मिथ्या और जोधा अकबर (फ़िल्म समीक्षा )

अरे चौकने की कोई जरुरत नही है।वो क्या हैं ना की हमने अभी हाल ही मे ये दोनों फिल्में देखी तो सोचा की क्यों ना एक साथ ही इन दोनों फिल्मों के बारे मे लिख दिया जाए।मिथ्या और जोधा अकबर इन दोनों फिल्मों मे यूं तो कोई समानता नही है पर फ़िर भी हम दोनों की समीक्षा एक साथ कर रहे है। दोनों फिल्में बिल्कुल ही अलग है हर लिहाज से। वो चाहे कहानी हो या बड़े-बड़े सेट हो या कलाकार ही क्यों ना हो। मिथ्या एक बहुत ही आम सी कहानी पर बनी फ़िल्म है तो जोधा अकबर बहुत ही लैविश फ़िल्म है।

मिथ्या फ़िल्म की कहानी एक ऐसे लड़के की कहानी है जो मुम्बई हीरो बनने आता है और मुम्बई मे हुए एक मर्डर को देख लेता है और फ़िर किस तरह वो एक ऐसे डॉन के चक्कर मे पड़ता है कि उसकी सारी जिंदगी ही बदल जाती है।
इस फ़िल्म मे नेहा धूपिया भी है और नेहा को इससे पहले हमने किसी फ़िल्म मे नही देखा था सो वो कुछ ख़ास नही लगी । पर पूरी फ़िल्म का श्रेय रणवीर शोरी को जाता है।रणवीर शोरी जिसने इस फ़िल्म मे वी.के.और राजे दोनों की ही भूमिका निभाई है उसने कमाल की एक्टिंग की है। इस फ़िल्म मे रणवीर शोरी को जहाँ एक बहुत ही आम इंसान यानि स्ट्रुग्लिंग ऐक्टर दिखाया है वहीं उसे एक बहुत ही पोश डॉन के रूप मे भी दिखाया है।इस फ़िल्म को बनाने मे रजत कपूर को सात साल लगे जबकि ना ही कोई बड़ा सेट इस्तेमाल किया गया और ना ही कोई बड़ा कलाकार इस फ़िल्म मे थापर चूँकि कोई भी प्रोड्यूसर पैसा लगाने को जो तैयार नही था पर तब भी फ़िल्म अच्छी बनी


इस फ़िल्म के नाम के मुताबिक हम लोगों के साथ हादसा भी हुआ। जब हम लोग हॉल मे मिथ्या देखने पहुंचे तो मुश्किल से २०-२५ लोग ही रहे होंगे । खैर फ़िल्म शरू हुई तो शुरू के १५ मिनट तो आवाज ही नही आ रही थी किसी को कुछ समझ ही नही आ रहा था कि music और बंदूक वगैरा चलने की आवाज तो आती थी पर डायलोग सुनाई नही देते थे की आख़िर माजरा क्या है। अब अगर कोई और शहर होता तो लोग हल्ला या शोर मचाते पर गोवा के लोग(और हम भी ) चुपचाप फ़िल्म देखते रहे। और उन १५ मिनट मे लगा कि ये तो वाकई मे मिथ्या ही है कि बिना डायलोग के फ़िल्म देखो।खैर बाद मे आवाज आनी शुरू हुई और मिथ्या की मिथ्या टूटी। :)

शनिवार को हमने जोधा अकबर देखी । इस फ़िल्म को देखने के लिए हमने एडवांस बुकिंग भी कराई ये सोचकर की शनिवार को छुट्टी रहती है पर हाल मे जाने पर देखा की बस ५० -६० लोग ही रहे होंगे। हमे फ़िल्म ठीक लगी ना तो बहुत ही ज्यादा पसंद आई और ना ही बहुत ज्यादा ख़राब लगी ।इस फ़िल्म की शुरुआत बिल्कुल लगान स्टाइल मे हुई अरे मतलब अमिताभ बच्चन ने शुरू मे नरेटर की भूमिका निभाई।फ़िल्म की कहानी तो अब सभी जानते है एक मुग़ल बादशाह और राजपूत राजकुमारी के विवाह की है। ऐश्वर्या राय ने अभिनय ठीक-ठाक ही किया(कहीं-कहीं पर हम दिल दे चुके सनम और कजरारे वाली झलक मिली ) पर ऋतिक रोशन का अभिनय ज्यादा पसंद आया। यूं तो फ़िल्म ठीक थी पर फ़िर भी कुछ बातें जैसे फ़िल्म मे गाने अगर ना होते तो भी फ़िल्म मे कोई ख़ास फर्क नही पड़ता।फ़िल्म मे तो हमे गाने ज्यादा पसंद नही आए पर शायद चलते-फिरते (ऑडियो) सुनने मे ठीक लगेंगे।कहीं-कहीं पर कुछ पुराने गीत के मुखड़े भी बैक ग्राउंड मे सुनाई दिए थे। फ़िल्म का एक सीन मजेदार लगा जब अकबर आदम खान को मारने के लिए अपने सिपाहियों से आदम खान को सिर के बल ऊपर से नीचे फिकवाता है और सिपाहियों के ये कहने पर की वो जिंदा है उसे दोबारा ऊपर लाकर फ़िर से सिर के बल नीचे फेकने का हुक्म देता है।(अकबर को खून-खराबा पसंद नही था ना )

जोधा अकबर फ़िल्म को हर कोई ना जाने क्यों बैन करने पर लगा हुआ है पहले राजस्थान फ़िर महाराष्ट्र फ़िर मध्य प्रदेश और अब उत्तर प्रदेश ने भी जोधा अकबर को बैन करने का फ़ैसला लिया है जिससे राज्य मे कानून और व्यवस्था बनी रहे। पर सवाल ये है कि आख़िर इस फ़िल्म को बैन क्यों किया जा रहा है जबकि फ़िल्म की शुरुआत मे ही निर्माता ने डिस्क्लैमेर लगा रखा है ।

Comments

chavannichap said…
imandar rai ke liye shukriya.
mamata jee,
saadar abhivaadan. aapke to andaaze bayan hee niraalaa hai chaahe tv serials hon ya film . achha lagaa.
आभा said…
मिथ्या का मिथ्या टूटा चाहे आवाज ही कारण हुआ .. सुकून है पैसे बच गए...
रणवीर शौरी तो मस्त एक्टर है!!
दोनो फिल्में नही देखी अब तक!! मिथ्या का पता नही पर जोधा अकबर तो देखना है!
Udan Tashtari said…
बैन का कोई करण तो हमें भी नहीं समझ आता.
Unknown said…
समीक्षा पढ़ने के बाद हमें लग रहा है कि हमने अभी तक यह दोनों फिल्में क्यों नहीं देखीं। वैसे मिथ्या देखने की खास ज्यादा प्रबल हो उठी है।
achccha kiya jo samiksha kar di..Jodha Akbar ka apne pradesh me banned hone ka kam kasht hoga..aur mithya dekh li jayegi

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