बैरेन आइलैंड


barren island जैसा की नाम से ही लग रहा है कि ये एक ऐसा द्वीप होगा जहाँ जनजीवन नही होगा। और बिल्कुल ऐसा ही है । barren island हिंदुस्तान का एकमात्र जीवित ज्वालामुखी है जो अंडमान मे है। ।ये द्वीप पोर्ट ब्लेयर से १३०-१३५ कि .मी.की दूरी पर है। और यहां भी जाने के लिए बोट से ही जाना पड़ता है। अब का तो पता नही कि ये ज्वालामुखी जीवित है या नही पर २००५ मे करीब ९-१० साल बाद ये जीवित हो गया था मतलब ज्वालामुखी फट गया था।

शुरू मे जब ये ज्वालामुखी ज्यादा तीव्र था तब तो कम पर बाद मे इसे भी एक पर्यटन स्थल बना दिया गया था क्यूंकि ये भी जिंदगी मे बार-बार कहॉ देखने को मिलता है। कभी-कभी तो वहां बडे शिप भी ले जाये जाते थे जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस ज्वालामुखी को देख सकें।और इसके अलावा छोटी बोट barren island जाने के लिए फीनिक्स बे jetty से रात नौ बजे जाती थी और बिल्कुल सुबह तीन बजे इस द्वीप के पास पहुंचती थी। रात मे बोट इसलिये जाती थी क्यूंकि सुबह यानी भोर मे सिर्फ तीन से पांच बजे तक ही लावा दिखता था क्यूंकि अँधेरे मे लाल-पीला लावा साफ तौर पर देखा जा सकता था। और जैसे ही उजाला हो जाता है सिर्फ धुँआ -धुँआ सा ही दिखता है ।

अब चुंकि हम लोग उन दिनों अंडमान मे थे और क्यूंकि धीरे-धीरे ये ज्वालामुखी शांत हो रहा था। तो एक दिन हम लोगों ने भी सोचा कि चलो भाई अब जब अंडमान मे है तो इस ज्वालामुखी को भी देख लिया जाये। वो क्या है ना की हमे समुद्री यात्रा रास नही आती है और सुनामी के बाद तो मन मे एक डर सा बैठ गया था पर फिर भी हिम्मत करके हम तैयार हो गए। बस फिर क्या था तय हुआ की शोंपेन बोट से चलने का तय हुआ ।सो हम लोग और कुछ हम लोगों के मित्र और उनके परिवार वाले पहुंच गए रात नौ बजे फ़िनिक्क्ष् बे jetty पर barren island जाने के लिए। बोट पर ही खाने का इंतजाम था । हमारे सिवा हर कोई बोट पर खुश था और हम बिचारे नौसिया और वोमितिंग से परेशान। खाना खाना तो दूर हम तो बस cabin मे लेटे रहे । हालांकि हम लोगों के साथ एक डाक्टर साब भी थे पर sea- sickness जब शुरू हो जाती है तो कोई भी दवा काम नही आती है।वैसे हम ने भी एवोमिन खाई हुई थी पर जैसे ही बोट चली कि सब दवा बेअसर हो गयी। खैर हम पर तो दवा बेअसर थी पर बाक़ी सभी लोगों ने डॉक्टर साब कि दवा खाई थी और मस्त थे।


करीब शायद बारह बजे के आस-पास सभी लोग सो गए और अचानक ही शिप के कैप्टन की आवाज आयी की गुड मोर्निंग ! हमारा शिप barren island के पास पहुंच रहा है।आप अपने बायें ओर की खिड़की से बाहर की ओर देखिए तो आप लोगों को ज्वालामुखी दिखाई देगा।हर होई हडबडा कर उठ गया और खिड़की के बाहर देखने लगा।बाहर देखा तो अदभुत सा नजर था , बाहर बिल्कुल अँधेरा था और लाल-लाल लावा जलता हुआ दिख रहा था। अभी खिड़की से हम लोग देख ही रहे थे कि कैप्टन की फिर से आवाज आई कि पूरी तरह से ज्वालामुखी देखने के लिए आप सभी लोगऊपर डेक पर पहुँचिये।


कैप्टन की आवाज सुनते ही हर कोई फ़टाफ़ट उठ गया और घडी देखी तो सुबह के तीन बज रहे थे। और सब अपने-अपने कैमरा संभाले ऊपर डेक पर पहुंच गए आख़िर फोटो जो खींचनी थी। पर डेक पर खड़ा होना आसान नही था क्यूंकि डेक पर हवा बहुत थी और लहरें भी बहुत तेज थी। और साथ ही हम लोगों की बोट छोटी होने के वजह से ख़ूब जोर-जोर से हिल रही थी।बडे शिप को द्वीप के और नजदीक ले जाया जाता था पर चूँकि हम लोगों की बोट छोटी थी इसलिए बोट को थोडा पहले ही रोक लिया गया था । इतनी हिलती हुई बोट मे हम लोगों को ये समझ नही आ रहा था कि ज्वालामुखी देखें कि फोटो खींचे कि अपने आप को संभाले। खैर हम महिलाएं तो बोट के बीच मे बने हुए सपोर्ट के साथ खड़ी हो गयी और बेटे ने कुछ फोटो खींचे। पर फोटो बहुत साफ नही आये क्यूंकि बोट बहुत ज्यादा हिल रही थी और संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो रहा था।

और वो दो घंटे तीन से पांच बजे का समय कैसे गुजर गया पता ही नही चला पर जैसे ही बोट ने पोर्ट ब्ल्येर के लिए वापसी का रुख किया कि बोट पर मौजूद हर किसी की तबियत खराब होना शुरू हो गयी क्यूंकि एक तो हल्पा और दुसरे बिल्कुल सुबह उठने से सब का बुरा हाल था । पर सबसे मजेदार की लौटने मे हमे कोई तकलीफ नही हुई क्यूंकि हम तो रात मे ही अपना कोटा जो पूरा कर चुके थे। :)







Comments

शुक्रिया इस बढ़िया विवरण के लिए!!
बहुत अच्छा यात्रा वृतांत पढाया आपने. धन्यवाद.
Unknown said…
कहीं अंदर तक उतरने वाले विवरण. फिर आंखे झपकाते हुए जी चाहता है कलम चुम लूं. बहुत सुंदर !
www.raviwar.com
अच्छा लिखा है। मैं तो हिन्दी का 'बैरन (दुश्मन)' समझ रहा था। आखिर 'हट-बे' भी आपका लिखा था न!
आभा said…
अच्छा लिखा है......बधाई..
काकेश said…
अच्छा वर्णन.काश हम भी घूम पाते.
Manish Kumar said…
शुक्रिया..मज़ा आया बैरन द्वीप का सफ़र कर !
अच्छी जानकारी दी है।धन्यवाद।
ममता जी लावारस को आपने देखा ये तो बडे अचरज जैसा होगा , है ना?
आपका वर्णन रोचक है :)
-- लावण्या
dpkraj said…
हमेशा की तरह आपके जैसे यात्रा वृतांत वर्णन बहुत पठनीय और संग्रहनीय होते हैं यह भी है.
दीपक भारतदीप
DUSHYANT said…
खुदा करे जोरेकलम और ज़्यादा

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