क्रिकेटर बिकते है बोलो खरीदोगे...

क्या ज़माना आ गया है की अब क्रिकेट खिलाडियों की बोली लगाई जा रही है।पहले कहानियो मे और इतिहास मे पढने को मिलता था की इंसानों की बोली लगाई जाती थी।जानवरों की बोली तो आज भी लगती है।समय बदला और अब क्रिकेट खिलाडियों की बोली लगाने का सिस्टम शुरू हुआ है।पहले लोग हाट-बाजार और सड़क चौराहे पर बोली लगाते थेअब बाकायदा बड़े होटल मे बढ़िया टेबल और पूरी शान-शौकत और खाने-पीने के बीच बोली लगाने (नीलामी की तरह) का सिलसिला शुरू हुआ है।

आई.पी.एल.ने ये नया फंडा शुरू किया है बोली लगाने का। पहले तो टीम के लिए बोली लगाई गई और अब खिलाडियों के लिए बोली लगाई गई।एक-एक टीम सौ साढ़े तीन सौ करोड़ मे बिकी है। और अब खिलाडी भी करोड़ों मे बिक रहे है। बिकने वाले खिलाडी और खरीद दार दोनों हाथों से दौलत समेटने मे लगे है।हर खिलाडी की कीमत करोडों मे मापी जा रही है।पर तब भी दादा यानी सौरभ गांगुली खुश नही नजर आ रहे है क्यूंकि उनकी कीमत धोनी से कम जो है।

अब खिलाडी की कीमत आलू -प्याज के जैसी हो गई . जैसे आलू-प्याज १० रूपये किलो बिकता है तो क्रिकेटर - -6करोड़ मे । पर इन दो-चार करोड़ से भी अपने यहां के खिलाडी संतुष्ट नही क्यूंकि अब उन्हें खेल की जगह पैसा जो दिखाई दे रहा है। अब सौरभ गांगुली को ही देख लीजिये उन्हें जितना मिल रहा है उससे संतुष्ट नही है क्यूंकि उन्हें भी ६ करोड़ की कीमत चाहिए क्यूंकि धोनी की कीमत ६ करोड़ जो लगाई गई है। और तो और शाह रुख खान जिनकी कोलकता टीम के दादा कप्तान है उन्होंने सौरभ को धोनी से ज्यादा कीमत देने का भरोसा भी दिया है।(अब शाह रुख खान तो अपने डिश के विज्ञापन मे भी कहते है की संतुष्ट मत रहो और विश् करोलगता है सौरभ ने ये विज्ञापन देखा है :) इसीलिए और विश् कर रहे है। अब जहाँ सौरभ को आइकोनिक प्लेयर बना दिया गया और उनकी कीमत फिक्स हो गई वहीँ धोनी अनमोल रहे क्यूंकि आईकोनिक प्लेयर जो नही थे । और इसीलिए चेन्नई के विजय माल्या ने उन्हें करोड़ मे खरीदा

अभी तो सिर्फ़ सौरभ ने कहा है अभी तेंदुलकर और द्रविड़ भी शायद अपनी कीमत धोनी से ज्यादा करने की मांग करेंगे। :)



Comments

ममता जी
बहुत सही लिखा है आप ने..इस कीमत के चलते टीम में टीम भावना रहेगी या नहीं ये देखने वाली बात होगी...आज के D.N.A. अखबार में एक कार्टून देखा जिसमें दो खिलाड़ियों के बीच गिरती बाल को देख कर एक खिलाड़ी दूसरे को कह रहा है की कैच तू पकड़ क्यों की तेरी कीमत मुझसे ज्यादा जो है...
नीरज
Udan Tashtari said…
:) वैसे तेन्दुलकर, द्रविण और गांगूली ला भाव आलरेडी फिक्स हो गया है उनकी टीम के सबसे मंहगे खिलाड़ी से १५% ज्यादा..तो उसका चक्कर नहीं फंसेगा..बस, नीरज भाई की तर्ज पर कैच न छोड़े.
annapurna said…
अब भारत-पाकिस्तान के बीच मैच का नाज़ारा कैसा होगा ?
mamta jee,
saadar abhivaadan. haan sahee kahaa apne sach kahoon to main bhee seriously soch rahaa hoon ki ek aadh khilaadee yadi sau do sau rupaye mein bikenge to khareed loonga , fir jarooree to nahin ki unse kriket hee khilwaaya jaya khareedne ke baad to ghar ke kaam bhee karwaaye jaa sakte hain kyon kya khyaal hai aapkaa
"पहले तो टीम के लिए बोली लगाई गई और अब खिलाडियों के लिए बोली लगाई गई।"

इस तरह से बोली लगाकर खरीदे गए खिलाडियों की बोली टीम के मालिकों के सामने बंद रहेगी. कल ही चर्चा में सूना कि ये खिलाड़ी क्या-क्या नहीं कर सकते. यकीन कीजिये, लिस्ट इतनी बड़ी थी कि एक बार को लगा कि इससे अच्छा होता अगर ये बता दिया जाता कि क्या कर सकते हैं.
Manish Kumar said…
मुझे हैरानी इस बात से हुई कि हमारे खिलाड़ी को उकसा कर उस पर नस्ल भेद की टिप्पणी करने वाला भी फिल सॉयमंड्स के लिए भी इतनी ऊँची बोली लगाई। खरीद बिक्री फुटबॉल में आम है। मुझे चिंता सिर्फ इस बात से है कि इस चकाचौंध के नीचे रणजी और दिलीप ट्राफी जैसे टूर्नामेंट उपेक्षित ना रह जाएँ ।
अभी तो बोलियां लगाई जा रही हैं। जब कीमत लायक नहीं खेलेंगे तो बोलियां कसी जायेंगी। :-)

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