कौन नही बनना चाहता है इस देश का प्रधान मंत्री.......

चुनावों की घोषणा के साथ ही देश मे एक अजीब से सरगरमी सी आ गई लगती है । अखबार पढिये या चाहे न्यूज़ देखिये हर जगह बस जोड़ तोड़ की राजनीति ही दिखाई दे रही है । कोई एक राजनैतिक दल छोड़कर दूसरे राजनैतिक दल मे जा रहा है तो कोई नई party ही बना रहा है ।

हर बार जब लोक सभा चुनाव आने वाले होते है तो एक नया (पर अब पुराना ) third front बनता है जिसमे हर वो राजनैतिक दल शामिल होता है जिसे सरकार या opposition से कोई न कोई प्रॉब्लम होती है ।

पर पिछले दो बार के चुनावों मे ये भी देखा कि जैसे ही चुनावों का नतीजा आता है तो third front पता नही कहाँ चला जाता है । और कुछ -कुछ शोले के असरानी वाले style मे आधे इधर जाओ आधे उधर जाओ और बाकी मेरे पीछे आओ ,जैसा हाल हो जाता है:)

खैर एक बार फ़िर third front की आवाज पूरे जोर-शोर से सुनाई दे रही है । और इस third front मे left party जो साढ़े चार साल तो यू.पी.ए.सरकार के साथ रही वो भी शामिल है ।लेफ्ट साढ़े चार साल तक लेफ्ट-राईट -सेंटर करती रही पर फ़िर अचानक उनके अन्दर का ओरिजनल लेफ्ट जाग गया और वो यू.पी..से अलग हो गए । जब से left यू.पी.ए से अलग हुए तब से रोज कोई न कोई यू.पी.ए की खामी बताते रहते है । जब साथ रहे तब भी नाखुश थे और अलग रह कर भी नाखुश ही है ।

अब इस third front मे तो कई पी.एम पद के उम्मीदवार है जैसे शरद पवार है जो टी.वी पर कहते नजर आए की महराष्ट्र की जनता इस बार मराठी प्रधानमंत्री चाहती है ।पर अब वो पलट गए है और कह रहे है की वो पी.एम.नही बनेंगे

तो वहीं मायावती है जो अपने आप को ख़ुद ही पी.एम.पद की उम्मीदवार घोषित किए बैठी है । जयललिता भी हो सकती है , अरे देवी गौडा को कैसे भूल सकते है ।

और फ़िर वैसे तो left party वाले कहते है कि उन्हें सत्ता का मोह नही है पर क्या पता कभी उनमें से किसी का भी मन भी हो जाए पी. एम.बनने का । :)

बी.जी.पी तो पहले से ही अडवाणी जी को पी.एम. के उम्मीदवार के रूप मे घोषित कर ही चुकी है हालाँकि आजकल बी.जे.पी .मे आपस मे ही इतनी ताना तनी चल रही है जिसे देख कर लगता है कि अडवानी जी का सपना पूरा होगा या नही अरे भाई अरुण जेटली मीटिंग मे जो नही जाते है तो वहीं वरुण गाँधी के भाषण ने मुसीबत कर रक्खी हैतो कहीं शत्रुघ्न सिन्हा अमर सिंह से मिलते नजर आते है (चलो अब शत्रुघ्न सिन्हा को तो टिकट देकर शांत कर दिया है । ) और कांग्रेस के मनमोहन सिंह तो है ही कांग्रेस के सहयोगी हर state मे सीटों को लेकर लड़ रहे है ।फ़िर वो चाहे बिहार हो या उत्तर प्रदेशअब तो कांग्रेस ने भी साफ़ कह दिया है कि यू.पी..की सरकार मे प्रधानमंत्री तो कांग्रेस का ही होगा


पहले भी ऐसा होता था पर शायद थोड़ा कम पर इस बार तो पूरी तरह से blackmailing की राजनीति चल रही हैअब अगले दो महीने तक यही खेल देखने को मिलेगा

राजनीती
भी क्या खेल है जिसके ख़िलाफ़ लड़ते है बाद मे उसी का साथ लेते है । :( :)

वैसे लालू यादव ने भी कुछ दिन पहले अपने इंटरव्यू मे कहा था कि वो भी बन सकते है प्रधानमंत्री । अब तो लालू के साले साधू ने ही उनका साथ छोड़ दिया है और कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया है । क्या पता मुलायम सिंह भी पी.एम बनने का सपना संजोये हो । अब वैसे अगर मौका मिले तो शायद प्रणव मुखर्जी ,अर्जुन सिंह और .के.एंटोनी भी बन सकते है । अरे चिदाम्बरम भी तो बन सकते है ।

इस बार तो अगले दो महीने तक सभी पार्टियों के नेताओं मे पी.एम बनने की होड़ देखी जा सकती है । हर कोई अपने आप को दूसरे से बेहतर बताने की कोशिश मे लग गया है ।

लो इस सब मे राहुल को तो भूल ही गए । अरे वो भी तो बन सकते है प्रधानमंत्री ।

छोडिये काहे को अपना सर खपाया जाए ,दो महीने बाद तो पता चल ही जायेगा ।

Comments

भारत मेँ ओबामा की तरह
कुछ नया हो जाये
तो कैसा हो ?
चलिये...
२ महीने इँतज़ार करते हैँ
- लावण्या
१०० टके की बात "काहे अपना सर खपायें". आभार
mehek said…
ab intazaar baki hai:)pradhanmantri kaun?:)
कुश said…
अरे वाह आपकी तो राजनीति पर भी पकड़ है..
सोचता तो मै भी हूँ पर संभव नहीं है . जानदार पोस्ट. धन्यवाद.
भारत का हर नागरीक पी एम बनने की इच्छा रख सकता है, यहाँ तो एक विदेशी भी उम्मीदवार है... :)
छोड़ो जी! हमें नहीं बनना। ये नौकरी बड़ी मुश्किल से संभल पा रही है! :)
इंतजार कीजिए दो महीने तक ... माथापच्‍ची से क्‍या फायदा ?
क्यो ना किसी विदेशी को ही या उस के बेटे को ही प्राधनमंत्री बना दिया जयाऎ, चूना तो सब ने लगाना ही है इस देश को इस देश की जनता को, है भगवान किसी शरीफ़ ओर अकल वाले को ओर इमानदार को बनाना इस गरीबो के देश का प्रधानमंत्री, आज तक तो सब ....लाल बाहदुर शास्त्री जी को छोड कर.... ताकि इस देश की जनता भी अपनी उस आजादी का मजा ले सके जो हमे आज से ६२ साल पहले मिली थी
धन्यवाद

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