बड़ा नही मैं तो छोटा हूँ

हम माँ-बाप अपने बच्चों को बहुत जल्दी बड़ा बना देते है। और ऐसा अक्सर तब होता है जब दूसरा बच्चा जन्म लेता है। तब जाने-अनजाने हम अपने पहले बच्चे को बड़ा बच्चा बना देते है।और इस बात का एहसास हमे हमारे बेटे ने कराया था कि वो बड़ा नही छोटा है। और इसीलिए छोटा बच्चा आने के पहले से ही हमने भी अपने बड़े बच्चे को उसके बड़े होने का एहसास तरह-तरह से कराने की कोशिश की . और जैसा कि दूसरे लोग करते थे हमने भी वही किया क्यूंकि हम समझते थे कि ऐसा करने से दोनों बच्चों मे प्यार रहेगा और बड़ा बच्चा छोटे बच्चे को अपना प्रतिद्वंदी नही मानेगा जब तब बेटे को कहते कि तुम बड़े हो रहे हो और अब तुम्हे भइया कहने वाला आ रहा है। वगैरा-वगैरा और उस समय हमे लगता कि हम ऐसा करके बहुत अच्छा कर रहे है। पर वो हमारा भ्रम था जिसे हमारे बेटे ने तोडा था।

बात उस समय की है जब हमारा बड़ा बेटा तीन साल का था और हमारा छोटा बेटा पैदा हुआ था । हॉस्पिटल और घर मे हर जगह हम लोग उससे यही कहते की अब तुम बड़े हो गए हो देखो ये तुम्हारा छोटा भाई है। तुम्हे इसका ख़्याल रखना होगा। और इसी तरह की ढेर सारी बातें। और हमारा बेटा बिल्कुल बड़े भाई की तरह अपने छोटे भाई का ध्यान रखता।और इसी तरह दिन बीते और छोटा बेटा ढाई साल का हो गया, और बड़ा साढ़े पाँच का।

दिल्ली मे हमारी कालोनी मे ही एक और हम लोगों के दोस्त रहते थे उनके भी दो बेटे थे।उनका बड़ा बेटा सात साल का और छोटा बेटा साढ़े पाँच साल का (उनका छोटा बेटा रघु हमारे बड़े बेटे के साथ का है बस १० दिन के छोटे-बड़े है)अब चूँकि बच्चे बराबर की उम्र के थे तो साथ खेलते थे । और अगर कभी बच्चों मे झगडा-लड़ाई होता तो हम दोनों दोस्त अपने-अपने बड़े बेटो को रोकते। हम अपने बेटे को बोलते की तुम बड़े हो ऐसा मत करो और वो अपने बड़े बेटे(७ साल )को बोलती । पर दोनों छोटे बच्चे डांट से बच जाते।

ऐसे ही एक दिन घर मे दोनों भाई खेल रहे थे और आपस मे लड़ पड़े और आदतन हमने अपने बड़े बेटे को कहा की बेटा तुम तो बड़े हो तुम क्यों छोटे भाई से लड़ते हो।
तो इस पर उसने बड़ी ही मासूमियत से कहा की मैं कैसे बड़ा हूँ जब रघु छोटा है।क्यूंकि आंटी तो हमेशा कहती है कि रघु छोटा हैअगर रघु छोटा है तो मैं कैसे बड़ा हुआ। मैं भी तो छोटा हूँ।

उसकी ये बात सुनकर कुछ मिनट के लिए तो हम सोचने-समझने की शक्ति ही खो बैठे थे। औरउस दिन हमे अपनी गलती का एहसास भी हुआ कि हम अभिभावक अपने बच्चों को कितनी जल्दी बड़ा बना देते है।

Comments

mamta jee,
saadar abhivaadan. bilkul sach kahaa aapne kai baar to bahut mushkil ho jaate hai, magar badaa hee pyaaraa ehsaas hota hai.
ममता जी मेरे बेटो मे पुरे ११ महीनो का फ़र्क हे. ओर छोटे वाला शरीरीक रुप से बडे से मजबुत हे, लेकिन,जब दोनो का कोई पंगा होता हे तो समझ नही आता किस को डाटें,फ़िर दोनो को ही प्यार से समझाना पड्ता हे वही उपदेश तुम बडे हो, तुम छोटे हो.
VIMAL VERMA said…
मानव स्वभाव है..वाकई बड़े छोटे में कैसे संतुलन बिठाएं? ये समस्या तो होगी ही,पर समय के साथ साथ सब बदल जाता है जब उन्हें खुद ये बात समझ आएगी।
aapney merey mun ki baat kah di...anjaaney hi hum is tarah ka vyavhaar karney lag jaatey hain..
Udan Tashtari said…
बहुत गहरी बात कह गईं.
Batangad said…
सोचने वाली बात है। बच्चों को बड़ा बनाएं या बच्चों को साथ अच्छे से हीर हने में मदद करें।

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