निकोबार का सफर
अंडमान के बारे मे तो हमने बहुत कुछ लिखा है पर निकोबार के बारे मे इससे पहले कभी नही लिखा । चूँकि निकोबार हम सिर्फ़ एक बार सुनामी के पहले गए थे और सुनामी के बाद कई बार सोचा पर दोबारा जाने की कभी हिम्मत ही नही हुई ।इससे पहले भी कई बार लिखने की सोची पर हर बार थोड़ा सा लिख कर छोड़ दिया था पर अब आज से हम निकोबार के बारे मे अपने अनुभव भी लिखना शुरू कर रहे है।
मई २००४ की बात है छोटे बेटे के दसवी बोर्ड के इम्तिहान ख़त्म हो चुके थे । घर मे जब भी निकोबार का कार्यक्रम बनता तो हम पीछे हट जाते थे क्यूंकि एक तो समुद्री यात्रा हमे बिल्कुल भी नही बहती है और हेलीकॉप्टर मे उड़ने मे भी डर लगता था। पर निकोबार जाना और घूमना भी था। अब अंडमान मे तो हमेशा ही बारिश होती है पर मार्च और अप्रेल और थोड़ा बहुत मई के शुरू के २ हफ्तों मे बारिश कम होती है. इसलिए मई के पहले हफ्ते मे प्रोग्राम बना की पूरा निकोबार एक हफ्ते मे घूम कर वापिस आयेंगे।
अब निकोबार के लिए हट बे से ही होकर जाना पड़ता था और निकोबार की समुद्री यात्रा २४ घंटे की थी। कुछ ज्यादा बड़े शिप जैसे स्वराज द्वीप और चौरा वगैरा १५ दिन मे चेन्नई से आने और जाने मे निकोबार को टच करते थे। उस समय येरवा नाम का एक शिप था जो हर दूसरे-तीसरे दिन निकोबार जाता था । तो हम लोगों ने भी येरवा मे एक केबिन बुक किया । येरवा पोर्ट ब्लेयर से सुबह ६ बजे निकोबार के लिए चला तो शुरू मे तो सब ठीक था। येरवा की स्पीड ज्यादा नही थी इसलिए शिप पर ही सुबह का नाश्ता भी हम लोगों ने शिप के कैप्टेन के साथ किया।
पोर्ट ब्लेयर से हट बे की यात्रा मे करीब ८ घंटे लगते थे । एक दो घंटे बाद शिप ने अपना रंग दिखाना शुरू किया और हमे सी सिकनेस शुरू हो गई ।थोडी देर डेक पर भी जाकर बैठे पर सी सिकनेस मे अगर एक बार तबियत ख़राब हो जाती है तो फ़िर ठीक मुश्किल से ही होती है।शिप पर खाने और नाश्ते के लिए घंटी बजाई जाती थी। एक घंटी जिसमे यात्री लोग खाना खाने dinning hall मे जाते थे और दूसरी घंटी शिप के crew के लिए बजती थी।नाश्ते के बाद जब लंच की घंटी बजी तब तो हम इस लायक ही नही थे की लंच खा सकते . इसलिए हमने सिर्फ़ काफ़ी पी और खाया कुछ नही ।
करीब ३ बजे शिप हट बे पहुँचा और यहां पर शिप ५-६ घंटे तक रुका रहा।शिप मे सिर घूम गया था इसलिए हम लोग फ्रेश होने के लिए शिप से उतर कर हट बे के गेस्ट हाउस मे गए। वहां नहाया और चाय वगैरा पीकर आराम करके निकोबार की यात्रा के लिए पूरी तरह से दिमागी तौर पर तैयार हो कर वापिस ७ बजे तक शिप पर आ गए ।
हट बे से निकोबार का सफर १०-१२ घंटे का था।अगले हफ्ते तक इंतजार कीजिये ।
कुछ लिंक्स हम अपनी पुरानी पोस्ट के यहां दे रहे है। और आगे भी देते रहेंगे।
दिल्ली से अंडमान तक का सफर
अंडमान निकोबार -२
घर की खोज
मई २००४ की बात है छोटे बेटे के दसवी बोर्ड के इम्तिहान ख़त्म हो चुके थे । घर मे जब भी निकोबार का कार्यक्रम बनता तो हम पीछे हट जाते थे क्यूंकि एक तो समुद्री यात्रा हमे बिल्कुल भी नही बहती है और हेलीकॉप्टर मे उड़ने मे भी डर लगता था। पर निकोबार जाना और घूमना भी था। अब अंडमान मे तो हमेशा ही बारिश होती है पर मार्च और अप्रेल और थोड़ा बहुत मई के शुरू के २ हफ्तों मे बारिश कम होती है. इसलिए मई के पहले हफ्ते मे प्रोग्राम बना की पूरा निकोबार एक हफ्ते मे घूम कर वापिस आयेंगे।
अब निकोबार के लिए हट बे से ही होकर जाना पड़ता था और निकोबार की समुद्री यात्रा २४ घंटे की थी। कुछ ज्यादा बड़े शिप जैसे स्वराज द्वीप और चौरा वगैरा १५ दिन मे चेन्नई से आने और जाने मे निकोबार को टच करते थे। उस समय येरवा नाम का एक शिप था जो हर दूसरे-तीसरे दिन निकोबार जाता था । तो हम लोगों ने भी येरवा मे एक केबिन बुक किया । येरवा पोर्ट ब्लेयर से सुबह ६ बजे निकोबार के लिए चला तो शुरू मे तो सब ठीक था। येरवा की स्पीड ज्यादा नही थी इसलिए शिप पर ही सुबह का नाश्ता भी हम लोगों ने शिप के कैप्टेन के साथ किया।
पोर्ट ब्लेयर से हट बे की यात्रा मे करीब ८ घंटे लगते थे । एक दो घंटे बाद शिप ने अपना रंग दिखाना शुरू किया और हमे सी सिकनेस शुरू हो गई ।थोडी देर डेक पर भी जाकर बैठे पर सी सिकनेस मे अगर एक बार तबियत ख़राब हो जाती है तो फ़िर ठीक मुश्किल से ही होती है।शिप पर खाने और नाश्ते के लिए घंटी बजाई जाती थी। एक घंटी जिसमे यात्री लोग खाना खाने dinning hall मे जाते थे और दूसरी घंटी शिप के crew के लिए बजती थी।नाश्ते के बाद जब लंच की घंटी बजी तब तो हम इस लायक ही नही थे की लंच खा सकते . इसलिए हमने सिर्फ़ काफ़ी पी और खाया कुछ नही ।
करीब ३ बजे शिप हट बे पहुँचा और यहां पर शिप ५-६ घंटे तक रुका रहा।शिप मे सिर घूम गया था इसलिए हम लोग फ्रेश होने के लिए शिप से उतर कर हट बे के गेस्ट हाउस मे गए। वहां नहाया और चाय वगैरा पीकर आराम करके निकोबार की यात्रा के लिए पूरी तरह से दिमागी तौर पर तैयार हो कर वापिस ७ बजे तक शिप पर आ गए ।
हट बे से निकोबार का सफर १०-१२ घंटे का था।अगले हफ्ते तक इंतजार कीजिये ।
कुछ लिंक्स हम अपनी पुरानी पोस्ट के यहां दे रहे है। और आगे भी देते रहेंगे।
दिल्ली से अंडमान तक का सफर
अंडमान निकोबार -२
घर की खोज
Comments