गोवा के समुद्र ( beach )कितने सुरक्षित ?

आम तौर पर गोवा अपने सुन्दर beaches के लिए जाना जाता है । गोवा मे इतने ज्यादा बीच है कि जिसका कोई हिसाब ही नही है।पर कुछ बीच जैसे कलेंग्गुत ,कोल्वा,मीरामार ,बागा,अन्जुना,वेगातोर तो हमेशा पर्यटकों या गोवा के रहने वालों से हमेशा भरे रहते है तो कुछ जैसे आरम्बोल,मोर्जिम ,बोग्मोलो ,पालोलिम और अनेकों ऐसे बीच भी है जहाँ लोग कम जाते है पर विदेशी पर्यटक आम तौर पर कम भीड़-भाड़ वाले बीच पर ज्यादा जाते है ।


यूं तो जब भी कोई समुद्र किनारे जाता है तो उसका मन पानी मे जाने का हो ही जाता है । कुछ तो इसलिये कि भाई अगर समुद्र मे नहाया ही नही तो फिर ऐसी जगह आने का क्या फायदा और दूसरे कई बार लोग शर्मा शर्मी मे भी पानी मे जाते है कि कहीँ वहां मौजूद लोग उन्हें डरपोंक ना समझ ले। पर कुछ लोग जैसे कि जवान बच्चे और लड़के-लडकियां तो पानी मे ना जाएँ ऐसा भला कैसे हो सकता है। ठीक भी है आख़िर समुन्द्र हर जगह तो है नही। पर कई बार यही समुन्द्र कितना जानलेवा हो सकता है इसका किसी को भी अंदाजा नही होता है।


सारी दुनिया मे गोवा के बीच फ़्रेंडली बीच के तौर पर जाने जाते है और ये भी माना जाता है कि वहां के बीच मे नहाने का जो मजा है वो कहीँ और नही है। तो हमने कब इनकार किया है । ये तो हम भी मानते है कि गोवा के बीच बहुत ही सुन्दर और साफ होते है पर क्या आप जानते है कि गोवा के समुन्द्र मे अंडर करंट बहुत है । क्यों आश्चर्य हुआ कि हम ये क्या कह रहे है अंडर करंट और वो भी गोवा के समुद्र मे। जी हाँ हम बिल्कुल सही कह रहे है।


गोवा मे अंडर करंट सुनने मे खराब लगता है पर यही हक़ीकत है पर लोग इस बात को ना तो जानते है और नही वहां जो चेतावनी लिखी होती है उस पर ध्यान देते है।वहां के जो लोकल अखबार है उनमे भी प्रशासन द्वारा लिखा रहता है कि समुद्र के अन्दर ज्यादाअन्दर मत जाएँ । आम तौर पर बारिश मे समुन्द्र बहुत ही रफ हो जाता है मतलब लहरें बहुत उँची-उँची उठती है और bo वगैरा भी लगाया जाता है कि स्विमिंग ना करें।पर तब भी लोग पानी मे जाते है और कई बार लहरें इतनी उँची होती है कि वो उसमे फंस जाते है और अगर किस्मत साथ नही देती है तो वापिस नही आ पाते है। हालांकि वहां लाइफ गार्ड (२-४)भी रहते है जो कि लोगों को पानी मे जाने से रोकने के लिए सीटी बजाते रहते है पर लोग भी उस गार्ड को चकमा दे कर पानी मे जाते रहते है।उन्हें लगता है की अभी तो पानी इतना कम है या अभी तो पानी बस क़मर तक ही है वगैरा -वगैरा।पर कई बार तो अच्छे तैराक भी डूब जाते है। रोज ही पेपर मे चार-छे लोगों (पर्यटकों) के डूबने की खबर निकलती है।


अक्सर कॉलेज के छात्र या किसी संस्थान से जो लोग ग्रुप मे आते है उनमे समुन्द्र मे नहाने और दूर तक जाने का ज्यादा ही जोश होता है।कई बार तो ऐसे लोग या छात्र -छात्राएं रात मे भी बीच पर नहाते है जो कि उनकी जिंदगी के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है।पर कोई उन्हें रोक नही पाता है क्यूंकि अगर कोई रोकना चाहे तो भी वो नही रुकते है। अभी पिछले हफ्ते ही दिल्ली के एक छात्र की गोवा मे समुद्र मे डूबने से मृत्यु हुई है।


हमारा यहां लिखने का ये मतलब नही है कि अगर कोई गोवा जाये तो बीच पर ना नहाये। जरूर नहाइये और ख़ूब नहाइये पर थोड़ी सावधानी से । क्यूंकि वो कहते है ना सावधानी हटी और दुर्घटना घटीं




Comments

रेल में शब्द है - एडेक्वेट डिस्टेंस adequate distance) - अर्थात वह दूरी जो बिल्कुल किसी अवरोध के रहित मिलनी ही चाहिये एक रेलगाड़ी को चलाने के लिये.
हमने किसी भी समुद्र तट को एडेक्वेट डिस्टेंस से ही निहारा है. गोवा भी समुद्र को दूर से नमस्कार कर चले आये! :)
amit said…
अब कोई जानबूझकर ही daredevil बनना चाहे तो वो किसी के रोके नहीं रूकता और यदि ज़िन्दा बच के आ गया तो वह खुद प्रशासन को दोष देगा कि बताया नहीं, यदि नहीं लौटा/लौटी तो उसके घरवाले प्रशासन को कोसेंगे! एक के कारण अनेक भुगतते हैं!!
Udan Tashtari said…
आपने अच्छी सलाह दी. बहुत जरुरी है कि लोग सावधानी बरतें. जीवन अमूल्य है, इस बात को समझें.
dpkraj said…
बारिश में पिकनिक मनाने लेकर सभी जगह यही समस्या है, लोग चेतावनी का ध्यान नहीं रखते और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं ,
36solutions said…
अच्‍छी जानकारी दी है, गोवा जाने वालों के लिए यह जानकारी ध्‍यान रखने योग्‍य है ।

धन्‍यवाद !
“आरंभ” संजीव का हिन्‍दी चिट्ठा
Manish Kumar said…
सही कह रहीं हैं आप।
कलेंग्गुत पर गोताखोरों की मौजूदगी के बावजूद एक किशोर को पानी में समाते देख चुका हूँ। ;(
मुझे दो बार गोवा जाने का मौका मिला। एक बार मां के साथ दूसरी बार अभी पत्नी के साथ। मुझे वहां अच्छा लगा फिर जाना चाहूंगा। समुद्री तट पर रात में अकेले, लहरों के साथ, उनके कोलाहल के बीच, समय बिताना है।

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