वर्ल्ड कप कि हार
इंडिया कि शर्मनाक हार के बाद अब लगता है हमारे कुछ खिलाडियों को रिटाएर कर देना चाहिऐ क्योंकि सचिन,द्रविड़, सहवाग ,अगरकर ,और हरभजन मे अब वो बात नही है कि ये लोग कोई मैच अपनी काबलियत और अपने अच्छे खेल से जीत सके। ये तो सिर्फ बरमुडा जैसी टीम के ही साथ खेल कर जीत सकते है। अगरकर कि जगह पठान या श्रीसंत को खिलाते और मैच हारते तो कम से कम ये कह कर हर कोई संतोष कर लेता कि इन लोगो को अभी उतना अनुभव नही है। सचिन जैसे खिलाडी अगर रन नही बनाते है तो क्या उन्हें विज्ञापनो मे आने का कोई हक है?
टीम इंडिया जिस पर सारे देश कि आंखें लगी हुई थी ,जिसके लिए सारा देश दुआये माँग रहा था , कोई सबसे बड़ा बैट बना रहा था तो कोई ये साबित करने मे लगा था कि वो ही टीम इंडिया का सबसे बड़ा फैन है। ऐसे खेल प्रेमियों को टीम इंडिया क्या जवाब देगी?
द्रविड़ जो मिस्टर डिपेंडिब्ल के नाम से मशहूर है उनका कैप्टेन बनने के बाद जिस तरह से उनका प्रदर्शन बिगडा है उसे देख कर सचिन कि कप्तानी याद आती है,जो कैप्टेन बनने के बाद खेल ही नही पाते थे।
हमारी टीम के ना तो शुरू के खिलाडी खेलते है और ना बाद के।इंडियन टीम हमेशा सिर्फ एक खिलाडी के(सचिन ) भरोसे ही चलना चाहती है ।आख़िर कब तक?
गुरू ग्रेग के पास क्या इस हार का कोई जवाब है? हर बार उन्हें पुरापुरा मौका दिया गया कि शायद इस बार उनके शिष्य कुछ कर दिखायगे पर ऐसी अपनी किस्मत कहॉ । ना तो गुरू गुड़ हुए ना चेले शक्कर हुए ।
टीम इंडिया जिस पर सारे देश कि आंखें लगी हुई थी ,जिसके लिए सारा देश दुआये माँग रहा था , कोई सबसे बड़ा बैट बना रहा था तो कोई ये साबित करने मे लगा था कि वो ही टीम इंडिया का सबसे बड़ा फैन है। ऐसे खेल प्रेमियों को टीम इंडिया क्या जवाब देगी?
द्रविड़ जो मिस्टर डिपेंडिब्ल के नाम से मशहूर है उनका कैप्टेन बनने के बाद जिस तरह से उनका प्रदर्शन बिगडा है उसे देख कर सचिन कि कप्तानी याद आती है,जो कैप्टेन बनने के बाद खेल ही नही पाते थे।
हमारी टीम के ना तो शुरू के खिलाडी खेलते है और ना बाद के।इंडियन टीम हमेशा सिर्फ एक खिलाडी के(सचिन ) भरोसे ही चलना चाहती है ।आख़िर कब तक?
गुरू ग्रेग के पास क्या इस हार का कोई जवाब है? हर बार उन्हें पुरापुरा मौका दिया गया कि शायद इस बार उनके शिष्य कुछ कर दिखायगे पर ऐसी अपनी किस्मत कहॉ । ना तो गुरू गुड़ हुए ना चेले शक्कर हुए ।
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