तनहा टूटहूँ टूं

क्या आप ने कभी ताश के खेल जैसे कोट पीस या तीन-दो-पांच मे चीटिंग की है।
क्या कभी चीटिंग नही की है।
वैसे यकीन तो नही आता है पर मान लेते है। तो चलिये इसी बात पर हम आपको एक और अपने बचपन से जुडी बात बताते है। जब हम छोटे थे उस समय आज की तरह ढेरों मनोरंजन के साधन नही होते थे। एक रेडियो होता था जिस पर विविध भारती और सीलोन सुना जाता था । और या तो पिक्चर देखने या किसी होटल मे खाना खाने जाया जाता था। पर छुट्टियों मे या यूं भी कभी -कभी ताश भी खेला जाता था। आम तौर पर तो कोट पीस वगैरा ही खेला जाता था पर दिवाली मे फ्लश अरे वही तीन पत्ती या पपलू खेला जाता था।

हमारे बाबूजी (बाबा )को ताशखेलने का बहुत शौक़ था ,बाबूजी को क्या एक तरह से हम सभी को ताश खेलने मे बड़ा मजा आता था। कोट पीस मे चार लोग खेलते है ।दो-दो लोग पार्टनर बन कर एक टीम बन जाते थे। और हर टीम जीतने के सारे हथकंडे अपनाती थी।ताश के पत्तों मे spade (हुकुम )heart (पान ) diamond (ईट) club(चिड़ी) आप सब तो जानते ही होंगे ।जिसमे एक टीम पत्ते बांटती है तो दूसरी टीम trump बोलती हैजो टीम trump बोलती है उसे सात हाथ बनाने पड़ते थेजो टीम trump बोल कर लगातार पूरे सात हाथ बना ले और पत्ते बांटने वाली टीम कोई भी हाथ ना बना पाए तो फिर उस पत्ते बांटने वली (पीसने)टीम पर कोट हो जाता थापर अगर trump बोलने वाली टीम सात हाथ नही बना पाती थी तो फिर उसकी पीस हो जाती थीमतलब उसे पत्ते बांटने पड़ते थे

हम लोगों मे से जो भी बाबूजी का पार्टनर बनता था उसकी टीम जीत जाती थी क्यूंकि बाबूजी चाल चलते समय तरह-तरह के हिंट दिया करते थे।और सबसे मजेदार बात की हर बार हिंट को अलग -अलग अंदाज मे देते थे । जैसे अगर पान trump है और उनके पास हार्ट (पान) का सिर्फ एक पत्ता है तो चाल चलने के पहले वो अपने पार्टनर को हिंट देते तनहा टूटहूँ टूं कुछ ऐसा कह कर बताते थे जिसका मतलब होता था की अब उनके पास trump का दूसरा पत्ता नही है। अगर उन्हें क्लब (चिड़ी)की चाल चलवानी होती थी तो वो कहते थे की उड़-उड़ और उनका पार्टनर हम मे से जो भी होता वो समझ जाता था की क्लब की चाल चलनी है।इतना ही नही अगर बाबूजी को diamond (ईट ) की चाल चलवानी होती थी अपने पार्टनर से कहने लगते की घर बनाओ घरअगर उनके पास spade के अच्छे पत्ते होते तो कहते थे की डरो मत सब ठीक हैतो वही कई बार हार्ट (पान) के लिए कहने लगते की पान खाना अच्छी बात नही हैबस इतना सुनते ही उनका पार्टनर फौरन पान की चाल चाल देता थाकई बार तो चाल चलते हुए पत्ते ख़ूब जोर-जोर से पटकते थे जिसका मतलब होता था की फिर से उसी पत्ते की चाल चलो

पर खुदा ना खास्ता अगर उनका पार्टनर उनके दिए हुए हिंट से चाल नही चलता था तो वो अपने पार्टनर की ख़ूब खबर लेते थेपर कई बार ऐसा भी होता था की जैसे spade का उनके पास एक ही पत्ता है और उन्होने कहा तनहा टूटहूँ टूं पर फिर भी उनके पार्टनर ने दुबारा spade की चाल चाल दी तब तो पार्टनर की खैर नहीअगर जीत गए तो ठीक और अगर हार गए तो सारी गलती पार्टनर की

शुरू मे तो हम लोग कई बार समझ नही पाते थे पर बाद मे हम लोग उनके इस तरह से अपने पार्टनर को हिंट देने पर जब उन्हें कहते थे तो बाबूजी कहते की हमने कोई हिंट थोड़े ही दिया हैपर फिर भी हम लोगों को बाबूजी के साथ ताश खेलने मे ख़ूब मजा आता था


Comments

ताश की कुछ गड्डियाँ ऐसी आती हैं जिनमें पीछे की ओर छुपे चिन्ह बने होते हैं. और हर कार्ड को पहचाना जा सकता है.- पर आसानी से नहीं. हम लोग ऐसी गड़्डियों से ताश खेलकर व जादू दिखाकर लोगों को खूब बेवकूफ़ बनाते थे. :)
Udan Tashtari said…
बचपन की यादों को बड़ी सुन्दरता से सहेजा है. अच्छा लगा यह संस्मरण पढ़ना.
बहुत अच्छे ममता जी हम भी एसे ही करते थे…मगर ये चीटिंग नही है…यही तो मजा है खेल का…

शानू
यहां तो सारे चीटने वाले हैं, हमारी दाल क्या गलेगी जिसे ताश के खेल ही नहीं आते :-)
इस तरह के संस्मरण पढने का अपना अलग ही आनंद है. लिखती रहिये !!
ये रहा मेरे बेईमानी का सरल तरीका:

किशोर कुमार का गाना गुनगुनाया तो पान चलो.
रफी का गाना गुनगुनाया तो हुकुम चलो.
मुकेश का गाना गुनगुनाया तो ईंट चलो.
लता का गाना गुनगुनाया तो चिड़ी चलो.

लोगों को महीने लग गये अपना कोड तोड़ने में.

Popular posts from this blog

जीवन का कोई मूल्य नहीं

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन