जंग -ऐ ऑस्ट्रेलिया (पाप से घृणा करो पापी से नही)

कल ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के मैदान मे हुए रोमांचक मैच मे भारत ने ऑस्ट्रेलिया को ६ विकेट से हराकर फाईनल का पहला मैच जीत लिया। कल का मैच देखते हुए एक बार को तो लग रहा था कि कहीं फ़िर वही पुरानी कहानी भारत के खिलाड़ी ना दोहरा दे पर गनीमत कि कल भारत ने अच्छा और संभालकर खेला और मैच जीत लिया। अब अगले दो और फाइनल मे धोनी के धुरंधरों को अच्छा खेलना होगा वरना ये जीत बेकार हो जायेगी । तीन फाइनल का क्या तुक है ये समझ नही आता है।

पिछले कुछ मैच की तरह इस बार गनीमत रही की सचिन द ग्रेट ने अच्छा खेला और ना केवल अच्छा खेला बल्कि शतक भी ठोंका।कम से कम सीनियर खिलाड़ी होने का फर्ज तो निभाया वरना जब तक उनको याद ना दिलाया जाए की वो सीनियर खिलाड़ी है वो खेल पर ध्यान नही दे पाते है।धोनी को चाहिए की अगले मैच के लिए अभी से सचिन को उनके सीनियर होने की याद दिला दे वरना अगली बार वो अपने पुराने अंदाज मे आ जायेंगे। (आउट होने के)

इस पूरे दौरे मे भारतीय और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी लड़ते-झगड़ते खेल रहे हैएक झगडा सुलझता है की दूसरा झगडा शुरू हो जाता हैहर बात को दोनों टीम एक इशू बनाकर खेल के मैदान मे और बाहर लड़ती हैकितनी एनर्जी तो दोनों तरफ़ के खिलाड़ी इसी बात मे खर्च कर देते है।कभी भज्जी साइमंड को बन्दर कहते है तो कभी साइमंड भज्जी को वीड कहते है। ऐसा लगता है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी इस बात को बखूबी जानते है कि भारतीय खिलाड़ियों को उल-जलूल बातें बोलकर भड़काया जा सकता है। जिससे टीम इंडिया का ध्यान खेल से हटकर फालतू की बातों मे लग जाता है। पर इस बार टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने बात का जवाब अपने खेल से दिया।

कल धोनी और उसके धुरंधरों ने कंगारूओं को हराकर फाईनल की पहली जीत तो अपने नाम की पर साथ ही साथ विवाद भी अपने नाम कर लिया।जब मैत्थु ने भज्जी को वीड कहा और ईशांत को बौकसिंग रिंग मे देखने की इच्छा जाहिर की तो भारतीय खिलाडियों ने भी अपने स्टाइल से ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों को जवाब दिया।और कल के मैच के दौरान जब हरभजन ने साइमंड और मैत्थु को आउट किया तो दोनों ही बार भज्जी ने कुछ इशारा किया जैसे साइमंड के लिए खुजली करने का और मैत्थु के आउट होने पर बौकसिंग करते हुए दिखाए गएजिसने भज्जी के ख़िलाफ़ एक और विवाद खड़ा कर दिया


इस तरह के झगडे और खेल के बावजूद भारतीयों ने आई.पी.एल. मे साइमंड के लिए करोडों की बोली लगाई और अपनी दरिया दिली का सबूत दिया।और ये साबित किया की भारत मे महात्मा गांधी जी की उस बात का पालन करने वाले लोग रहते है जो इसमे विश्वास करते है कि पाप से घृणा करो पापी से नही। :)



Comments

mamta jee,
kriket ab wo bhadrajanon kaa khel nahin raha. khaaskar austreliya kaa vyavhaar to kaafee kharaab hai.
घृणा तो करनी नहीं चाहिये। कौन कब पाप नहीं करता। कोई भी ऊंचे सिंहासन पर नहीं है।
Udan Tashtari said…
वैसे आई.पी.एल. का फार्मूला है...पैसे से प्यार करो..अब कौन लाकर देगा, उससे कोई अंतर नहीं पड़ता. :)
Unknown said…
जब खेल के मूल में पैसा हो जाएगा तो ऐसी बातें तो रोज-रोज सामने आएंगे। क्रिकेट प्रेमी या तो इस सबकी आदत डाल लें या फिर क्रिकेट देखना छोड़ दें। दो में से एक को तो चुनना ही पड़ेगा।

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