ये जीतना भी कोई जीतना है कंगारूओं

आज सिडनी मे खेले गए दूसरे टेस्ट मैच मे ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया को हरा कर २-० की बढ़त तो हासिल कर ली है पर क्या ये बढ़त ऑस्ट्रेलिया जैसी चैम्पियन टीम को उसके अच्छे खेल की बदौलत मिली ?शर्म आनी चाहिऐ इन कंगारूओं को जो ऐसी जीत पर खुश हो रहे है। पर अफ़सोस इस बात का है टीम इंडिया ने कोई खास अच्छा प्रदर्शन नही किया।

इस मैच को भारत से जीतने के लिए ऑस्ट्रेलिया की टीम ने साम,दाम,दंड,भेद, इन सभी का भरपूर सहारा लिया। फिर वो भले ही ग्यारह की बजाय तेरह खिलाडी ही क्यों न हो ११ खिलाडी +२ एम्पायर बकनर और बेन्सन । एम्पायर भी ऐसे जिन्हें पहले से ही कह दिया गया था की कुछ भी हो जाये बस ऑस्ट्रेलिया के खिलाडियों को आउट नही देना है और भारतीय खिलाडियों को जबरदस्ती ही आउट देना है।वरना symonds जो की ३५-३६ के आस-पास आउट हुए थे उन्हें एम्पायर ने आउट नही दिया और जिसका नतीजा ये हुआ की symonds ने शतक बना लिया था ,वहीं द्रविड़ और गांगुली को गलत आउट दे कर भारत को मैच ही हरवा दिया। तीसरे दिन के खेल के बाद लग रहा था कि भारत ये मैच ड्रा करवा लेगा पर भारत को हार ही मिली। और इसका सबूत तो हम सभी टी.वी.पर देख ही चुके है।

ऑस्ट्रेलिया की टीम ने तो २ दिन पहले से ही इसकी शुरुआत कर दी थी जब symonds और हरभजन के बीच कहा सुनी हुई थी ।अब भला कंगारूओं को ये कहाँ बर्दाश्त होता की हरभजन ६३ रन बना ले और भारत के खिलाडी शतक ठोंक लें।उनकी नाक नीची नही हो जाती कि अपने ही देश मे वो लोग हार गए।


पोंटिंग की टीम को स्टीव वॉ टेस्ट मैच जीतने के रेकॉर्ड की बराबरी करने की इतनी जल्दी थी कि पोंटिंग ने ही एम्पायर की तरह ऊँगली उठाकर गांगुली को आउट करार दिया और एम्पायर ने तो उसकी बात माननी ही थी सो उसने भी गर्दन हिला कर गांगुली को आउट करार दिया। इस तरह ऑस्ट्रेलिया की टीम लगातार १६ क्या ३२ मैच भी जीत सकती है।


वैसे ऑस्ट्रेलिया की टीम के लिए ये कोई नयी बात नही है । वो अक्सर इसी तरह के हथकंडे अपनाते है मैच को जीतने के लिए जब भी उन्हें लगता है की वो हारने वाले है तो दूसरी टीम पर तरह-तरह के आरोप लगा देते है ताकि दूसरी टीम का जोश कौर हौसला कम हो जाये। पर अपनी टीम इंडिया बहुत जल्दी हताश हो जाती है काश आज भी आख़िर के बल्लेबाज किसी तरह अपना विकेट बचा पाते। ( जानते है कि कहना आसान होता है पर उन हालात मे खेलना मुश्किल होता है ) मजा तो तब आता जब ऑस्ट्रेलिया की १३ खिलाडियों की टीम को टीम इंडिया हरा देती ।

Comments

Manish Kumar said…
बड़ा कड़वा अनुभव रहा, हालांकि हमारी टीम ने अंतिम सेशन में कप्तान कुंबले जैसा application दिखाया होता तो इतनी बेईमानी के बावजूद हम मैच बचाने में सफल होते। आश्चर्य होता है कि इतना सब होते हुए भी रिकी पांटिंग जैसे खिलाड़ी भारतीय उत्पादों के विज्ञापनों में नज़र आते हैं...किन लोगों को अपना रोल मॉडल बना रहे हैं हम
Pankaj Oudhia said…
मै तो क्रिकेट कम देखता हूँ पर आज देखा तो जिसे लोग बन्दर कहते है, गलत नही कहते है। वो सचमुच बन्दर जैसा दिखता है। हाँ कंगारूओ को मनुष्यो द्वारा बन्दर कहे जाने पर आपत्ति हो सकती है। :)
"शर्म आनी चाहिऐ इन कंगारूओं को जो ऐसी जीत पर खुश हो रहे है। पर अफ़सोस इस बात का है टीम इंडिया ने कोई खास अच्छा प्रदर्शन नही किया।"

आपकी बात का अनुमोदन करता हूँ !
यह गोरे बन्दर जाऎ भाड मे, अगर भारत को अपनी इज्जत ओर मान रखना हे तो टीम को जल्द से जल्द बपिस भुला ले,ओर बयकाट कर दे इन बन्दरो से,ओर भारतिय़ो को थोडी भी अकल हो तो जिन विज्ञापनों मे रिकी पांटिंग जेसे लोग आऎ उन उत्पादों को कभी खरीदे ही मत,लेकिन ऎसा India मे तो कभी हो नही सकता,मेरा भारत India के चक्कर मे कही खो गया हे
मै आपसे सहमत हूँ ममता जी,मुझे क्रिकेट बहुत पसंद है मगर कम देखती हूँ क्योंकि मेरे देखने पर सब को परेशानी हो जाती है,कि क्रिकेट देखते वक्त मै अपनी जगह से हिलती ही नही हूँ,इसीलिये मै टी वी से ही दूर रहती हूँ...इंडिया टीम चाहे तो सबके झक्के छुड़ा सकती है,मगर मुझे लगता है कभी-कभी ये ओवर कोंफ़िडेन्स का शिकार हो जाते है...एक मैच जीता कि नही खुद को बहुत कुछ समझने लगते है...

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