शूटिंग ..उफ़ तौबा



यहां शूटिंग का मतलब गन शूटिंग नही है बल्कि फिल्म की शूटिंग है।वो क्या है ना कि हम जबसे गोवा आये है अक्सर हम अपने पतिदेव से कहते रहें है की यहां पर हमें किसी फिल्म की शूटिंग होती हुई नही दिखाई पड़ती है जबकि आज कल तो आधे से ज्यादा फिल्मों (और विज्ञापनों ) मे गोवा नजर आता है पर हमें कभी शूटिंग देखने को नही मिलती है।

ऐसा नही है कि हम ने पहले कभी शूटिंग नही देखी।पर क्या करें दिल है कि मानता नही। :) (शूटिंग देखे बिना) अरे भाई सत्तर के दशक मे जब पहली बार हम बम्बई घूमने गए थे तब बम्बई तो बहुत घूमे थे पर कोई शूटिंग नही देख पाए थे ।बस प्राण से मिले थे जो उस समय किसी घर मे आत्माराम नाम की फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। पर जब तक हम लोग वहां पहुंचे , शूटिंग ख़त्म हो गयी थी और उस समय प्राण ने कहा था की शूटिंग से ज्यादा बोरिंग कुछ नही होता है क्यूंकि एक shot के लिए कई-कई बार रीटेक होते है।उस समय तो चूँकि हमने शूटिंग देखी नही थी त उनकी बात समझ नही आई थी।

अब भला ये भी कोई बात हुई की हर फिल्म मे गोवा दिखाई दे और हम एक अदद शूटिंग भी ना देखें। वैसे एक-आध बार जब भी पंजिम मे शूटिंग होती दिखी तो हम देख ही नही पाए ।


कारण अरे ना तो पतिदेव को औए ना ही बेटों को इसमे जरा भी मजा आता है।क्यूंकि नब्बे के दशक मे जब हम लोग मनाली घूमने गए थे तो वहां शूटिंग देखी थी जिसमे हिरोइन को बचाने के लिए हीरो को ऊपर से कूदना था । पहले तो ढेर के ढेर गद्दे लगाए गए फिर गत्ते के डिब्बे लगाए गए जिससे की हीरो जब कूदे तो उसे चोट ना लगे। और ये सब होने मे काफी वक्त निकल गया। और जब सब तैयारी हो गयी तो उस हीरो ने ऊपर से कूदने मे इतना ज्यादा समय लगा दिया था कि हम सभी बोर हो गए थे।पर तब भी हमारा फिल्म शूटिंग देखने का जज़्बा कम नही हुआ था।


खैर वापिस आते है गोवा मे शूटिंग की बात पर।हम जब भी beach पर जाते तो सोचते की काश कोई फिल्म की शूटिंग देखने को मिल जाये। और पिछले शनिवार को हम लोगों ने मोरजिम beach घूमने का प्रोग्राम बनायाचलिए लग हाथ इस beach के बारे मे भी थोडा बता देते हैमोरजिम beach पंजिम से ३० की. मी. की दूरी पर हैइस beach पर और दूसरे beaches की तुलना मे ज्यादा शांति रहती हैयहां पर देसी कम विदेशी पर्यटक ही ज्यादा दिखाई देते है जो या तो सन बाथ या मड बाथ लेते दिखते हैbeach पर वहां उस एरिया के लड़के क्रिकेट खेलते हुए भी दिखते हैbeach तो अच्छा है पर थोडा खतरनाक भी हैएक तो पानी काफी पीछे और घुटनों तक ही रहता है जिसकी वजह से लोग बहुत अन्दर चले जाते है ये सोचकर की पानी ज्यादा गहरा नही हैऔर दूसरे पानी मे जगह-जगह गड्ढे भी है और जब हम मोरजिम beach पर पहुंचे तो वहां beach पर किसी फिल्म की शूटिंग चल रही थी और कोई गाना फिल्माया जा रहा था।शूटिंग होती देख हम खुश हो गए और उस ओर चल दिए जहाँ शूटिंग हो रही थीपर वहां जाकर पता चला की वहां किसी दक्षिण भारतीय गाने की शूटिंग चल रही थीऔरचूँकि उन कलाकारों को भी हम नही पहचानते थेइसलिए हमारा जोश कुछ ठंडा हो गयाअब चूँकि beach पर हम लोग थे ही तो शूटिंग होती भी देख ही रहे थे


पर बाप रे एक लाइन को शूट करने मे जिसमे सारे कलाकार एक जीप मे बैठ कर beach पर चक्कर लगाते है उस एक लाइन और एक shot को फिल्माने मे उन लोगों ने तीन घंटे लगा दिएजबकि मुश्किल से वो shot कोई एक-आधे मिनट का रहा होगा ।।हर दस मिनट पर जोर से गाने की वो लाइन बजती और जीप मे बैठे कलाकार हाथ हिलाते हुए एक चक्कर लगाते। और उस दिन के बाद शूटिंग देखने का हमारा हौसला कम क्या अब ना के बराबर हो गया है।

Comments

ममता जी, भास्कर ग्रुप की मैगज़ीन अहा!ज़िंदगी का जनवरी अंक पढ़िए, पूरा फिल्म इंडस्ट्री पर ही बेस्ड है।
उसमें एक रिपोर्ट है कि एक संवाददाता ने देखा कि कैसे सिर्फ़ दस सेकंड के शॉट के लिए पूरा दिन निकल गया। एक गाने के एक अंतरे की शूटिंग के लिए, फिल्म थी ओम शांति ओम!!
यह पढ़ कर तो मुझे फिल्म निर्माण से जुड़े लोगों की मेहनत पर प्रशंसा के भाव आ रहे हैं।
इतने यत्न से बनती है फिल्म और मेरे जैसे उसे गोबर समझते रहे - चलिये आपने मेरा कुछ विचार बदला।

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