क्या हिंदी मे बात करना गलत है?
अब इस शीर्षक देख कर तो हर हिन्दुस्तानी यही कहेगा कि लो जी ये भी कोई पूछने की बात है। अब हम भारत वासी हिंदी नही बोलेंगे तो और क्या बोलेंगे। भाई जब चीनी लोग चीनी भाषा बोलते है और रशिया के लोग रशियन तो भला हम लोग हिंदी क्यूं नही बोल सकते है। अब ये तो हम लोग सोचते है की हिंदी हमारी मातृभाषा है पर शायद दूसरे देश के लोग ऐसा नही सोचते है। वैसे इसमे उनकी गलती भी नही है क्यूंकि हमारे हिंदुस्तान मे आजकल क्या हमेशा से ही अंग्रेजी को ज्यादा महत्त्व दिया जाता रहा है।और अब तो इंग्लिश के बिना गुजारा ही नही होता है। चाहे वो कॉलेज हो या कोई दफ्तर या कोई बड़ा उत्सव हो या चाहे कोई पार्टी हर जगह सिर्फ इंग्लिश का ही बोलबाला है। हमारे बडे-बडे नेता हो या चाहे अभिनेता हो हिंदी बोलने मे उन्हें परेशानी लगती है की पता नही अगला व्यक्ति उनकी बात समझेगा या नही। यूं तो bollywood हिंदी फिल्मों के लिए जाना जाता है पर हमारे अभिनेता और अभिनेत्रियाँ हिंदी बोलने से कतराते है। दर्जनों उदाहरण मिल जायेंगे।
हम हिंदुस्तानियों की एक बहुत ही अच्छी आदत है की हम दूसरों का बहुत ख़्याल करते है मसलन अगर कोई हिन्दुस्तानी किसी दूसरे देश मे जाता है तो वो हमेशा इंग्लिश बोलता है क्यूंकि इंग्लिश आजकल युनिवर्सल लेंगुएज जो बन गयी है।कई बार कई जगहों पर तो अगर आप हिंदी मे कुछ पूछिये तो लोगों के चेहरे पर एक शुन्य ( blank) सा भाव दिखता है। पर इसके ठीक उलट जब भी कोई विदेशी चाहे वो किसी भी देश का हो फ़्रांस का हो या फिर चीन,जापान,रशिया ,थाईलैंड आदि का पर वो अपनी ही भाषा मे बात करता है चाहे वो बड़ा नेता हो या कोई आम नागरिक या कोई सुंदरी जो किसी सौंदर्य प्रतियोगिता मे ही क्यूं ना भाग ले रही हो।सब अपनी भाषा मे बोलते है भले ही उसे बात करने के लिए interpreter की मदद ही क्यूं ना लेनी पडे। पर हम भारतीय अपनी मातृभाषा हिंदी का प्रयोग दूसरे क्या अपने ही देश मे करने मे संकोच करते है।
कल के हिंदुस्तान टाइम्स अखबार मे एक ऐसी ही खबर छपी थी । जैसा की हम सभी जानते है कि आजकल भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड के दौरे पर गयी है। अब हर रोज मैच के बाद कुछ खिलाडी पत्रकारों से बात करते है वैसे ये कोई नई बात नही है।परसों के खेल मे चुंकि गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया था तो इसलिये पत्रकार लोग गेंदबाजों से बात करना चाहते थे । पर लक्ष्मण मुखातिब हुए मीडिया से जो शायद ब्रिटिश मीडिया को रास नही आया । भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाडी वी.वी.एस.लक्ष्मण पत्रकारों से बात कर रहे थे।जब लक्ष्मण किसी सवाल का जवाब हिंदी मे दे रहे थे तो उसे सुनने की बजाए ब्रिटिश पत्रकारो ने अपने-अपने माइक हटा लिए और एक-एक कर के बाहर चले गए। जो की बहुत ही बुरा और शर्मनाक है । इससे कुछ सवाल हमारे मन मे उठे है।
क्या लक्ष्मण का हिंदी मे बात करना गलत था?
