खिलाड़ी किस लिए खेलते है ?
खिलाड़ी किस लिए खेलते है देश के लिए ,अवार्ड के लिए,या अपने लिए ?
जब से भारत ने twenty-२० विश्व कप जीता है और जब से इस यंग टीम इंडिया पर इनामों की बौछार हुई है लगता है सारे देश के हर खिलाड़ी को वो चाहे कोई भी खेल खेलता हो उन्हें कुछ परेशानी सी होने लगी है। अब वो चाहे हॉकी की टीम हो या चाहे शतरंज के विश्व चैम्पियन हो या चाहे billiards के विश्व चैम्पियन हो और चाहे गोल्फ के चैम्पियन हो। हर किसी को लग रहा है कि उनके साथ राज्य सरकारों ने और लोगों ने वैसा व्यवहार नही किया जैसा कि टीम इंडिया के साथ किया है।वैसे एक तरह से उनका रोष सही भी है क्यूंकि भला कितने लोग जानते है कि जीव मिल्खा सिंह गोल्फ खेलते है या पंकज आडवाणी billiards खेलते है।
क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसे ना केवल लड़के और आदमी ही देखते -सुनते है बल्कि बच्चे महिलाएं और ये कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि हर कोई देखता है और सुनता है। क्रिकेट के लिए लोगों मे एक जुनून सा है। जिससे हम सब बड़ी ही अच्छी तरह से वाकिफ है।ऐसा नही है कि क्रिकेट के प्रति लोगों का झुकाव अभी हुआ है बल्कि आज से क्या जब से याद है देश मे क्रिकेट के प्रति लोग पागल ही रहे है और ऐसा पागलपन और दीवानगी किसी और खेल के प्रति नही देखी गयी है। अब इसे क्रिकेट का भाग्य ही कहा जा सकता है। अगर टीम इंडिया अच्छा खेलती है तो लोग सर आंखों पर् बिठाते है पर् जब यही टीम इंडिया खराब खेलती है तो लोग एक मिनट भी नही लगाते है इनकी आलोचना करने मे।और हम भी इससे अछुते नही है। अभी हर दुसरे खेल को खेलने वाले खिलाड़ी को टीम इंडिया के इनाम दिख रहे है पर् हारने पर टीम इंडिया क्या उनके घरवालों को भी लोग नही छोड़ते है ।क्यूंकि क्रिकेट से हर कोई अपने को जुडा हुआ महसूस करता है। पर् क्या किसी और खेल के खिलाड़ियों के अच्छा ना खेलने पर् लोग उनके घरवालों को या खिलाड़ियों को परेशान करते है।
जब टीम इंडिया के हर खिलाड़ी को बी.सी.सी.आई. ने और हर राज्य सरकार ने इनाम कि घोषणा की तो हॉकी की टीम ने भूख हड़ताल की बात करी। और क्रिकेट और हॉकी के साथ सौतेला व्यवहार करने की बात भी कही।
अभी दो-तीन दिन पहले ही शतरंज मे विश्वनाथन आनंद दूसरी बार world चैम्पियन बने है और उन्होने ये कहा है की अब जब वो भारत आएंगे तो वो ये देखना चाहते है की यहां भारत मे उनका किस तरह से स्वागत किया जाता है।पर् शायद आनंद ये भूल गए है की जब वो पहली बार world चैम्पियन बने थे तो सारे देश ने उनका स्वागत किया था ।
पंकज आडवाणी चार बार billiards के world champion रह चुके है। और अभी हाल ही मे कर्नाटक सरकार ने उन्हें एकलव्य पुरस्कार देने की घोषणा की थी पर् पंकज ने ये कहकर अवार्ड लेने से इनकार कर दिया की जब उन्हें राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड और अर्जुन अवार्ड मिल चुका है और अब ये अवार्ड too little and too late।
गोल्फ खेलने वाले जीव मिल्खा सिंह को भी इस बात से शिक़ायत है की आख़िर टीम इंडिया को इतने इनाम क्यों दिए जा रहे है।यूं उनका कहना सही भी है कि हॉकी को बढावा दिया जाना चाहिऐ। क्यूंकि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है।
पर् यहां सबसे बड़ा सवाल ये है की क्या पैसा ही सब कुछ है। क्रिकेट जिसे शायद हर अमीर और गरीब व्यक्ति वो चाहे गली-मोहल्ले मे रहता हो या चाहे आलिशान महल मे रहता हो वो क्रिकेट खेल सकता है।अच्छे से अच्छे और महंगे से महंगे बल्ले से भी क्रिकेट खेला जा सकता है और सस्ते से बल्ले से भी। पर् क्या कोई आम आदमी गोल्फ या billiards खेल सकता है।
