पुरस्कार के लिए धन्यवाद और ....

हमने ब्लॉगिंग शुरू की थी तो सिर्फ अपनी ख़ुशी के लिए न कि किसी पुरस्कार प्राप्ति के लिए।जिस दिन हमें इस पुरस्कार के बारे मे पता चला था उस दिन हमे ख़ुशी और आश्चर्य दोंनों हुआ था।और जहाँ ख़ुशी और आश्चर्य होता है वहां दुःख भी होता है । ख़ुशी हमें इस लिए हुई थी कि हमारे ब्लॉग को इस लायक समझा गया कि उसे पुरस्कार के लिए चुना गया और आश्चर्य इस बात का था कि हमारा ब्लॉग कैसे और क्यूँ चुना गया और दुःख इस बात का हुआ जिस तरह हमारा ब्लॉग चुना गया ।

ब्लॉगिंग की दुनिया को जहाँ तक हमने समझा है उसमे तो कोई स्त्री है पुरुष हर कोई सिर्फ एक ब्लॉगर होता हैजहाँ उसकी पहचान उसके ब्लॉग से होती है

इस पुरस्कार को हम स्वीकार नही कर सकते है।

निर्णायकों रवि भाई,बालेन्दु भाई,मानस भाई से हमे कोई शिक़ायत नही है

ये पुरस्कार लेने का हमारा व्यक्तिगत कारण है

इतना वाद-विवाद और कटुता का होना




Comments

पुरस्कारों का एलान करते हुए जो पोस्ट लिखी गई थी, उसमें आपके ब्लाग को चुनने के पीछे जो भी कारण दिए गए थे, उससे बढ़िया और कोई आधार नहीं हो सकता पुरस्कार देने का. आप ब्लॉग को ब्लॉग की तरह इस्तेमाल करती हैं. लेखन में कोई बनावटीपन नहीं है. अपने आस-पास होने वाली घटनाओं के बारे में लिखती हैं.

ब्लॉग का इससे बढ़िया इस्तेमाल हमारे ब्लॉग-जगत में बहुत कम लोग करते हैं. पुरस्कार को स्वीकार नहीं करना आपके हाथों में है. लेकिन मुझे लगता है कि पुरस्कार को स्वीकार न करना उनलोगों के साथ न्याय नहीं होगा, जिन्होंने आपको चुना है.
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नहीं ममता! मेरी प्यार बहिन आप इस पुरस्कार को लो, आपका किसी विवाद से कोई लेना-देना नहीं है. पुरस्कारों को आने दो, आगे और भी जहाँ हैं. मैं कहता हूँ कि आप इस देश की सबसे श्रेष्ठ ब्लोगर हो, मेरी पसंदीदा ब्लोगर और मैं सात ब्लोग पर आपके लिंक इस बात का सबूत है. मुद्दा है जिस तरह मुझे जलील किया गया, मैं झूठ नहीं बोलता अगर मुझसे पूछते तो मैं नंबर एक देता. इन्हें पोस्ट में हम लोगों के ब्लोगों के नाम नहीं देने थे. यह मजाक बनाना मुझे पसंद नहीं था. उसके बाद भी ब्लोग हटाने की बजाय कुतर्क देने लगे. आप को पुरस्कार लेना चाहिए. हाँ आप अगर आप यह सोचतीं है कि महिला के नाम पर कृपा के रूप में दिया गया है तो अलग बात है. कम से कम मैं मानता हूँ कि आप २००७ की सबसे श्रेष्ठ ब्लोगर हैं. मैंने कभी भी विजेताओं का सवाल नहीं किया था पर आखिर मुझे वह क्यों पराजित घोषित कर रहे थे जबकि मैंने कोई प्रयास नहीं किया था. वैसे उनके तर्क किसी को भी तकलीफ पहुचा सकते हैं और मुझे हैरानी है वह मेरे बारे में इस तरह कैसे कर सकते थे. आप पर अभी कहानी लिख रहा था मुझे आपको पुरस्कार मिलने की खुशी हुई थी मेरी एक पोस्ट में इसका उल्लेख है कि मुझे एक ब्लोगर को पुरस्कार मिलने पर खुशी हुई मैं वैसे भी सारथी जी के कहने पर इस विवाद से निवृत हो गया हूँ और मैंने एक पोस्ट वापस भी ली है. बाकी आपकी मर्जी.

