अगर सांप पकड़ मे ना आए तो ...( एक और डरावनी पोस्ट )

पंकज जी ने कहा था की २५० पोस्ट होने तक साँपों पर एक पोस्ट हम जरुर लिखे। । उस समय हम सोच रहे थे की आज कल तो हमारे घर मे शांति है (टच वुड) पर तभी ये सांप का किस्सा हमारी एक दोस्त के साथ हुआ तो बस हमने सोचा कि आज इसी घटना पर लिख दिया जाए।

अभी ४-५ दिन पहले की बात है ।हमारी दोस्त कुछ १-२ महीने के लिए दिल्ली जा जाने वाली थी।उनके पति देव पहले ही किसी काम से बाहर गए हुए थे और उन दिनों वो अकेले ही रह रही थी।तो हमने एक शाम उनके घर जाने का मूड बनाया।अब चूँकि वो दिल्ली जा रही थी इसलिए shopping के लिए जाती रहती थी। इसलिए हमने अपनी दोस्त को फ़ोन किया ये पूछने के लिए की वो घर पर है या नही ।

खैर उन्होंने बताया की वो मिसेज जैन के घर जा रही है और वहीं से थोडी देर के लिए बाजार जायेंगी।
तो हमने उनके घर जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया और अगले दिन दोपहर मे उनके घर गए। और जब हमने पूछ की आप की shopping हो गई तो वो बोली अरे shopping कहाँ की। कल हमारे घर मे तो सांप निकल आया था। और फ़िर जो सुना तो लगा की अच्छा ही हुआ जो हम एक दिन पहले उनके घर नही गए थे ।

हमारी दोस्त ने बताया की वो जैसे ही मिसेज जैन के घर पहुँची की उनके नौकर का फ़ोन आया की घर मे सांप निकल आया है।
तो उन्होंने तुरंत नौकर को पड़ोस मे रहने वाली मैडम को बुलाने को कहा और नौकर से कहा की वो बस १० मिनट मे घर पहुँच रही है।
उनका नौकर तुरंत मैडम के घर गया और उनसे बोला की घर मे सांप निकल आया है। वो मैडम तुरंत भाग कर उनके घर आई और देखा की एक नही बल्कि २ सांप है। एक बड़ा और एक छोटा। और दोनों सांप हमारी दोस्त के कमरे के सामने बैठे थे।
सांप देख कर वो मैडम भी डर गई पर उन्होंने हिम्मत दिखाई और नौकर से कहा की तुम सांप पर नजर रक्खो जिससे सांप कहीं भाग कर घर मे ना छुप जाए। और फ़िर उन्होंने अपने पति को फ़ोन किया और सारा हाल बताया। उनके पति ने फटाफट वन विभाग और सांप पकड़ने वाले स्काड को फ़ोन करके घर का पता वगैरा दिया।वन-विभाग वाले ,पास-पड़ोस वाले और सांप पकड़ने वाले भी आए।सांप पकड़ने वाले तो आए पर तब तक दोनों सांप टॉयलेट यानी कमोड के रास्ते भाग चुके थेबाद मे इन सभी लोगों ने कोशिश की सांप को बाहर निकलने की पर वो नाकाम रहेअब जब तक सांप पकड़ने वाले आते तब तक सांप जी वहां उनके इंतजार मे थोड़े ही बैठे रहतेऔर जब सांप टॉयलेट मे जाने लगे तो नौकर ने शोर मचाया कि सांप भाग रहा हैपर किस की हिम्मत थी कि वो सांप को पकड़ता


वैसे कई बार AXN और Discovery चैनल पर देखा है कि सांप कमोड मे छुप जाते है और बाद मे बाहर भी निकल आते हैऔर कई बार दिखाया गया कि दीवार और पाइप को तोड़ कर सांप को बाहर निकाला गया या पकड़ा गया

अब हमारी दोस्त तो दिल्ली चली गई है और पास-पड़ोस वालों से कह गई है कि उनके घर का ध्यान रक्खेऔर उन्होंने पड़ोस वाली मैडम को घर की चाभी दी है ताकि वो बीच-बीच मे घर की साफ -सफाई कराती रहे जिससे अगर कहीं सांप वापिस आए हो तो पता चल जाए

नोट-- शायद इसी लिए लोग सांप को मारते हैक्यूंकि अगर सांप पकड़ मे नही आते है तो खतरा बना रहता हैउसी दिन हमारी दोस्त ने मन्दिर मे नाग देवता के नाम से दूध भी चढाया क्यूंकि मिसेज जैन का कहना था की अगर सांप घर मे निकले तो मन्दिर मे दूध चढाना चाहिए

Comments

Kirtish Bhatt said…
पिताजी की नौकरी की वजह से हम भी कई सालों तक ग्रामीण और जंगली क्षेत्रों में रहे और कई बार एइसे मौके आए जब एक ही घर में हमने और सांप ने साथ रात बिताई.......
आपकी पोस्ट पढ़कर पुरानी यादें ताज़ा हो गई.
कुश said…
hamare office ke pas ke khali plot mein aksar saanp aa jate hai.. kai baar mashakkat ki hai hamne.. unhe bhagane mein..
hamare ghar ke theek samne ek plot khali pada hai,usme basement bana ke chodaa hua hai.....aap samjh le..hame sanpo se do char aksar hona padta hai.
Abhishek Ojha said…
हम जब भी छुट्टियों में घर जाते तो एक-दो साँप देख ही लेते थे, हमारे कैम्पस में भी एक बार साँप निकल आया, साँप क्या अजगर... कानपूर चिडियाघर से आदमी बुलवाये गए और तकरीबन ४५ मिनट की मशक्कत के बाद वो उसे पकड़ के ले गए, इसका तो विडियो भी पड़ा होगा कहीं मेरे पास.
सांप घर में और दूध मन्दिर में - क्या लिंक है?!। ब्लॉग पोस्टों के हाइपरलिंक की तरह!
are hamarey yahan to ek dhaamin salon saal se rehti hai..badi khuubsurat peeley rang ki aur behad moti hai..jab hum makii ke paudhey lagatey the..to janaab khaali chhilke chor jaati thiin aur daaney saare sufaa chatt..hai na ajeeb si baat?
बाप रे !! ये सारे किस्से पढकर हमेँ तो डर लग रहा है :(
-
- लावण्या
Udan Tashtari said…
वाकई, नींद न आये अगर मालूम चल जाये कि सांप घर में छिपा है. :)

वैसे इनसे ज्यादा खतरनाक सड़्कों पर खादी पहने घूमते साँप हैं. मंदिर में दूध चढ़ाने का भी असर नहीं होता उन पर.

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आप हिन्दी में लिखती हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.

एक नया हिन्दी चिट्ठा किसी नये व्यक्ति से भी शुरु करवायें और हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें.

शुभकामनाऐं.

-समीर लाल
(उड़न तश्तरी)
mamta said…
आप सभी की सांप से जुड़ी यादें ताजा हो गई ये जानकर खुशी हुई।

पारुल वाकई ये तो चौकाने वाली बात है।

हमे तो सांप नाम से ही डर लगता है।

समीर जी आपने बिल्कुल ठीक कहा है।
मेरा पेर कई बार सांप पर पडा लेकिन हर बार बच गया, बेसे सांप को देख कर (खुले मे) मेरी तो बोलती ही बन्द हो जाती हे,
दिलचस्प किस्सा
दीपक भारतदीप

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