जब से भारत ने twenty-२० विश्व कप जीता है और जब से इस यंग टीम इंडिया पर इनामों की बौछार हुई है लगता है सारे देश के हर खिलाड़ी को वो चाहे कोई भी खेल खेलता हो उन्हें कुछ परेशानी सी होने लगी है। अब वो चाहे हॉकी की टीम हो या चाहे शतरंज के विश्व चैम्पियन हो या चाहे billiards के विश्व चैम्पियन हो और चाहे गोल्फ के चैम्पियन हो। हर किसी को लग रहा है कि उनके साथ राज्य सरकारों ने और लोगों ने वैसा व्यवहार नही किया जैसा कि टीम इंडिया के साथ किया है।वैसे एक तरह से उनका रोष सही भी है क्यूंकि भला कितने लोग जानते है कि जीव मिल्खा सिंह गोल्फ खेलते है या पंकज आडवाणी billiards खेलते है।
क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसे ना केवल लड़के और आदमी ही देखते -सुनते है बल्कि बच्चे महिलाएं और ये कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि हर कोई देखता है और सुनता है। क्रिकेट के लिए लोगों मे एक जुनून सा है। जिससे हम सब बड़ी ही अच्छी तरह से वाकिफ है।ऐसा नही है कि क्रिकेट के प्रति लोगों का झुकाव अभी हुआ है बल्कि आज से क्या जब से याद है देश मे क्रिकेट के प्रति लोग पागल ही रहे है और ऐसा पागलपन और दीवानगी किसी और खेल के प्रति नही देखी गयी है। अब इसे क्रिकेट का भाग्य ही कहा जा सकता है। अगर टीम इंडिया अच्छा खेलती है तो लोग सर आंखों पर् बिठाते है पर् जब यही टीम इंडिया खराब खेलती है तो लोग एक मिनट भी नही लगाते है इनकी आलोचना करने मे।और हम भी इससे अछुते नही है। अभी हर दुसरे खेल को खेलने वाले खिलाड़ी को टीम इंडिया के इनाम दिख रहे है पर् हारने पर टीम इंडिया क्या उनके घरवालों को भी लोग नही छोड़ते है ।क्यूंकि क्रिकेट से हर कोई अपने को जुडा हुआ महसूस करता है। पर् क्या किसी और खेल के खिलाड़ियों के अच्छा ना खेलने पर् लोग उनके घरवालों को या खिलाड़ियों को परेशान करते है।
जब टीम इंडिया के हर खिलाड़ी को बी.सी.सी.आई. ने और हर राज्य सरकार ने इनाम कि घोषणा की तो हॉकी की टीम ने भूख हड़ताल की बात करी। और क्रिकेट और हॉकी के साथ सौतेला व्यवहार करने की बात भी कही।
अभी दो-तीन दिन पहले ही शतरंज मे विश्वनाथन आनंद दूसरी बार world चैम्पियन बने है और उन्होने ये कहा है की अब जब वो भारत आएंगे तो वो ये देखना चाहते है की यहां भारत मे उनका किस तरह से स्वागत किया जाता है।पर् शायद आनंद ये भूल गए है की जब वो पहली बार world चैम्पियन बने थे तो सारे देश ने उनका स्वागत किया था ।
पंकज आडवाणी चार बार billiards के world champion रह चुके है। और अभी हाल ही मे कर्नाटक सरकार ने उन्हें एकलव्य पुरस्कार देने की घोषणा की थी पर् पंकज ने ये कहकर अवार्ड लेने से इनकार कर दिया की जब उन्हें राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड और अर्जुन अवार्ड मिल चुका है और अब ये अवार्ड too little and too late।
गोल्फ खेलने वाले जीव मिल्खा सिंह को भी इस बात से शिक़ायत है की आख़िर टीम इंडिया को इतने इनाम क्यों दिए जा रहे है।यूं उनका कहना सही भी है कि हॉकी को बढावा दिया जाना चाहिऐ। क्यूंकि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है।
पर् यहां सबसे बड़ा सवाल ये है की क्या पैसा ही सब कुछ है। क्रिकेट जिसे शायद हर अमीर और गरीब व्यक्ति वो चाहे गली-मोहल्ले मे रहता हो या चाहे आलिशान महल मे रहता हो वो क्रिकेट खेल सकता है।अच्छे से अच्छे और महंगे से महंगे बल्ले से भी क्रिकेट खेला जा सकता है और सस्ते से बल्ले से भी। पर् क्या कोई आम आदमी गोल्फ या billiards खेल सकता है।
Comments
लोकप्रियता ही इसका आभार है. इसी महंगे कारण से गोल्फ लोकप्रिय कहाँ है भारत में.
क्रिकेट घर घर मे पूजा जाता है. हॉकी भी जिस दिन अपनी खोई लोकप्रियता वापस हासिल कर लेगी, तब उस पर भी ईनामों की बरसात होने लगेगी.
दीपक भारतदीप
सुनीता(शानू)