ति भी थी। जहाँ हमने भगवान को हाथ जोड़ा और फिर मुख्य मंदिर की तरफ बढे तो अन्दर हुत अँधेरा था पर हर तरफ दिए जल रहे थे।अन्दर अँधेरा बहुत होने के कारण बहुत संभल-संभल कर चलना पड़ता है। फिर जब बहुत ध्यान से देखा तो एक ग्रह बीच मे और बाकी ८ ग्रह उसके चारों ओर बने हुए दिखे थे। हर ग्रह के बीच मे इतनी दूरी थी कि लोग आराम से बैठकर पूजा कर सकते है ।मंदिर के बाहर बहुत सारे पंडित रहते है पूजा करवाने के लिए। मंदिर मे हर ग्रह पर पूजा करते है और दिए जलाते है। यहां पर प्रसाद चढाने का सिस्टम नहीं है । पूजा करने के बाद बाहर आने
पर पंडित जी चना-हरी साबुत मूंग,नारियल के टुकड़े और फल वगैरा प्रसाद के रूप मे देते है।

बाहर निकल कर मंदिर की परिक्रमा करने पर देखा कि मंदिर की बाहरी दीवारों पर विष्णु के दस अवतार बने हुए है। और मंदिर मे बकरी और बन्दर एक साथ ही दाने खाते हुए भी नजर आये थे । :)

चूँकि मंदिर बहुत उंचाई पर है इसलिए यहां से भी गौहाटी का बहुत अच्छा नजारा दिखाई देता है।यहां से शहर और ब्रहमपुत्र नदी तो दिखाई देती ही है साथ ही गौहाटी स्टेडींयम जिसे नेहरु स्टेडीयम भी कहते है वो भी दिखाई देता है।

और इस नज़ारे को ना केवल भक्त गन बल्कि यहां के पंडित भी इस खूबसूरत नज़ारे का आनंद लेते रहते है। :)
अगली पोस्ट में गौहाटी की एक और जगह:)




Comments

बहुत बडिया जानकारी। धन्यवाद्
अच्छी जानकारी.
अगली पोस्ट में क्या मिलेगा, इन्तजार करते हैं।
22 वर्ष पहले गये थे । पुनः याद आ गयी । आभार ।
पहली बार आया हूँ आपके ब्लॉग पर , अच्छा लगा

http://madhavrai.blogspot.com/
http://qsba.blogspot.com/
Abhishek Ojha said…
ये जगह छूट गयी अपनी गुवाहाटी में !
aapke dwara prastut jankaria kafi achchhi lagi. nabograh padkar hi maine post open ki.Khargone (MP) me bhi navgrah mandir hai.kafi prachin bataya jata hai.kaurav pandu ke samay ka.talghar me anokha mandir hai.ek gufa b hai jo band hai aadi-aadi.
सुन्दर!
शिलालेख में नबोग्रोह नहीं, नवग्रह ही लिखा है देवनागरी में! :)
mahendra verma said…
आप लेख के साथ जो फोटो या वीडियो जोड़ती हैं वो तो 2-डी होती है लेकिन आप जो लिखती हैं वो तो 3-डी मूवी जैसा लगता है.....अत्यंत प्रभावशाली।
.. महेन्द्र वर्मा

Popular posts from this blog

जीवन का कोई मूल्य नहीं

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन