कहीं टीम इंडिया की लुटिया फ़िर ना डूब जाए

क्या आपको हमारी बात पर यकीन नही हो रहा है।लीजिये सारी जगह शोर मचा हुआ है। अरे अब ग्रेग के बाद गैरी जो आ गए है । बड़ी मुश्किल से तो टीम इंडिया गुरु ग्रेग के बताये हुए नुस्खों से बाहर निकल पायी और टीम इंडिया मे दुबारा भरोसा बनना शुरू हुआ पर लगता है बी.सी.सी.आई. से टीम इंडिया और भारतीय जनता की खुशी देखी नही जा रही है तभी तो एक नया कोच गैरी क्रिस्टन टीम के लिए रख लिया गया है।

एक ग्रेग को रख कर देखा और नतीजा जो हुआ वो सारा भारत क्या सारी दुनिया जानती है कि किस तरह टीम इंडिया विश्व कप मे हारी थी और वो भी बांगला देश के हाथों। पर शायद अभी भी बी.सी.सी.आई को कुछ और ही मंजूर है।तभी तो फ़िर एक बार नया विदेशी कोच लाया गया है। भाई जब भारतीय मैनेजर और कोच टीम इंडिया को सही राह दिखा रहे है तो फ़िर विदेशी कोच की क्या जरुरत है।पर बी.सी.सी.आई और पवार साब को कौन समझाए। पवार साब अपने मंत्रालय की बजाय क्रिकेट मे लगे रहते है।पर क्रिकेट की तरह अगर अपने मंत्रालय पर जरा ध्यान दे तो शायद ज्यादा बेहतर होगा। (क्या पता किसानों का कुछ भला ही हो जाएक्यूंकि लोन माफ़ी मे तो बहुत सारे गड़बड़ घोटाले है ऐसा सुनने मे रहा है। ) पर कहाँ बी.सी.सी.आई.मे जैसी पैसों की बारिश हो रही है उसके आगे मंत्रालय की भला क्या बिसात।

जब से टीम इंडिया बिना किसी विदेशी कोच के खेल रही है तब से कम से कम जीत तो रही है वरना तो टीम इंडिया और हार का साथ बिल्कुल फैविकोल के जोड़ जैसा हो गया था।छूटेगा नही जैसा ।इस बिना विदेशी कोच के दौर मे टीम इंडिया ने ना केवल बांगला देश बल्कि इंग्लैंड,पाकिस्तान,ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों को हराया बल्कि twenty-२० world कप भी जीता ।

पर बी.सी.सी.आई. उस कहावत पर अमल नही कर रही है कि दूध का जला छान्छ भी फूंक-फूंक कर पीता है विदेशी कोच का जलवा तो जल्दी ही दिखने लगेगा भाई टेस्ट मैच जो शुरू हो रहा हैपर गनीमत है कि रोबिन सिंह और वेंकटेश प्रसाद को नही हटाया है ।इसलिए थोडी उम्मीद है की शायद जिस तरह पिछली बार लुटिया डूबी थी पर इस बार नही डूबेगी।



Comments

Arun Arora said…
नही जी एक दम तो लुटिया नही डूब सकती शरद पवार जैसे बेगैरत बेशर्म के होते (कॄषी मंत्रालय को देखले)डुबोने के लिये कम से कम पाच सात मैच तो लगेगे..:)
सचमुच देसी कोच ने जो परिणाम दिया है वह विदेशी कोच देगा यह उम्मीद लगती नहीं।
Udan Tashtari said…
देखते रहें, सुनते रहें, गुनते रहें और शुभ शुभ बोलें.
देखते हैं क्या होता है। लुटिया है भी या नहीं डुबोने को!
Shiv said…
बहुत बढ़िया पोस्ट में जायद चिंताएं...लुटिया डूबती है या नहीं, ये जानने के लिए पहला टेस्ट मैच देखना पड़ेगा...
कहते हे एक नलायक बेटा काफ़ी हे खानदान का नाम डुबोने को,

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