पुनर्जन्म का चक्कर अब टी.वी.सीरियल मे भी

टी.वी.सीरियल की एक बात बहुत अच्छी है कि इसमे दर्शक कुछ भी मिस नही करता है क्यूंकि आप जब भी देखना शुरू करें लगता है कहानी अभी वहीं की वहीं है हाँ बस खलनायक और खलनायिका के जुल्म जरुर बढ़ गए होते है। वो चाहे क्यूंकि ......हो या कहानी घर....हो सलोनी हो...या दुल्हन ...या फ़िर छूना है आस्मान ही क्यों ना हो। अभी कल ही हमने कई दिनों बाद जी टी.वी.देखा तो दुल्हन सीरियल मे कहानी तो कुछ ख़ास नही बढ़ी थी पर हाँ पुनर्जन्म का किस्सा देखने को मिला और हमे हमारी पोस्ट लिखने का विषय भी मिला।

टी.वी.के सीरियल मे भी फिल्मी दांव-पेंच देखने को मिलते है।
अब जब टी.वी.मे जब नाच-गाना सब कुछ फिल्मी स्टाइल का होने लगा है तो भला पुनर्जम का विषय कैसे छूट जाता। अभी तक तो फिल्मों मे ही पुनर्जन्म दिखाया जाता था पर अब तो टी.वी.के सीरियल मे भी पुनर्जन्म की कहानी दिखाने का चलन होने जा रहा है।पुनर्जन्म पर बनी फिल्में जैसे सुभाष घई की कर्ज और अभी हाल ही मे बनी फरहा खान की ओम शान्ति ओम काफी चली है।

अभी तक एकता कपूर के सीरियल मे तथा दूसरे सीरियल मे नायक या नायिका अपने दुश्मन( जो की आम तौर पर घर वाले ही होते है) से बदला लेने के लिए चेहरे बदल लेते थे ।कई बार तो एक्सीडेंट मे मर भी जाते है पर फ़िर चेहरे बदल कर बदला लेने जाते है। पर एक बात है कि हीरो या हेरोइन ही चेहरे बदलते है बदला लेने के लिए कभी खलनायक या खलनायिका नही।अब चेहरे बदलने का तरीका हुआ पुराना इसलिए अब पुनर्जन्म का चक्कर शुरू होने जा रहा है। जी टी.वी.पर आने वाले सीरियल बनूँ मैं तेरी दुल्हन मे सीरियल की खलनायिका (यानी हीरो की बहन) ने हीरो और हिरोइन दोनों को मार दिया है और अब वो दोनों पुनर्जन्म लेकर खलनायिका से बदला लेने गए है


दुल्हन से पहले एकता कपूर के एक सीरियल शायद काजल मे भी पुनर्जन्म को दिखाया गया था । और इस दुल्हन सीरियल की कहानी को भगवान कृष्ण के जन्म की तरह दिखाया है बस फर्क इतना है की एक तो बच्चा जेल मे नही पैदा होता है और दूसरा इसमे बच्चे को उसका पिता वासुदेव जी की तरह बारिश मे यशोदा जी के घर छोड़ने नही जाता है।बल्कि अस्पताल मे ही बच्चे बदल देता है।

नोट-- अब आजकल तो ब्लॉगिंग के नशे के बाद टी.वी.देखना बहुत कम हो गया है।पर फ़िर भी हम टी.वी.देखते तो रहते है ।


Comments

mamtaa jee,
punarjanam tak to theek hai magar yahan to kaee kaee janm ho jaate hain aur har janm mein kahaanee aur kirdaar kaa bedaa gark karte hain. sach to ye hai ki ektaa kapoor ka think tank he sad gaya hai.
ममती जी नमस्‍कार। आप कब बोल हल्‍ला के लिए लिख रही हैं

आशीष
ये तो सच है कि ब्लागिंग का नशा रसा होता है आदमी अपने सब शौक भूल जाता है पर ममता जी एक बात जरुर कहूँगा कि आजकल टी.वी. सीरियल एक जैसे होते है इसीलिए इन सीरियल को देखने वालो की भी संख्या कम हो रही है सीरियल शुरू होते ही बच्चे बता देते है कि आगे क्या होने वाला है
आपसे निवेदन है कि हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार हेतु आप कृपया अपने विचार ब्लॉग मे हिन्दी मे दे
पुनर्जन्म ही नहीं, कई विषयों में भेड़चाल चलती है। मौलिक काम के पीछे कैश करने वाले बहुत होते हैं।
Unknown said…
मेरी दीदी भी बता रही थीं..मैने पूँछा कि सिंदुरा की उम्र कुछ बढ़ी कि नही तो पता चला कि मेक अप और बढ़ गया.. और मजे की बात ये है कि लोग अभी भी ये सीरियल देखेंगे...!

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