स्मार्ट गार्डनर


अब आजकल तो सभी जगह गर्मी की बहार सी आई हुई है और यहां भी जब कभी सूरज देवता नजर आते है तो अपने पूरे तेज के साथ नजर आते है यानी कड़क धूप । वैसे यहां पर बारिश मे तो लोग छाता लेकर चलते ही है पर अगर धूप निकली हो तब तो जरुर ही छाता लेकर चलते है। क्यूंकि धूप से बचना भी बहुत जरुरी होता है क्यूंकि यहां बिलकुल झुलसा देने वाली धूप होती है। और वो शायद इसलिए क्यूंकि यहां कोई प्रदुषण नहीं है । धूप के समय हर तरफ रंग-बिरंगी छतरी नजर आती है। :)
यहां पर बागीचे और पार्कों मे काम करने वाली महिलायें भी इस बात का पूरा ध्यान रखती है । यूँ तो ये लोग पूरे दिन काम नहीं करती है बस सुबह के २ घंटे काम करती है और उसके बाद चली जाती है। (अभी तक तो हमने इतनी देर ही इन्हें काम करते देखा है ) फिर भी ये ख्याल रखती है और अपना धूप से बचाव करती है और इसके लिए वो कैप,छाता,और सिर पर कपडा वगैरा बाँध करके ही काम करती है।ये बहुत अच्छी बात ये है ।

वैसे यहां जो औरतें मजदूरी करती है वो भी हमेशा अपना मुंह और सिर कपडे से बांधे रहती है धूप और धूल-मिटटी से बचने के लिए

Comments

Udan Tashtari said…
बचाव के लिए सचेत रहना अच्छा है.
आपकी भावना को प्रणाम ।
Padm Singh said…
गर्मी इतनी है कि मेरा माली भी चार पांच दिन से गोला मारे हुए है ...... खुद कर तो लूँ ... लेकिन गर्मी बहुत होती है दिन में ...
कपड़ा बाँध कर करता हूँ कल (आज क्यों नहीं?)
यहां इलाहाबाद में भी आदमी गमछा और स्त्रियां लगभग पूरी ढ़ंकी निकलती हैं सड़क पर।

Popular posts from this blog

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

जीवन का कोई मूल्य नहीं

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन