जेनरेशन गैप

कुछ अजीब सा विषय है ना पर ये जेनरेशन गैप हर पीढ़ी मे होता है।बस हमारा देखने का नजरिया अलग होता है।

आख़िर ये जेनरेशन गैप है क्या बला ?

आम तौर पर माना जाये तो ये दो पीढ़ी के बीच मे आने वाला फर्क है या यूं कहें की हर बात मे, सोच मे ,आचार -विचार मे ,बातचीत के तरीके मे ,व्यवहार मे अंतर होने को जेनरेशन गैप कह सकते है।हमेशा नयी पीढ़ी पुरानी पीढ़ी को और पुरानी पीढ़ी नयी पीढ़ी को यही कहकर चुप करा देती है कि जेनरेशन गैप है।वो चाहे हम लोगों का जमाना रहा हो या फिर आज हमारे बच्चों का जमाना ही क्यों ना हो। ऐसा हम अपने अनुभव के आधार पर कह रहे है । पर हमेशा नयी पीढ़ी को ही क्यों दोष दिया जाता है कि नयी पीढ़ी या आजकल के बच्चे तमीज-तहजीब खो चुके है। उनमे छोटे-बडों का फर्क समझने की बुद्धि नही है। जबकि हम सभी उस नयी पीढ़ी वाले दौर से गुजर चुके है। पर क्या हम सबने अपने बडे-बुजुर्गों से कभी भी ऐसी बातें नही कही या करी है ? और क्या इन सबसे बडे-बुजुर्गों के साथ संबंधों या रिश्तों मे फर्क आ गया था।जब तब नही आया तो अब हम बच्चों को क्यों ये कहकर अहसास दिलाते है ।


ये तो सोचने वाली बात है की जो बात हम अपने दौर मे सही मानते थे अब हम उसे गलत क्यों मानते है सिर्फ इसलिए की हमारी नयी पीढ़ी हमारे बच्चे आज के ज़माने के है और उनका सोचने-समझने का नजरिया हमसे भिन्न है।

हमारे ख्याल से ये जेनरेशन गैप एक मिथ्या है ।किसी भी वार्तालाप को ख़त्म करने का ये अचूक अस्त्र है। क्यूंकि इसके बाद कुछ कहने-सुनने की गुंजाइश ही नही रहती है। हम सभी यानी कि नयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी दोनो ही सवालों का जवाब देने से बचने के लिए इस शब्द को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते है।

आपका क्या विचार है ?

Comments

Divine India said…
कफी अच्छा मुद्दा उठाया है…
गैप तो रहता ही हैं मानसिकता का बस फर्क यह होता है कि हम समाजिक संस्कारों को लगातार बदलते रहते हैं और खुद की सोंच को भी… मनुष्य जहाँ तक खुद की इच्छाओं को पूरा कर सकता है वह वहाँ तक जाना चाहता है… बस लड़ाई यहीं शुरु हो जाती है…
कोई नहीं चाहता की लोग उसके बनाए घेरे को तोड़े…
इसलिए एक गैप तो हमेशा बना रहता है और रहेगा…सिर्फ संस्कार टूटते रहेंगे।
काकेश said…
सही है..आपका सोचना भी सही है.. लेकिन जनरेशन गैप तो है ही ..सब कहते हैं ना ..हमने भी कह दिया..आपके समझ नहीं आया ना ...यही तो जनरेशन गैप है... :-)
काकेश जी की बात सही है...जनरेश्न गेप तो रहेगा ही जब एक आगे बढेगा ...तो दूसरा पीछे छूटता जाएगा...यह तो होना ही है।
खाई दो व्यक्तियों के बीच में = आपसी विवाद।
खाई दो पीढ़ियों के व्यक्तियों के बीच में = जेनरेशन गैप।
पीढ़ियां जब असंवेदनशील होती हैं तो अलग सोचती हैं। परिवर्तन जब बहुत तेजी से होते हैं तो असंवेदना बढ़ाते हैं।
दूसरे के नजरिये को समझने की कोशिश हो तो सारे गैप कम हो जाते हैं।
आभा said…
मुझो तो लगता है कि यह गैप ही हमें एक दूसरे के करीब आने को प्रेरित करता है....
आपने अच्छी बातें लिखी हैं....
Udan Tashtari said…
आपका सोचना भी सही है.

दो तीन दिनों से भारत यात्रा की तैयारी करने में लगा हूँ, विलम्ब के लिये क्षमा. अब आगे तो कुछ दिन तक सेटेल होने में लगेगा भारत पहुँच कर. मगर प्रयास करके पढ़ता रहूँगा. अच्छा लगा पढ़कर. दीपावली की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें.
हमारा जीवन संस्कारों पर चलता है , जीवन में जो कुछ भी किया जाता है वही चित्त पटल पर आकर संस्कार का रूप ले लेता है .जब हमारे अनुभव में गैप है तो विचारों में गैप होना लाजमी है .जनरेशन गैप पर आपके विचार नि :संदेह बहुत सुंदर है .
dpkraj said…
जनरेशन गैप का मतलब यह है आयु की बजह से दो व्यक्तियों के बीच वैचारिक अंतर-यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है.
दीपक भारतदीप

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