दीपक भारतदीप

ममता जी,
ममता जी मेरा एक आलेख आपके पास चला गया है, कृपया उसे मिटा दें
Pankaj Oudhia said…
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Manish Kumar said…
ममता जी आप यूं ही लिखती रहें आपके चिट्ठे पर जो कुछ अच्छा है वो तो रहेगा ही। मैंने तो यही देखा है कि यहाँ हर पुरस्कार के बाद लोग आहत होकर आरोप प्रत्यारोप में जुट जाते हैं। बहुत कुछ वैसे ही जेसे भारत में किसी भी क्षेत्र में होता है। कुल मिलाकर प्रोत्साहन से ज्यादा इस तरह की क़वायद controversy को ही जन्म देती है। आपने जो लिखा है
ब्लॉगिंग की दुनिया को जहाँ तक हमने समझा है उसमे न तो कोई स्त्री है न पुरुष हर कोई सिर्फ एक ब्लॉगर होता है।जहाँ उसकी पहचान उसके ब्लॉग से होती है।

उससे मेरी पूरी सहमति है। हम सब यहाँ अपनी खुशी से अपने मन के विषयों पर लिखते रहते हैं तो बिना बात ऐसे किसी विवाद में घसीटे जाने से दुख पहुँचता है।
Yunus Khan said…
ममता जी विवाद कुछ ज्‍यादा ही बढ़ गया है । दो तीन बातें हैं । पुरस्‍कार देने वालों ने कुछ मापदंड तय किये थे । और उन्‍हीं के आधार पर आपका चयन हुआ । मुझे महिला और पुरूष वाली बहस भी समझ नहीं आ रही है । इसलिए आप बहस से प्रभावित होकर अपना फैसला मत कीजिएगा । दादासाहब फालके से लेकर भारत रत्‍न और ऑस्‍करों तक हर पुरस्‍कार में विवाद हैं । पार्ट एंड पार्सल वाला मामला है ।
Rachna Singh said…
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ममता जी,
सबसे पहले तो आपको पुरस्कार जीतने पर बहुत बहुत बधाई।

मेरे विचार से आपके ब्लॉग पर सबसे पहली टिप्पणी मेरी ही थी, इसलिए मुझे अपनी बात सबसे पहले सुनाने का हक बनता है। हिन्दी चिट्ठाजगत मे पुरस्कारों और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। वैसे भी यदि कोई अच्छी चीज होती है तो लोग उसकी प्रशंसा करने के बजाय, मीन मेख निकालने और बवाल खड़े करने मे आगे रहते है। यकीन मानिए, आपको पुरस्कार लेने से मना करने की सलाह देने वाले लोगों को यदि ये पुरस्कार मिलता तो झट से ले लेते और अपने ब्लॉग पर दस बीस दिन तक जश्न भी मनाते।

इसलिए आपसे निवेदन है कि इन सब पचड़ो से दूर रहकर, आप अपने पुरस्कार को ग्रहण करिए। आप मस्त/बिन्दास होकर लिखिए और गर्व के साथ पुरस्कार लीजिए। आप इस पुरस्कार की सच्ची हकदार है। बाकी कोई क्या कहता है और सलाह देता है, इन सबकी परवाह करने बैठेंगी तो शायद ब्लॉगिंग भी छोड़नी पड़ जाए, इसलिए मस्त रहिए और लगातार लिखती रहिए।
mamta said…
निर्णायकों रवि भाई,बालेन्दु भाई,मानस भाई से हमे कोई शिक़ायत नही है।

ये पुरस्कार न लेने का हमारा व्यक्तिगत कारण है।

इतना वाद-विवाद और कटुता का होना ।
Tarun said…
ममता को पुरस्कार क्यों नही जमता

पहले तो आपको बहुत बहुत बधाई, और दूसरा कारण को रखिये ताक पर पुरस्कार को सहर्ष कीजिये स्वीकार :)। कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना......
ममता जी मेरी राय में आपको पुरस्कार ग्रहण करना चाहिए!!

पुरस्कार इसलिए मिला है क्योंकि आपके ब्लॉग में लेखन मे वह क्वालिटी है जो हकदार है!!
Anonymous said…
http://maeriawaaj.blogspot.com/2008/01/blog-post_14.html
Schizo Phrenic said…
"निर्णायकों रवि भाई,बालेन्दु भाई,मानस भाई से हमे कोई शिक़ायत नही है।"

आपने यह स्पष्टीकरण देकर अच्छा किया. इससे निर्णायकों के प्रति आपका नजरिया हम सब के समक्ष स्पष्ट हो गया.

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