दिल्ली से ईटानगर का सफ़र

जैसा कि हमने अपनी पिछली पोस्ट मे लिखा था कि अब हम ईटानगर आ गए है तो सोचा कि दिल्ली से ईटानगर तक के सफ़र की बातें भी कुछ की जाए । दिल्ली या कहीं से भी सीधे ईटानगर नहीं आया जा सकता है फिर चाहे रेल से यात्रा कर रहे हो या हवाई जहाज से यात्रा कर रहे हो। सभी ट्रेने गुवाहाटी तक आती है और कुछ उसके आगे रंगिया, तिनसुखिया तक भी आती है ,उसके बाद सड़क यातायात का सहारा लेना पड़ता है । और हवाई जहाज से भी गुवाहाटी तक ही आते है उसके बाद ईटानगर आने के लिए या तो सड़क यातायात माने कार या बस या फिर हेलीकाप्टर से ही आया जा सकता है ।वैसे अगले ३-४ साल मे अरुणाचल तक रेल मार्ग बन जाएगा ऐसी संभावना है ।

खैर किंग फिशर की ११ बजे चलने वाली फ्लाईट से दिल्ली से गुवाहाटी की बुकिंग करवाई गयी ।जिससे गुवाहाटी सवा बजे तक पहुँच जाए क्यूंकि गुवाहाटी से ईटानगर का हेलीकाप्टर दो से ढाई बजे के बीच मे चलता है । चूँकि जनवरी मे दिल्ली मे कोहरा काफी रहता था इस लिए हम लोगों की फ्लाईट आधे घंटे लेट हो गयी और हम लोग सोच रहे थे की हेलीकाप्टर तो चला गया होगा पर जब plane से हेलीकाप्टर को खड़े देखा तो लगा कि हम लोग ईटानगर के लिए तुरंत ही निकल जायेंगे । पर जो सोचा जाता है वो भला होता कहाँ है ,हम लोगों को रीसीव करने आये लोगों से जब पतिदेव ने कहा कि हेलीकाप्टर तो अभी खड़ा है हम लोग बोर्ड कर सकते है तो उसने कहा कि आज नहीं अब तो आप लोग कल ही जा सकते है क्यूंकि हेलीकाप्टर उड़ने वाला है और अब boarding नहीं कर सकते है । और जब तक हम लोग सामान लेकर बाहर आये तो हेलीकाप्टर को सामने से जाते हुए देखा ।

खैर हेलीकाप्टर के जाने के बाद हम लोग कार से गुवाहाटी से ईटानगर के लिए चले ,गुवाहाटी से ६-७ घंटे लगते है ।हम लोग ये सोच कर कि रात ९-१० बजे तक ईटानगर पहुँच जायेगे ,अपनी यात्रा आरम्भ करी । जैसे ही एअरपोर्ट से निकल कर तकरीबन १० कि.मी. चलते है कि गुवाहाटी university पड़ती है । उसके आगे चौराहा पड़ता है जहाँ पर बाए हाथ पर बने पुलिस स्टेशन के बोर्ड पर अपराधियों की फोटो लगी हुई दिखाई देती है । शाम के समय आसाम मे ट्रैफिक काफी ज्यादा हो जाता है । यहां से आगे बढ़ने पर ब्रह्मपुत्र नदी आती है जिसके bridge पर driving का अपना ही मजा है । ट्रैफिक की वजह से तेजपुर पहुँचते-पहुँचते ७ बजने लगा और कोहरा सा छाने लगा था तो ये सोचा गया की तेजपुर मे रात बिताकर अगले दिन सुबह ईटानगर के लिए चला जाए । चूँकि इस तरफ अँधेरा जल्दी हो जाता है यानी पांच सवा पांच के बीच बिलकुल रात हो जाती है ।

तेजपुर से अगले दिन सुबह हम लोग चले तो कुछ दूर तो खूब घना कोहरा मिला पर उसके बाद मौसम साफ़ मिला . . जिस तरह दिल्ली और यू.पी .वगैरा मे हनुमान जी की मूर्ति पेड़ों के नीचे दिखती है यहां काली और दुर्गा जी की मूर्ति दिखती है । रास्ते भर चाय के बागान दिखते रहे ।और जैसे ही चाय के बागन ख़त्म होते है और आसाम और अरुणाचल प्रदेश का bordar आता है और पुलिस चेक पोस्ट होलांगी पड़ती है वहां से पहाड़ी इलाका शुरू हो जाता है । तकरीबन २५-३० की.मी.की पहाड़ी यात्रा के बाद हम लोग ईटानगर पहुंचे।

और हाँ अरुणाचल प्रदेश को land of rising sun कहा जाता है ।

Comments

Mithilesh dubey said…
बढ़िया लगा संस्मरण पढ़कर ।
Anonymous said…
kabhie mail box bhi check kar liyaa karey !!!!!!!
ऐसा लगता है हम भी सफर में हैं,बढ़िया प्रस्तुति.
Udan Tashtari said…
बढ़िया यात्रा रही..अब तो लैण्ड ऑफ राईजिंग सन के किस्से सुनने में आते रहेंगे. :)
ममता जी,
आगे आपसे उम्मीद है कि आप अरुणाचल मे हमे और ज्यादा घुमाएंगी.
आखिर अरुणाचल जाता ही कौन है?
Abhishek Ojha said…
aapke jaane ke baad main Goa ghoom aaya :) arunachal philhaal apke through dekhte hain,.
mamta said…
sorry रचना आजकल मेल बॉक्स चेक नहीं कर पा रहे है ।
तो अभिषेक आपको गोवा कैसा लगा।

नीरज जी कोशिश करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा अरुणाचल के बारे मे आप लोगों को बता सके। वैसे एक बार अरुणाचल घूमने जरुर आना चाहिए । :)

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