नेताओं के मंचों का टूटना ,गिरना और बच जाना ...... :)

कल ज्ञान जी कि पोस्ट पर टूट मचान शीर्षक देख कर हमने समझा था कि उन्होंने मंच टूटने वाली घटनाओं पर लिखा है । खैर उन्होंने तो नही लिखा तो हमने सोचा कि हम ही इस पर लिख दे । अब वो क्या है कि आजकल चुनावों का मौसम है तो रोज ही नए और पुराने नेता और अभिनेता बड़ी-बड़ी रैली करते है । अब रैली होगी तो स्टेज या मंच भी बनेगा जहाँ से नेता भाषण बाजी करते है । पर आजकल या तो मंच बनाने वाले मंच ठीक से नही बना रहे है या फ़िर ये मंच इन नेताओं को इनकी सही जगह दिखा रहा है :)

कल ही किसी न्यूज़ चैनल पर दिखा रहे थे कि बंगाल मे कहीं भाषण देने पहुँची कोई फ़िल्म अभिनेत्री जो इस बार शायद चुनाव लड़ रही है , वो बाकी मंच पर खड़े कार्यकर्ताओं के साथ हाथ उठाकर शायद जनता का अभिवादन कर रही थी तभी अचानक मंच समेत वो और बाकी लोग नीचे गिर पड़े ।

इससे कुछ दिन पहले अमर सिंह भाषण देते-देते अचानक नीचे चले गए । अब जब तक लोग समझे तब तक अमर सिंह नीचे गिर गए । ये अलग बात है कि वो फटाफट उठा कर खड़े भी हो गए ।

अमर सिंह ही नही उमा भारती भी अपनी किसी रैली के दौरान बड़े शान से जैसे ही मंच पर पहुँची कि धम्म से मंच गिर पड़ा । और उमा भारती समेत सारे लोग नीचे ।

अब चुनावी रैली मे हर कोई तो मंच पर ही बैठना चाहता है वरना कैसे पता चलेगा कि कौन नेताजी के ज्यादा पास है । कभी-कभी तो पूरे का पूरा जत्था मंच पर चढ़ जाता है ।

लगता है मंच भी अब इन नेताओं का बोझ उठाने मे सक्षम नही रहा ।

नोट-- youtube पर इनके वीडियो भी है आप चाहे तो देख सकते हैstage collapsed in india शीर्षक से

Comments

मीडिया पर ज्यादा ध्यान देने से मंच इन दिनों उपेक्षा के कारण गुस्से में है।
ghughutibasuti said…
हाहा,मंच भी भार नहीं उठा पाता!अब नेताओं को पहले मंच की सुदृढ़ता की जांच करवानी चाहिए।
घुघूती बासूती
कुश said…
दिस ईज़ टू मंच :) :) :)
अमर सिंह और उमा जी को मंच से नीचे गिरते देखा था :)
mehek said…
:):) sahi manch bhi ye bojh nahi utha sakte ab:):)
अब इन नेताओं को कब अक्ल आएगी?
Abhishek Ojha said…
मंच बनाने वाले थोड़े और समझदार हो जाएँ तो इन नेताओं से मुक्ति का जरिया बन सकते हैं. ये तो कभी सोचा ही नहीं था :-)
वाह, वाह - मंच और मचान को बढ़िया जोड़ा आपने!
बाकी टूटा मचान तो किसी अनाम लोफर जी की टिप्पणी में था, पंगेबाज की पोस्ट पर! मैने वहीं से झटका था!
रंजना said…
Ab ham to inhe girate nahi ,par manch inhe girane ka poora prayaas karte hain.
Shiv said…
गिरे हुए नेता उठकर मंच पर कैसे पहुँचते हैं? लेकिन ठीक ही है. वहां भी तो गिरते ही हैं.
बढ़िया आलेख लगा ..मंच और नेताओ का मंच से गिरना .....
मंच वो गिरते है जिन्हें नेताओं की
करनी और कथनी पे विश्वास नहीं
होता है .
Arvind Mishra said…
कोई सहानुभूति नही इन पर !
ममता जी मुझे समाझ नही आता यह नेता अभी ओर कितना गिरेगे.... जनता की नजरो से गिरे, अपनी नजरो से गिरे, अपनो की नजरो से गिरे, गरीबो की नजरो से गिरे.... शायद बार बार गिरना ही इन की प्रवति है,
धन्यवाद सुंदर पोस्ट के लिये
ममता जी राजनेताओँ से सभी तँग आ गये हैँ
अब वरुण गाँधी को ही देख लेँ
- लावण्या
मंच हड़बड़ी में बनते हैं, खिचड़ी सरकार की तरह! इसीलिये गिर जाते हैं!

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