आई .पी.एल. सस्ता रोये एक बार महंगा रोये बार-बार

रविवार को आई पी एल का फाइनल भी हो गया और उसमे राजस्थान की टीम ने धोनी की टीम को हरा कर पहले आई.पी.एल t20 कप को जीत लिया। हालांकि हमारी दिली खाव्हिश थी कि धोनी की टीम जीते पर शेन वार्न की टीम जीत गई। कहने को तो राजस्थान रोयल्स जीते पर इसमे खिलाडियों से कहीं ज्यादा जीत कप्तान शेन वार्न की हुई। और शेन वार्न ने एक ऐसी टीम को जीत दिलाई जिसे किसी ने भी नही सोचा था की वो टीम जीतना तो दूर फाइनल मे भी नही पहुँच पाएगी। जाहिर सी बात है जहाँ बाकी और सारी सातों टीमों मे बड़े-बड़े नामी-गिरामी खिलाडी थे और उन्हें खरीदने वाले भी बड़े-बड़े व्यापारी थे वहीं राजस्थान की टीम को किसने खरीदा (emerging media )ये किसी को पता भी नही था और उसके खिलाडियों मे २-४ को छोड़ कर (जिनमे कैफ जो आजकल टीम इंडिया से बिल्कुल ही बाहर है उन्हें भी रक्खा गया था ) बाकी किसी भी खिलाडी के बारे मे कोई नही ज्यादा जानता था। पर शेन वार्न ने पहले मैच हारने के बाद टीम को एक ऐसी राह दी की जिस टीम को लोग जानते नही थे उसने आई.पी.एल.जीत लिया और साथ मे करोड़ों का इनाम भी

हमारे सारे बड़े-बड़े खिलाड़ी और कैप्टन बस हारने का ही काम करते रहे।सिवाय धोनी के जिसने अपनी टीम को फाइनल तक तो पहुंचाया. कभी टीम के मालिकों से तो कभी खिलाड़ियों का आपस मे ताल मेल ही नही बैठ पाया। जहाँ सारे भारतीय कैप्टन फ़ेल हो गए वहीं शेन वार्न जो आज तक ऑस्ट्रेलिया के कैप्टन नही बन सके वो एक सफल कैप्टन बन गए।राजस्थान की टीम की जीत के बाद शायद ये कहना ग़लत नही हो कि राजस्थान जीता या भारत हारा।

राजस्थान की टीम ने इस कहावत सस्ता रोये बार-बार महंगा रोये एक बार को बदल कर रख दिया क्यूंकि जहाँ बाकी टीमें ३०० सौ साढ़े तीन सौ चार सौ और साढ़े चार सौ के आस पास की थी वहीं राजस्थान की टीम की कीमत सिर्फ़ दो सौ या ढाई सौ करोड़ ही थी। और इस टीम मे कोई भी icon player भी नही था।

हमे इस बात का दुःख जरुर है कि धोनी की चेन्नई की सुपर किंग टीम हार गई क्यूंकि एक बार फ़िर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने ये साबित कर दिया की वो सभी भारतीय खिलाडियों से बेहतर है।

और हाँ अब तो हर जगह ही क्रिकेट लीग हो रही है। कुछ दिन पहले हमारे बेटे ने बताया था कि दिल्ली मे जहाँ रहते है वहां भी कालोनी मे जी.के.पी.एल हुआ और कल अमेठी उत्तर प्रदेश मे अमेठी प्रीमियर लीग का फाइनल हुआ पर यहां पर एक ख़ास बात थी कि यहां पर आई.पी.एल की तरह टीम नही बल्कि १८०० से ज्यादा टीम थी

और इस अमेठी फाइनल मैच को देखने पूरा सोनिया परिवार गया था। :)

Comments

इसके मायने एक अच्छा लीडर सस्ती टीम को जिता देता है और बुरा लीडर मंहगी टीम को लिटा देता है।
अच्छा पता चला!
Abhishek Ojha said…
कहावत को तो सच में बदल दिया... मैं तो बिना पुरा पढे कहने वाला था कि आपने कहावत ग़लत लिखी है :-)
Udan Tashtari said…
सच में राजस्थान टीम ने सस्ता रोये बार-बार महंगा रोये एक बार को बदल कर रख दिया.
Manish Kumar said…
ममता जी मार्श , वाटसन, हेडन अच्छा खेले तो वहीं पोन्टिंग , साइमंड्स और गिलक्रिस्ट जैसे खिलाड़ी अपनी टीम की नैया पार नहीं कर सके । आप तो जानती हैं कि मार्श और वाटसन नियमित आस्ट्रलियाई टीम के सदस्य भी नहीं हैं। वही हाल भारत के नामी खिलाड़ियों का रहा। और ये भी तो देखिए कि फाइनल जिताने वाला यूसुफ पठान एक भारतीय ही था।

माही की वजह से हम सब चेन्नई सुपर किंग को सपोर्ट कर रहे थे पर दिल ये भी कह रहा था कि deserve Rajsthan Royals ही करते हैं।

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