क्या हिंदी मे सवाल का जवाब देना कोई अपराध है ?
लक्ष्मण की जगह अगर कोई दूसरे देश का खिलाडी अपनी भाषा मे बोल रहा होता तो क्या तब भी ये ब्रिटिश पत्रकार ऐसा ही करते ?
हम हिंदुस्तानियों की एक बहुत ही अच्छी आदत है की हम दूसरों का बहुत ख़्याल करते है मसलन अगर कोई हिन्दुस्तानी किसी दूसरे देश मे जाता है तो वो हमेशा इंग्लिश बोलता है क्यूंकि इंग्लिश आजकल युनिवर्सल लेंगुएज जो बन गयी है।कई बार कई जगहों पर तो अगर आप हिंदी मे कुछ पूछिये तो लोगों के चेहरे पर एक शुन्य ( blank) सा भाव दिखता है। पर इसके ठीक उलट जब भी कोई विदेशी चाहे वो किसी भी देश का हो फ़्रांस का हो या फिर चीन,जापान,रशिया ,थाईलैंड आदि का पर वो अपनी ही भाषा मे बात करता है चाहे वो बड़ा नेता हो या कोई आम नागरिक या कोई सुंदरी जो किसी सौंदर्य प्रतियोगिता मे ही क्यूं ना भाग ले रही हो।सब अपनी भाषा मे बोलते है भले ही उसे बात करने के लिए interpreter की मदद ही क्यूं ना लेनी पडे। पर हम भारतीय अपनी मातृभाषा हिंदी का प्रयोग दूसरे क्या अपने ही देश मे करने मे संकोच करते है।
कल के हिंदुस्तान टाइम्स अखबार मे एक ऐसी ही खबर छपी थी । जैसा की हम सभी जानते है कि आजकल भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड के दौरे पर गयी है। अब हर रोज मैच के बाद कुछ खिलाडी पत्रकारों से बात करते है वैसे ये कोई नई बात नही है।परसों के खेल मे चुंकि गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया था तो इसलिये पत्रकार लोग गेंदबाजों से बात करना चाहते थे । पर लक्ष्मण मुखातिब हुए मीडिया से जो शायद ब्रिटिश मीडिया को रास नही आया । भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाडी वी.वी.एस.लक्ष्मण पत्रकारों से बात कर रहे थे।जब लक्ष्मण किसी सवाल का जवाब हिंदी मे दे रहे थे तो उसे सुनने की बजाए ब्रिटिश पत्रकारो ने अपने-अपने माइक हटा लिए और एक-एक कर के बाहर चले गए। जो की बहुत ही बुरा और शर्मनाक है । इससे कुछ सवाल हमारे मन मे उठे है।
क्या लक्ष्मण का हिंदी मे बात करना गलत था?
क्या हिंदी मे सवाल का जवाब देना कोई अपराध है ?
लक्ष्मण की जगह अगर कोई दूसरे देश का खिलाडी अपनी भाषा मे बोल रहा होता तो क्या तब भी ये ब्रिटिश पत्रकार ऐसा ही करते ?
Comments
खैर!! आएगा एक वक्त कि यही लोग झख मार के बैठेंगे ऐसी जगहों पर बजाय उठ कर जाने के
मेरे जैसे व्यक्ति अंग्रेजी का प्रयोग तब करते हैं जब विषय तकनीकी हो और उसमें विचार प्रवाह अंग्रेजी में हो रहा हो. यह उच्च शिक्षा अंग्रेजी में होने के कारण है. उअर उसमें हिन्दी की अवज्ञा नहीं है.
उनका तिलमिला कर उठ जाना हमारी जीत है. :)
शाहरुख या करीना वगैरह से प्रश्न हिंदी में पूछो तो उत्तर अंग्रेजी में ही आता है. ये क्या बद्तमीजी नहीं है?