आई.आई.एम. और दोगुनी फीस

सरकार ने पहले आई.आई.टी आंध्र प्रदेश,राजस्थान,बिहार,हिमाचल मे और एक आई.आई.एम.शिलोंग मे खोलने की बात कही थी। भारत के अलग -अलग शहरों मे अब और ४ नए आई.आई.टी. और ६ नए आई.आई.एम.खोले जायेंगे। ये ४ आई.आई.टी. --उड़ीसा,मध्य प्रदेश,गुजरात,और पंजाब मे और ६ आई.आई.एम.-- जम्मू-काश्मीर ,तमिल नाडू,झारखण्ड,छतीसगढ़ ,उत्तराखंड और हरियाणा है।

अभी लोग आई.आई.एम और आई.आई.टी. खुलने की खबर से खुश हो ही रहे थे कि कल शाम को आई.आई.एम.अहमदाबाद ने पी.जी.पी.के कोर्स की फीस भी बढ़ा दी। पहले जहाँ आई.आई.एम मे पढने वाले छात्र को दो साल की फीस साढ़े चार लाख देनी पड़ती थी वहीं अब ये फीस बढाकर ११.५ लाख कर दी गई है।पहले दोनों साल की फीस मे ज्यादा अन्तर नही था पहले साल दो लाख और दूसरे साल ढाई लाख होती थी। पर अब ११.५ लाख
की फीस मे पहले साल ५ लाख और दूसरे साल साढ़े ६ लाख फीस भरनी पड़ेगी।

अब आई.आई.एम.मे पढने के लिए तो आम तौर पर student लोन लेते ही है। और आई.आई.एम . से पास करने पर student को नौकरी भी खूब अच्छी यानी मोटी रकम वाली मिलती है। अब आजकल तो ५-१० लाख सालाना मिलना आम सी बात हो गई है। और कुछ लोगों को तो करोड़ की नौकरी मिलती है। इसीलिए आई.आई.एम को लगता है की जब उसके student को एक करोड़ और डेढ़ करोड़ की नौकरी मिल सकती है तब तो student आराम से अपनी फीस के लिए लिया हुआ लोन चुका ही सकता है तो फ़िर आई.आई.एम ही क्यों नुकसान मे रहे माने फीस क्यों ना बढ़ाई जाए।

अभी तो फिलहाल सिर्फ़ आई.आई.एम.अहमदाबाद ने ही फीस बढ़ाई है अब देखना है कि दूसरे आई.आई.एम.भी फीस बढ़ाते है या नही । और अगर बढ़ाते है तो कितनी ।

फीस बढ़ने से एक और खबर याद आ गई की दिल्ली के स्कूल भी फीस को ५० % बढ़ाने जा रहे है । अरे कमाल है पे कमीशन की रिपोर्ट आए और स्कूल वाले फीस ना बढायें।





Comments

Udan Tashtari said…
दूसरे काहे पीछे रहेंगे, देखा देखी बढ़ायेंगे ही!!
वैसे हमारे देश मे एक समान फीस निर्धारित की जाना चाहिए और फीस मे एकरूपता होना चाहिए
आजकल हम ऐसी ही जानकारियाँ जुटाने में लगे हैं. बड़ॆ बेटे ने तो कॉलेज दुबई से किया लेकिन अब छोटे बेटे की बारहवीं का बोर्ड खत्म होते ही लगे हैं कॉलेज ढूँढने देश विदेश में. समझ ही नहीं आता कि किधर जाएँ - इधर या उधर.
हम तो सम भाव से पढ़ रहे हैं यह। जब पढ़े तब इतना मंहगा न था। और अब तो पढ़ाई की बजाय दालों के बढ़ते भाव की ज्यादा फिक्र है।
mehek said…
fees sab jagah ek hi honi chahiye nirdharit.
शिक्षा मुफ़्त मे होनी चहिये,लेकिन भारत मे यह एक व्यावसाये बन गया हे, अभी युरोप मे सारी शिक्षा ( देश वासियो ओर परदेशियो )बिलकुल मुफ़त हे,साथ मे किताबे भी मुफ़त,जो शिक्षा बिके उस के व्यापारी केसे होगे ?

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