कौन सच्चा और कौन झूठा ?

परसों यानी १४ अगस्त की रात को इंडिया टी.वी.ने एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट दिखाई जिसमे चैनल ने एन्काउंतर का सच दिखाया था।इस रिपोर्ट मे सितम्बर २००६ मे इलाहाबाद मे हुए एक एन्काउंतर का विडियो जिसमे एक आदमी जिसका नाम पिंटू था उसे दिखाया जा रहा था और रिपोर्टर ये बता रहा था की पिंटू हाथ ऊपर करके पुलिस के सामने सरेंडर करना चाह रहा था पर पुलिस ने बड़ी ही निर्ममता से उसे गालियाँ देते हुए मार गिराया था। करीब एक घंटे तक यही न्यूज़ दिखाई गयी कि किस तरह से पुलिस ने उस आदमी को मारा जबकि वो आदमी निहत्ता था और सरेंडर करना चाह रहा था।और कैसे डी.जी.पी.ने उस आदमी को सरेंडर करने का मौका नही दिया, जबकि वो आदमी लगातार सरेंडर की बात कह रहा था। और जब पुलिस ने गोलियाँ चलाई तो कैसे पिंटू अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागा। और फिर यही न्यूज़ १५ अगस्त की दोपहर को भी दिखाई गयी ।


पर कल यानी १५ अगस्त की दोपहर को स्टार न्यूज़ ने भी एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट दिखाई ये कहते हुए कि आख़िर एन्काउंतर का सच क्या है।इसमे दिखाया गया की सितम्बर २००६ मे इलाहाबाद पुलिस और पिंटू नाम के शख्स के बीच मे भिड़ंत हुई जिसमे पिंटू ने पुलिस वाले पर गोली चलाई औए बम भी चलाये। और इसमे भी पिंटू को हाथ ऊपर करके दिखाया गया और पुलिस वालों को गाली देते हुए और फिर गोलियां चलाते हुए दिखाया गया। जब पुलिस ने गोली चलानी शुरू की तो पिंटू वहां से भागता है और पुलिस वाले उसके पीछे भागते है पर थोड़ी दूर जाने पर एक पुलिस वाला वापिस भाग कर आता है और उसके पीछे की तरफ एक धमाका (सुनाई नही देता है ) होता है और धुँआ उठता हुआ दिखता है।स्टार न्यूज़ ने कहा की उनके चैनल ने इस खबर की जांच पड़ताल की है और ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट दिखा रहा है कि पिंटू निहत्ता नही था और पुलिस ने ही नही अपितु उसने भी पुलिस पर गोली चलाई थी और बम भी चलाये थे। जिसमे एक पुलिस वाले की मृत्यु हो गयी और दुसरे को पैर मे चोट लगी (शायद गोली )। और किस तरह से ये खबर देखने के बाद मायावती ने जांच के आदेश दे दिए है।

कल यानी १५ अगस्त की रात इंडिया टी.वी.ने फिर से इसी एक्सक्लूसिव न्यूज़ को दिखाते हुआ कहा कि उनकी खबर देखने के बाद मायावती ने किस तरह जांच के आदेश दे दिए है। और डी जी.पी.ने भी अपना पहले का बयान बदल दिया है। उस एक लाइन के बयान को कई बार ये कहते हुए कि अब हम आपको डी.जी.पी.का वो बयान दिखायेंगे जिसमे उन्होंने माना है कि पुलिस वालों ने गलती की है दिखाया।और ये भी कहा कि पहले उनका बयान कुछ और था।पर इनकी न्यूज़ मे जब पिंटू पुलिस की गोलियों से बच कर भागता है तो उसमे ना तो वो बम का धुँआ दिखाया गया और ना ही कोई पुलिस वाले के जख्मी होने की खबर बतायी गयी ।


यहां सवाल ये उठता है की आख़िर कौन सा चैनल हमे सही खबर दिखा रहा है। और हम किस की बात का विश्वास करें।
क्या खबर को इस तरह दिखाना जरुरी है।

अगर एक चैनल मे पिंटू के पास बम होने की बात कही गयी है तो दूसरे मे क्यों नही बताई गयी।

पुलिस वाले जो गाली दे रहे थे वो तो दोनो चैनल पर ही सुनाई दे रही थी पर बम की बात उन लोगों ने क्यों नही सुनी।

पिंटू के एन्काउंतर की जांच तो होगी पर इन न्यूज़ चैनल वालों की कौन जांच करेगा की वो खबर को क्यों तोड़ -मरोड़ देते है।

कौन सच्चा और कौन झूठा है ये तो बाद मे पता चलेगा पर ....?

शायद यही स्वतंत्रता का अर्थ है कि जो जैसे चाहे ख़बर को दिखा सकता है।

Comments

सबसे ज्यादा सुकून मुझे है - न कोई टीवी चैनल देखता हूं, न ते सवाल विदग्ध करते हैं.
ePandit said…
ज्ञानदत्त जी वाला सुकून मुझे भी है। :)
36solutions said…
Mamata ji,

Aapaka sawal lajimi hai par en TV valo ko hamare es bahas se lena dena nahi hai, ha ham lagatar likhate rahe to mansikata me parivartan ki sambhavana to banati hi hai.

Dhanyavad jo aapane likha.
सही है टी वी वालों की भी जाँच होनी चाहिए । ताकि सही जानकारी मिल सके। लेकिन जाँच करेगा कौन?
Udan Tashtari said…
हमने तो देखा नहीं मगर आपके विचारों से सहमत हूँ.
मेरे यहां केबल नहीं आता। इन सब से बचा हूं पर लगता है कि अब तो देखने पर ही विश्वास करना मुश्किल है।
sanjay patel said…
हम भी रेडियो वाले हैं और टीवी की ममता से दूर हैं लेकिन आपका नज़रिया चिट्ठों का नूर है.
यूनुस said…
और हम भी तो रेडियो वाले ही हैं । ना टी वी देखते हैं ना दुखी रहते हैं
dpkraj said…
बहुत बढिया आपने वास्तविकता बयान की है
यहाँ US में भी भारतीय TV चैनल्स (यानि कि दिमागी कचरे का ढेर) सैटेलाईट के जरिये ($15-30 प्रति चैनल) देखे जा सकते हैं. पर मैं भारतीय टीवी से उतना ही दूर रहता हूँ जितना भारतीय टीवी के कार्यक्रम बनाने वाले क्रियेटिविटी से. भारतीय टीवी और (कुछ हद तक) फिल्मों के लोग क्रियेटिविटी के क्षेत्र में दिवालिये हैं. टीवी पर या तो ऊल जलूल सोप ऑपेरा आते हैं या फिर बॉलीवुड पर आधारित कार्यक्रम - यहाँ तक कि राष्ट्रीय समाचार भी बॉलीवुड को नहीं छोड़ता है. 0 से 10 के स्केल पर भारत के समस्त टीवी चैनल्स 2.5 के ही योग्य है.
ममताजी आपसे सहमत हैं। क्या करें अखबार का पहला पन्ना हमें ही देखना पड़ता है सो दफ्तर जाने से पहले टीवी के टिकर पर नज़र ज़रूर मार लेते हैं वर्ना कोसों दूर।
आपने हमारे ब्लाग को देखा और लिखे को सराहा इसका शुक्रिया।

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